
कबाड़ का धंधा करने वाले कबाडियों द्वारा शहर और शहर की सीमा से लगे आसपास के क्षेत्र में बड़े-बड़े गोदाम बनाकर करोड़ों का कबाड़ रखा।
कबाड़ का धंधा करने वाले कबाडियों द्वारा शहर और शहर की सीमा से लगे आसपास के क्षेत्र में बड़े-बड़े गोदाम बनाकर करोड़ों का कबाड़ रखा और बेचा जा रहा है। इन गोदामों में सरकारी विभागों से खरीदा गए कबाड़ की जानकारी रिकार्ड में रखी गई है, लेकिन इसकी आड़ में चोरी और बिना रिकार्ड के खरीदे गए कबाड़ को कोई अता-पता नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक पिछले दो दिनों से जबलपुर जीएसटी की एंटी एवेजिंग टीम के अधिकारियों द्वारा कबाड़ के गोदामों में खंगालने के दौरान ऐसी कई जानकारी सामने आई हैं। जांच में पता चला है कि कबाड़ का काम करने वाले अधिकांश व्यवसायी न सिर्फ जीएसटी बल्कि पुलिस और प्रशासन को अपने गोदाम की सही लोकेशन नहीं दी गई। इन्होंने अपने घर और आफिस को ही गोदाम बताया है, जबकि शहर और शहर की सीमा से बाहर कई एकड़ में फैले इनके गोदाम में करोड़ों को कबाड़ चोरी-छिपे रखा और बेचा जा रहा है। यहां रखे कबाड़ में 70 फीसदी कबाड़ का लेखा-जोखा तक नहीं है।
जीएसटी ने दोनों गोदाम किए सील
रविवार को दिनभर चिश्मी इंटरप्राइजेज और मेसर्स अली ब्रदर्स के गोदाम में मारे गए छापे के दौरान मिले कबाड़ की जांच की। इस दौरान बड़ा मात्रा में कबाड़ मिला, लेकिन रिकार्ड सिर्फ सरकारी विभाग से खरीदे गए कबाड़ का है। शेष कबाड़ का मूल्यांकन करने के लिए जीएसटी की एंटी एवेंजिन टीम ने अनुभवियों की मदद ली है। हालांकि देर रात तक रिकार्ड न खंगालपाने की वजह से दोनों गोदामों को सील कर दिया गया। जांच के दौरान दोनों कबाड़ी के ट्रेडिंग एकाउंट की खंगाला गया। अप्रैल से अभी तक की गई खरीदी और इससे जुड़े दस्तावेजों की जांच की जा रही है। अभी तक की जांच में अधिकांश कबाड़ से जुड़े रिकार्ड नहीं मिले हैं।
चिश्मी और अली बद्रर्स के यहां पर पुराना लोहे का कबाड तो मिला ही इसके साथ ली बड़ी मात्रा में लोहे की सरिया भी मिली । इस सरिया में अधिकांश नई है, हालांकि विभाग इन सरिया की खरीदी से जुड़े रिकार्ड की जांच कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक अधिकांश सरिया किसी सरकारी निर्माण के दौरान खरीदे गए लोहे की हो सकती है, जिसके अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है। इस सरिया को बाजार में कुछ चुनिंदा व्यापारियों को आधे दाम में बेंचा जाता है।