आपदा बना अवसर 500 तक बिक रही है गुड़ाखू की पुड़िया जिला प्रशासन नहीं दे रहा है ध्यान कोरोना और ओमिक्रारान से ज्यादा गुड़ाखू मचा रहा है हा हा कार, खाद्य और अन्य सामग्रियों की जमाखोरी से लोग हो रहे हैं परेशान

भूपेंद्र गोस्वामी आपकी आवाज

कोरोना संक्रमण की भयानाक स्थिति से पिछले 2 साल से लोग जूझ रहे हैं ऐसे में एक जिले में धारा 144 लागू होते ही जमाखोरों एवं बड़े व्यापारियों के लिए चांदी हो गया है। आज से सप्ताह भर पूर्व जो सामान्य रूप से खरीदी बिक्री हो रहा था अचानक एका एक धारा 144 लागू होते हैं सामानों की स्टार्ट कमी हो जाती है।190 रु प्रति। पुडा बिकने वाला गुड़ाखू का पैकेट सीधा 350 से लेकर 500रुपया तक मैं बिक रहा है। ऐसे ही हाल तेल नमक व अन्य खाद्य पदार्थों की भी है। मादक पदार्थों के समान में भी इन दिनों ऊंचाइयां छू रही है खासकर गुटखा के पैकेट ऊंची दामों में बिकिने लगा है

बता दें कि पिछले लॉकडाउन में एक गुड़ाखू के डिब्बे 120रुपए बिका था वही स्थिति किस जिले में निर्मित हो रही है जमाखोरो और बड़े व्यापारियों ने पूरा माल अपने गोदाम में जमा कर लिया है और सीधे-सीधे उसे आपदा का अवसर बनाकर छुटपुट दुकानदारों को या फिर अपने पहचान वालों को ऊंची दाम में बेच रहे हैं। जिसका सीधा असर मध्यमवर्ग और गरीब वर्ग पर पड़ रहा है। अचानक मादक पदार्थ एवं खाद्य पदार्थों में आई तेजी से गरीबों का कमर टूटना लाजमी है पर उन बड़े व्यापारियों की तो चांदी हो गई है जो एक बार फिर आपदा को अवसर बनाकर आम लोगों को लूट रहे हैं
पर जिले में बैठे बड़े अधिकारियों को आम जनता से कोई सरोकार नहीं होने की वजह से यह लूट का व्यापार खूब फल फूल रहा है ।
जो पहला मौका नहीं है जहां इस प्रकार का जमाखोरी कालाबाजारी हुआ है जिम्मेदारों ने आंख बंद की तो जमाखोरों की बल्ले बल्ले हो गया । ऐसे जमाखोरों पर एक बार फिर कार्यवाही की जरूरत है

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