
रायगढ़/घरघोड़ा, आपकी आवाज: नगर का ऐतिहासिक बागमुड़ा तालाब एक बार फिर सुर्खियों में है। कुछ दिनों पहले नगर पंचायत अध्यक्ष के नेतृत्व में तालाब की सफाई अभियान की गूंज हर जगह सुनाई दी। बड़ी-बड़ी मशीनें लगीं, जनप्रतिनिधि मैदान में उतरे, फोटो खिंचे और यह संदेश दिया गया कि अब तालाब अपनी पुरानी पहचान वापस पाएगा। लेकिन वास्तविकता यह है कि आज भी हालात जस के तस हैं।

तालाब की सतह पर जलकुंभी का साम्राज्य फैला हुआ है। पानी का नामोनिशान ढूंढना मुश्किल है। दूर-दूर तक हरियाली का ढेर है, लेकिन यह हरियाली खेत की नहीं, बल्कि जलकुंभी की है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि इतनी मेहनत और प्रचार-प्रसार के बाद भी आखिर बदलाव क्यों नहीं दिख रहा?
अब जबकि 22 सितंबर से नवरात्रि की पूजा-पाठ, कलश स्थापना और विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम शुरू होने जा रहे हैं, तब श्रद्धालुओं की आस्था पर भी संकट खड़ा हो गया है। घरघोड़ा और आसपास के लोग वर्षों से इस तालाब से कलश यात्रा निकालते हैं, मूर्तियों का विसर्जन करते हैं और धार्मिक परंपराओं को निभाते हैं। लेकिन तालाब की यह दुर्दशा लोगों के मन में गहरी पीड़ा और आक्रोश पैदा कर रही है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि सफाई अभियान सिर्फ औपचारिकता और दिखावा बनकर रह गया। मौके पर एक-दो दिन काम जरूर हुआ, लेकिन न तो स्थायी व्यवस्था बनाई गई और न ही निगरानी की कोई ठोस योजना। लोगों का कहना है –
“नगर पंचायत को सिर्फ फोटो खिंचवाना और अखबारों में नाम छपवाना आता है। धर्म और आस्था से खिलवाड़ कर वे अपने कर्तव्य से भाग रहे हैं।”
कई श्रद्धालु खुले तौर पर कह रहे हैं कि नगर पंचायत अगर धर्म और जनता की भावनाओं का सम्मान नहीं कर सकता, तो ऐसे अभियान का कोई मतलब नहीं। पूजा-पाठ के अवसर पर तालाब की ऐसी स्थिति नगर प्रशासन की कार्यशैली और गंभीरता पर बड़े सवाल खड़े करती है।
अब जनता की यही मांग है कि तुरंत तालाब की वास्तविक और स्थायी सफाई की जाए, ताकि श्रद्धालु नवरात्रि पर्व और आगामी उत्सव शांति व श्रद्धा से मना सकें।














