हैदराबाद की कंपनी ने बैंकों को लगाया 4800 करोड़ चूना, CBI ने मामला दर्ज कर की छापेमारी

सीबीआई के आला अधिकारी ने बताया कि इस मामले में बैंकों द्वारा दिए गए समस्त दस्तावेजों की जांच के दौरान पाया गया कि इस मामले में कंपनी के प्रबंध निदेशकों और निदेशकों के अलावा कंपनी को मिलने वाले लोन के बदले बैंक को दिए गए गारंटर भी इस चूना लगाने की प्रक्रिया में शामिल रहे.

नई दिल्ली: बैंकों के एक समूह को लगभग 4800 करोड़ रुपए का चूना लगाने के आरोप में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने हैदराबाद की एक कंपनी और उसके निदेशकों समेत अज्ञात सरकारी अधिकारियों के खिलाफ अनेक आपराधिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है. सीबीआई ने आज इस बाबत हैदराबाद समेत अनेक स्थानों पर छापेमारी की और इस छापेमारी के दौरान अनेक महत्वपूर्ण दस्तावेज मिलने का दावा किया गया है.

सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया की भारतीय स्टेट बैंक की तरफ से सीबीआई को एक शिकायत दी गई थी. शिकायत में कहा गया था कि हैदराबाद की एक कंपनी कोस्टल प्रोजेक्ट्स लिमिटेड के निदेशकों द्वारा भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई वाले बैंक समूह के जरिए 4700 करोड़ रुपए से ज्यादा का लोन लिया गया था. अधिकारी के मुताबिक बैंकों के समूह में भारतीय स्टेट बैंक के अलावा आईडीबीआई बैंक, केनरा बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, पंजाब नेशनल बैंक, यूबीआई और एक्जिमबैंक शामिल थे. यह भी आरोप लगाया गया कि बैंक के निवेशकों ने अज्ञात सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर साजिश रची और इस साजिश के तहत बैंकों के इस संघ को हजारों करोड़ रुपए का चूना लगाया.

आरोप के मुताबिक कंपनी को दिया गया यह लोन 28 अक्टूबर 2013 से 25 जनवरी 2017 तक पहुंचते-पहुंचते पूर्ण व्यापी प्रभाव के साथ एनपीए बन गया. रिपोर्ट के मुताबिक इस बाबत 20 फरवरी 2020 को इस लोन को धोखाधड़ी के रूप में रिपोर्ट किया गया. सीबीआई के आला अधिकारी ने बताया कि इस मामले में बैंकों द्वारा दिए गए समस्त दस्तावेजों की जांच के दौरान पाया गया कि इस मामले में कंपनी के प्रबंध निदेशकों और निदेशकों के अलावा कंपनी को मिलने वाले लोन के बदले बैंक को दिए गए गारंटर भी इस चूना लगाने की प्रक्रिया में शामिल रहे.

सीबीआई ने आरंभिक जांच के बाद इस मामले में कोस्टल प्रोजेक्ट्स लिमिटेड हैदराबाद उसके चेयरमैन एस सुरेंद्र, प्रबंध निदेशक और गारंटर जी एच राव कंपनी के पूर्व कालिक निदेशक और वित्त निदेशक श्रीधर चंद्रशेखर कंपनी के पूर्णकालिक निदेशक शरद कुमार समेत अन्य प्राइवेट लोगों और अज्ञात सरकारी नौकरशाहों के खिलाफ विभिन्न अपराधिक धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया और छापेमारी की.

सीबीआई के मुताबिक हैदराबाद और विजयवाड़ा में आरोपियों के आवासीय और अधिकारी परिसरों में तलाशी के दौरान अनेक अहम दस्तावेज और मामले से जुड़े अन्य साक्ष्य बरामद हुए हैं जिनकी जांच का काम जारी है. सीबीआई के आला अधिकारी के मुताबिक इस मामले में बैंक अधिकारियों की भूमिका से भी इनकार नहीं किया जा सकता क्योंकि वैसे तो बैंक कुछ लाख रुपयों की लोन राशि के बदले ही लोन लेने वाले लोगों को इतना परेशान करता है कि लोग एक बैंक से दूसरे बैंक भटकते रहते हैं और दूसरी तरफ सैकड़ों करोड़ और हजारों करोड़ रूपए लोन लेने वाले लोगों की पूरी तरह से जांच नहीं की जाती. अगर जांच की भी जाती है तो मिलने वाली रिश्वत के बदले तमाम नियम कानूनों को ताक पर रखकर लोन पास कर दिए जाते हैं. जिसके चलते सरकारी और गैर सरकारी बैंकों को हजारों करोड़ का चूना लगने की शिकायतें सामने आती रहती हैं. फिलहाल मामले की जांच जारी है.

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