
छत्तीसगढ़ के नागरिक आपूर्ति घोटाले (नान) से जुड़े प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिग एक्ट (पीएमएलए) मामले को राज्य से बाहर स्थानांतरित करने की मांग कर रही ईडी ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दावा किया कि कुछ आरोपितों को जमानत दिए जाने से दो दिन पहले एक जज ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी।
आरोपितों और उच्च पदस्थ व्यक्तियों के बीच मिलीभगत का आरोप लगाते हुए ईडी की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि 170 में 72 गवाह मुकर चुके हैं। अगर राज्य में मुकदमा चला तो मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं है।
मेहता ने पीठ से कहा, ‘जमानत देने से दो दिन पहले विद्वान जज की मुख्यमंत्री से मुलाकात भी काफी है। मेरे पास कुछ और कहने के लिए नहीं है। मैं यह कहना नहीं चाहता था। अगर यह आपके अंत:करण को स्तब्ध नहीं कर सकता तो फिर कुछ भी नहीं कर सकता।’
आरोपियों की अग्रिम जमानत रद्द करने की मांग
पीएमएलए मामले को छत्तीसगढ़ से बाहर स्थानांतरित करने की मांग के अलावा ईडी ने मनी लांड्रिग मामले में कुछ हाई प्रोफाइल आरोपितों को प्रदान की गई अग्रिम जमानत को भी रद करने की मांग की है। जांच एजेंसी ने हाल ही में सीलबंद लिफाफे में एक रिपोर्ट दाखिल की थी जिसमें कुछ आपत्तिजनक वाट्सएप संदेश थे। इन संदेशों से संवैधानिक पदाधिकारियों की कथित संलिप्तता का संकेत मिलता है।
मंगलवार को बहस के दौरान उन संदेशों का जिक्र करते हुए मेहता ने कहा, ‘अब मैं आयकर विभाग से प्राप्त रिकार्ड्स से दिखाऊंगा कि एसआइटी के प्रमुख आरोपित के संपर्क में हैं और वे दाखिल की जाने वाली स्थिति रिपोर्ट का आदान प्रदान कर रहे हैं। और आरोपित सुझाव दे रहे हैं कि आप ये डिलीट कर दीजिए, वो डिलीट कर दीजिए।’
मेहता ने यह भी कहा कि ईडी के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है और राज्य सरकार हर चीज आरोपितों के साथ साझा कर रही है। पीठ ने कहा कि उसके समक्ष उठाए गए मुद्दे गंभीर है, लेकिन साथ ही आप हमें जो करने के लिए कह रहे हैं वो हमें खतरनाक रास्ते पर ले जाएगा। मामले में बहस 20 अक्टूबर को भी जारी रहेगी।














