शहीदों का अपमान, CDS बिपिन रावत के निधन पर केरल सरकार की वकील ने उगला जहर

नई दिल्ली: चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत के देहांत के बाद से शुरू हुआ लेफ्ट-लिबरलों का जश्न मनाने का सिलसिला अभी तक नहीं थमा है। कई कट्टरपंथी, वामपंथी और इनके समर्थक इसके लिए समय-समय पर नए-नए कारण लेकर सामने आ जाते हैं। अब इसमें केरल सरकार की स्थायी वकील रेशमा रामचंद्रन का नाम भी शामिल हो गया हैं। बता दें कि रेशमा सर्वोच्च न्यायालय की वकील भी हैं।

एक फेसबुक पोस्ट में, रेशमा रामचंद्रन ने CDS बिपिन रावत के पुण्यात्मा नहीं होने की कई वजहें बताते हुए उन पर गंभीर इल्जाम लगाए। केरल की भाजपा इकाई ने इस पोस्ट पर कड़ी आपत्ति जताते हुए माँग की है कि सीएम पिनाराई विजयन, रेशमा को सरकारी पद से बर्खास्त करें। जनरल रावत के निधन की पुष्टि के बाद कल पोस्ट की गई बेहद आपत्तिजनक पोस्ट में, रेशमा रामचंद्रन ने दावा किया है कि जनरल बिपिन रावत को संवैधानिक अवधारणा को दरकिनार करते हुए पहले संयुक्त रक्षा प्रमुख (CDS) के पद पर नियुक्त किया गया था। इसके बाद उन्होंने मृतक जनरल के बारे में कहा कि उन्होंने मेजर लीतुल गोगोई को आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए सम्मानित किया था, जिन्होंने अन्य पत्थरबाजों पर लगाम लगाने के लिए एक कश्मीरी पत्थरबाज को जीप के सामने बाँध दिया था।

रेशमा ने अपने पोस्ट में यह भी कहा कि जनरल बिपिन रावत ने विकलांगों को पेंशन पाने के लिए अपने आप को विकलांग बताने वाले सैनिकों को चेतावनी दी थी और जनरल रावत का मानना था कि लड़ाकू भूमिकाओं में महिलाएँ कपड़े बदलते वक़्त पुरुषों के झाँकने की शिकायत कर सकती हैं। रेशमा रामचंद्रन ने आरोप लगाते हुए कहा कि रावत चाहते थे कि पत्थरबाज उन पर हथियारों (गोली-बंदूकों) से हमला करें, ताकि सेना जवाबी कार्रवाई कर सके। केरल की स्थायी वकील ने यह भी आरोप लगाया कि बिपिन रावत ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ प्रदर्शनकारियों के विरोध में तल्ख़ टिप्पणी की थी। इन कारणों को बताते हुए रेशमा रामचंद्रन ने कहा कि ‘ मृत्यु किसी व्यक्ति को पवित्र नहीं बना देती।’ 

वहीं, केरल सरकार की स्थायी वकील के पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा नेता और अधिवक्ता एस सुरेश ने कहा कि वह (रेशमा) देशद्रोही हैं, जिनमें मानवता नहीं है। उन्होंने कहा कि यह निधन के बाद देश के सर्वोच्च सैनिक का अपमान है और उन्होंने माँग की है कि केरल सरकार को उन्हें हाई कोर्ट में सरकारी वकील के पद से हटा देना चाहिए।

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