प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा-कम लागत, ज्यादा मुनाफा, यही तो है प्राकृतिक खेती, इससे देश के 80 फीसदी किसानों को होगा फायदा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि नेचुरल खेती से जिन्हें सबसे अधिक फायदा होगा, वो हैं देश के 80 प्रतिशत किसान. वो छोटे किसान, जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम भूमि है. इनमें से अधिकांश किसानों का काफी खर्च, केमिकल फर्टिलाइजर पर होता है. एक भ्रम ये भी पैदा हो गया है कि बिना केमिकल के फसल अच्छी नहीं होगी. जबकि सच्चाई इसके बिलकुल उलट है. पहले केमिकल नहीं होते थे, लेकिन फसल अच्छी होती थी. मानवता के विकास का, इतिहास इसका साक्षी है.

जानकार ये बताते हैं कि खेत में आग लगाने से धरती अपनी उपजाऊ क्षमता खोती जाती है. हम देखते हैं कि जिस प्रकार मिट्टी को जब तपाया जाता है, तो वो ईंट का रूप ले लेती है. लेकिन फसल के अवशेषों को जलाने की हमारे यहां परंपरा सी पड़ गई है.

कम लागत, ज्यादा मुनाफ, यही तो प्राकृतिक खेती है

प्रधानमंत्री का कहना है कि कम लागत, ज्यादा मुनाफ, यही तो प्राकृतिक खेती है. आज दुनिया जब ‘बैक टू बेसिक’ की बात करती है तो उसकी जड़ें भारत से जुड़ती दिखाई पड़ती है. कृषि से जुड़े हमारे इस प्राचीन ज्ञान को हमें न सिर्फ फिर से सीखने की जरूरत है, बल्कि उसे आधुनिक समय के हिसाब से तराशने की भी जरूरत है. इस दिशा में हमें नए सिरे से शोध करने होंगे, प्राचीन ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक फ्रेम में ढालना होगा.

खेती को लैब से निकालकर प्रकृति की प्रयोगशाला से जोड़ना होगा

प्रधानमंत्री ने कहा, हमें अपनी खेती को कैमिस्ट्री की लैब से निकालकर प्रकृति की प्रयोगशाला से जोड़ना ही होगा. जब मैं प्रकृति की प्रयोगशाला की बात करता हूं तो ये पूरी तरह से विज्ञान आधारित ही है. ये सही है कि केमिकल और फर्टिलाइज़र ने हरित क्रांति में अहम रोल निभाया है. लेकिन ये भी उतना ही सच है कि हमें इसके विकल्पों पर भी साथ ही साथ काम करते रहना होगा.

किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए उठाएं कई कदम

उन्होंने कहा, बीते 6-7 साल में बीज से लेकर बाज़ार तक, किसान की आय को बढ़ाने के लिए एक के बाद एक अनेक कदम उठाए गए हैं. पीएम किसान सम्मान निधि से लेकर लागत का डेढ़ गुना एमएसपी तक, सिंचाई के सशक्त नेटवर्क से लेकर किसान रेल तक.

आजादी के बाद के दशकों में जिस तरह देश में खेती हुई, जिस दिशा में बढ़ी, वो हम सब हम सबने बहुत बारीकी से देखा है. अब आज़ादी के 100 वें वर्ष तक का जो हमारा सफर है, वो नई आवश्यकताओं, नई चुनौतियों के अनुसार अपनी खेती को ढालने का है.

कृषि के अलग-अलग आयाम हो, फूड प्रोसेसिंग हो, प्राकृतिक खेती हो, यो विषय 21 वीं सदी में भारतीय कृषि का कायाकल्प करने में बहुत मदद करेंगे.

कीटनाशकों से मुक्त करने का संकल्प लें

प्रधानमंत्री ने कहा कि आइये, आजादी के अमृत महोत्सव में मां भारती की धरा को रासायनिक खाद और कीटनाशकों से मुक्त करने का संकल्प लें.

क्लाइमेट चेंज समिट में मैंने दुनिया से लाइफस्टाइल फॉर एनवायरामेंट यानि LIFE को ग्लोबल मिशन बनाने का आह्वान किया था. 21वीं सदी में इसका नेतृत्व भारत करने वाला है, भारत का किसान करने वाला है.

मैं आज देश के हर राज्य से, हर राज्य सरकार से, ये आग्रह करुंगा कि वो प्राकृतिक खेती को जनआंदोलन बनाने के लिए आगे आएं। इस अमृत महोत्सव में हर पंचायत का कम से कम एक गांव ज़रूर प्राकृतिक खेती से जुड़े, ये प्रयास हम कर सकते हैं.

‘लैब टू लैंड’ यही हमारी यात्रा होगी

‘लैब टू लैंड’ यही हमारी यात्रा होगी और इसकी शुरुआत में हमारे ICAR जैसी संस्थानों और कृषि विश्वविद्यालय बड़ी भूमिका निभा सकते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button