एक हाथ खोने के बाद भी जीवन से नहीं मानी हार 70 साल के उम्र में भी कर रहा जीवन से संघर्ष।

पखांजुर से बिप्लब कुण्डू –2.3.22

पखांजुर–
हाथ खोने के बाद लोग भीख मांगने पर मजबूर हो जाते है पर कई खुद्दार लोगो को भीख मांगना गंवारा नही है एसा ही एक घटना कांकेर शहर का है जहां एक गरीब व्यक्ति अपने जवानी के समय में दाया हाथ मजदूरी के काम करते समय खो दिया जिसके बाद से वह फुल बेचकर व घर में शादी के मोऊर बनाकर अपना गुजारा कर रहा है।
शहर से 10 किमी दुरी पीढापाल मार्ग पर स्थित ग्राम कुर्सीटिकुर के निवासी 70 वर्षीय परदेशी राम पटेल ने अपने जवानी के समय में मजदुरी यानी घर बनाने वाले मिस्त्री काम करते समय एक दुर्घटना में बिजली के करेंट लगने से दांया हाथ गंवा दिया पर जीवन से हार नही मानी और जीवन में सघर्ष करते हुए फुल बेचकर अपना गुजारा करने का निर्णय लिया और मेला मड़ाई में फुल का माला बनाकर बेचना शुरू किया वैसे तो परदेशी पटेल पेसे से मोऊर बनाने वाले परिवार से हैं जिस कारण उन्होंने अपने बचपन में ही घर पर ही शादी में दुल्हा दुल्हन द्वारा पहने जाने वाला मोऊर बनाने का हुनर सीख लिया था जिसका फायदा उठाते परदेशी ने घर पर ही मोऊर बनाकर बेचना शुरू किया।

चार सालो से ऊपर नीचे सड़क पर स्थित शिव मंदिर में बेच रहा फुल

परदेशी पटेल ने बताया कि वह हाथ खोने के बाद काफी परेशान था की वह अपने परिवार का पालन पोषण कैसे करेगा करके काफी चिंतित था पर उन्होंने इस परेशानी के समय में जीवन से हार नहीं मानी और किसी प्रकार की ग़लत कदम नहीं उठाया उन्होंने बताया की वह चार सालों से माहाशिवरात्रि पर्व के दिन ऊपर नीचे सड़क पर स्थित शिव मंदिर पर फुल बेचने आता है और इससे जो भी आमदनी होती है उससे अपना और अपने परिवार का भी गुजारा करता है, उन्होंने बताया की वह और उसके घर वाले बाकी के दिन घर पर मोऊर बनाते हैं, जिसे बेचकर अपने परिवार का जीवन यापन कर रहा है। परदेशी ने बताया की मोऊर बनाने का काम व मेला में हार बेचने का काम इनके पुर्वजो से चला आ रहा है इसी काम को उसने अपना गुजर बसर करने के लिए अपना लिया है। और इसी काम को करते हुए उसका गुजर बसर हो रहा है।

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