किसी चिन्ह का स्वरूप और अर्थ भिन्न हो तो उसे अशोक चक्र नहीं माना जा सकता – अनिल शुक्ला

किसी प्रतीक चिन्ह के अपमान का निर्धारण बिना दुर्भावना के हो तो उसे अपमान नहीं माना जा सकता

रायगढ़ 18सितंबर
रायगढ़ जिला कांग्रेस अध्यक्ष अनिल शुक्ला ने वोट अधिकार यात्रा जिसका नेतृत्व प्रदेश प्रभारी सचिन पायलेट जी ने किया जिसमें हजारों की संख्या में जिले भर के कांग्रेस कार्यकर्ता और देश व प्रदेश के पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया था पर कार्यक्रम की सफलता भाजपाइयों को हजम नहीं हुई क्योंकि उनकी कल्पना से परे कांग्रेस की यह यात्रा सफल रही उन्होंने हमारे कार्यक्रम को कैसे व्यवधानित किया जाए उसमें कोई कोर कसर नहीं छोड़ी साथ ही अपने आकाओं को खुश करने के लिए इस हद तक गिरी जी और ओछी हरकतें भी की जिससे वह अपने नेताओं से वाहवाही बटोर सकें लेकिन उन्हें हर बिंदु पर पटखनी देने में कांग्रेसी कार्यकर्ता पूरे दमखम के साथ लगे रहे और इस यात्रा को अप्रत्याशित सफलता मिली वहीं कार्यक्रम होने के बाद भी भाजपा कार्यकर्ताओं ने छिछोरापन किया उन्होंने ये आरोप लगाया कि कि जिस वाहन में रैली में सवार दिग्गज नेताओं का काफिला चल रहा था उसमें कांग्रेस पार्टी ने जो वोट अधिकार का प्रतीक चिन्ह जो अशोक चक्र से मिलता जुलता है लेकिन उसका मूल स्वरूप और अर्थ भिन्न है उक्त चिन्ह के अपमान कांग्रेस पार्टी के द्वारा किए जाने की बात कर ओछी और दुर्भावना की राजनीति की है ये परंपरा स्वस्थ्य व अमन पसंद लोकतंत्र में शोभा नहीं देती।
अनिल शुक्ला ने कहा यदि कोई प्रतीक चिन्ह अशोक चक्र से मिलता-जुलता है, लेकिन उसका मूल स्वरूप और अर्थ भिन्न है, तो उसे अशोक चक्र नहीं माना जा सकता। ऐसे में, अनजाने में उस चिन्ह पर पैर रखना या उसका उपयोग करना अशोक चक्र के अपमान के रूप में नहीं देखा जा सकता। अनिल शुक्ला ने आगे कहा कि वैसे भी किसी प्रतीक चिन्ह के अपमान का निर्धारण इरादा और संदर्भ के आधार पर किया जाता है। यदि कोई व्यक्ति अनजाने में या बिना किसी दुर्भावना के ऐसा करता है, तो इसे अपमान नहीं माना जा सकता।
अनिल शुक्ला ने बताया कि प्रतीक चिन्ह की पहचान और उसका अर्थ महत्वपूर्ण है। यदि कोई चिन्ह अशोक चक्र से भिन्न है और उसका अपना अलग अर्थ है, तो उसे अशोक चक्र के समान नहीं माना जा सकता।
अनिल शुक्ला ने कहा उक्त विषय को विवाद में तब्दील न किया जाए साथ ही कहा भाजपाइयों द्वारा निरर्थक इस प्रसंग को बढ़वा दिया जा रहा है। उन्हें शर्म आनी चाहिए जिन्होंने अपनी मातृ संस्था राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ तक में राष्ट्रीय पर्वों में 52 वर्षों तक तिरंगा नहीं लगाया आज वह अशोक चक्र के अपमान की बात कर रहे हैं शुक्ला ने भाजपा के लोगों से कहा कि दूसरों पर कोई टिप्पणी करने से पूर्व उन्हें अपने गिरेबान पर झांकने की जरूरत है। अनिल शुक्ला ने कहा कि चूंकि वह प्रतीक संरचना का अर्थ व मूल स्वरूप अशोक चिन्ह से भिन्नता रखता है अतएव उसे अशोक चिन्ह नहीं माना जा सकता साथ ही अनजाने में ऐसा चिन्ह पर पैर रखना या उसका उपयोग करना अशोक चक्र के अपमान के रूप में नहीं देखा जा सकता।

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