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छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के फैसले के बाद आरक्षण के मुद्दे पर लगने लगी याचिकाएं

बिलासपुर। राज्य शासन द्वारा वर्ष 2012 से लागू 58 प्रतिशत आरक्षण को हाई कोर्ट ने असंवैधानिक करार देते हुए रद कर दिया है। कोर्ट के फैसले के बाद राज्य शासन द्वारा आयोजित की जाने वाली विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल उम्मीदवारों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर 50 प्रतिशत आरक्षण रोस्टर के अनुसार प्रक्रिया पूरी करने की मांग की है।

कोर्ट ने अलग अलग दायर सभी यावहिकाओं को एकसाथ समाहित करने का निर्देश दिया है। अब सभी याचिकाओं की एकसाथ सुनवाई होगी। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 17 अक्टूबर की तिथि तय कर दी है।

राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा खनिज अधिकारी के पद पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। जिसमे 58 प्रतिशत आरक्षण व्यवस्था के तहत रोस्टर जारी कर भर्ती प्रक्रिया को पूरी की जा रही है। याचिकाकर्ताओं ने 50 फीसद आरक्षण व्यवस्था के अनुसार नियुक्त प्रक्रिया पूरी करने की मांग की है। सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा के उम्मीदवारों ने इसी इसी मुद्दे को आधार बनाते हुए अपने वकील के जरिये हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। आरक्षण के मुद्दे को लेकर दायर सभी याचिकाओं की अब एकसाथ सुनवाई होगी।

हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

58 प्रतिशत आरक्षण व्यवस्था को समाप्त करने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई के बाद डीविजन बेंच ने राज्य शासन के इस निर्णय को असंवैधानिक करार दिया है। कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले के बाद विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के उम्मीदवारों के मन मे आस जगी है। 50 फीसद आरक्षण व्यवस्था के अनुसार भर्ती प्रक्रिया पूरी करने की मांग को लेकर याचिका दायर की है। पीएससी के उम्मीदवारों ने की शुरुआत है कोर्ट के फैसले के बाद पीएससी 2021 के परीक्षा दिलाने वाले उम्मीदवारों ने याचिका दौर की। पीएससी ने कोर्ट को अंडरटेकिंग दिया है कि शासन के मिलने वाले मार्गदर्शन के बाद ही साक्षात्कार के परिणाम की घोषणा की जाएगी।

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