रायगढ़। अधिवक्ता संघ के द्रारा एक विज्ञप्ति जारीकर कहा कि न्यायालय में जब तहसील कार्यालय का कथित पीड़ित पक्ष गिरफ्तार किए गए अधिवक्ताओं की जमानत याचिका का विरोध करने पहुंचा और उसने वहां अपने बेतुके तर्क रखे तो न्यायालय ने कथित पीड़ित पक्षकार को जमकर लताड़ लगाई और कहा कि मूल मुद्दे पर बात करो यहां तुम्हारी बकवास सुनने नहीं बैठे हैं
अधिवक्ताओं और तहसील कार्यालय के अधिकारियों कर्मचारियों के बीच विवाद मामले में शुक्रवार को रायगढ़ के विशेष न्यायालय में गिरफ्तार अधिवक्ताओं की जमानत याचिका की सुनवाई हो रही थी। जिसका विरोध करने कथित पीड़ित पक्षकार रामप्रसाद सिदार भी पहुंचा हुआ था, वहां पहुंचते ही उसने अभी हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो के संदर्भ में जब यह कहना शुरू किया कि अधिवक्ता आशीष कुमार मिश्रा ने भी उसकी पिटाई की है तब न्यायालय उसकी इस बेतुकी बातों पर उसे लताड़ लगाते हुए कहा कि जिस रिपोर्ट पर चार्जशीट पेश की गई है वह केवल उसी पर बात करे, उसकी बकवास सुनने के लिए यहां कोई नहीं बैठा है।
आपको बता दें कि सप्ताह भर पहले तहसील कार्यालय में अधिवक्ताओं का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें कुछ अधिवक्ता तहसील कार्यालय 2 कर्मचारियों और एक नायब तहसीलदार से मारपीट करते हुए दिख रहे हैं। यद्यपि जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं उनकी प्रमाणिकता अब तक साबित नहीं हो सकी है, लेकिन पुलिस ने उन वीडियो फुटेज को आधार मानकर कुछ अधिवक्ताओं के खिलाफ न केवल मारपीट बल्कि बल्कि एट्रोसिटी एक्ट के तहत धाराएं दर्ज करते हुए मामला कायम कर दिया है। कथित पीड़ित पक्ष की ओर से उस समय जो रिपोर्ट लिखाई गई थी उसमें नामजद 5 अधिवक्ताओं की ओर से कथित मारपीट करने की बात कही गई थी, नायब तहसीलदार सहित दो अन्य कथित पीड़ित लोगों की ओर से अपने पूरे होशो हवास में बयान दिया गया था और लिखित शिकायत भी दर्ज करवाई गई थी जिसमें सिर्फ और सिर्फ 5 अधिवक्ताओं का ही नाम था।
तहसीलदार के बहकावे में आकर दिए जा रहे हैं ऊल जलूल बयान
पूरे शहर में चर्चा इस बात की है कि यह पूरा मुद्दा गेरवानी निवासी तहसीलदार सुनील अग्रवाल के खिलाफ बना हुआ है। उन पर भ्रष्टाचार के तमाम आरोप लगे हुए हैं आदिवासियों से प्रताड़ना मामले की जांच भी रायगढ़ के सीएसपी कर रहे हैं। अपने खिलाफ लगे आरोपों से घबराए हुए तहसीलदार अपनी ओर से ध्यान भटकाने के लिए वकीलों पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं और अपने अधीनस्थ कर्मचारियों पर दबाव बनाकर न केवल चक्रधर नगर थाने में लगातार शिकायतें करवा रहे हैं बल्कि न्यायालय में ऊल जलूल बयान भी दिलवा रहे हैं, लेकिन न्यायालय में तहसीलदार की ओर से पेस करवाई गई यह गणित काम नहीं सकी।