‘गाय’ का मुरीद हुआ ये इस्लामी देश ! भारत से ख़रीदा 192000 किलो गोबर

नई दिल्ली: कृषि क्षेत्र में पशु उत्पादों के निर्यात के मामले में भारत पहले से ही एक बड़ा हब रहा है, वही अब देश ने इस क्षेत्र में एक और बड़ा मुकाम  हासिल किया है। दरअसल, कृषि क्षेत्र में भारत में पशु उत्पादों का सफल उपयोग हजारों वर्षों से होता आ रहा है। इस्लामी मुल्क कुवैत के एक वैज्ञानिक रिसर्च में पता चला है कि फसलों के लिए गाय का गोबर बेहद उपयोगी है, जिसके बाद भारत को इसके लिए आर्डर दे दिया गया है। पहली खेप में 192 मीट्रिक टन गाय का गोबर कुवैत को निर्यात किया जाएगा। गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह से इसे कुवैत पहुंचाया जाएगा।

बताया जा रहा है कि ये पहली दफा है, जब भारत को कुवैत से गाय के गोबर के लिए ऑर्डर मिला है। भारत इससे पहले पशु उत्पादों में मानस और पशुओं के खाल के साथ ही दूध और दूध से बने अन्य प्रोडक्ट्स का एक्सपोर्ट करता रहा है। अब गाय के गोबर की क्वालिटी को विदेशी वैज्ञानिक रिसर्चों में पुष्टि मिलने के बाद भारत को और भी ऑर्डर्स मिल सकते हैं। सबसे बड़ी बात कि ये एक्सपोर्ट सरकारी नहीं, बल्कि सहकारी स्तर पर हो रहा है। कुवैत ने पाया है कि गाय के गोबर के उपयोग से खजूर के फसल का आकार और उत्पादन बढ़ता है।

गोभक्तों का भी इसमें बड़ा योगदान है। जयपुर के टोंक मोड़ पर मौजूद पिंजरापोल गौशाला स्थित ‘सनराइज आर्गेनिक पार्क’ में कस्टम विभाग की निगरानी में कंटेनरों में गाय के गोबर की पैकिंग का कार्य चल रहा है। बुधवार (15 जून, 2022) को कनकपुरा रेलवे स्टेशन से पहली खेप भेजी जाएगी। ‘भारतीय जैविक किसान उत्पादक संघ’ के प्रमुख डॉ अतुल गुप्ता की कोशिशों से ये सफलता मिली है। ‘सनराइज एग्रीलैंड एंड डेवलपमेंट रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड’ को ये ऑर्डर प्राप्त हुआ है। लैमोर नामक कंपनी ने गोबर मँगाया है।

कंपनी के निदेशक प्रशांत चतुर्वेदी का कहना है कि भारत में शायद पहली दफा ऐसा कुछ हो रहा है। उन्होंने बताया कि 2020-21 में भारत का पशु उत्पाद निर्यात 27,155.56 करोड़ रुपए था और जैविक खाद की डिमांड निरंतर बढ़ रही है। उन्होंने कई वैज्ञानिक रिसर्चों का हवाला देते हुए बताया कि गाय के गोबर के उपयोग से पैदा हुई फसल से कई बीमारियाँ भी ठीक होती हैं। बता दें कि भारत के मवेशी प्रतिदिन 30 लाख टन के आसपास गोबर देते हैं। चीन 1.5 करोड़ परिवारों को बिजली देने के लिए गोबर का उपयोग करता है।

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