सांसद दीपक बैज के सवाल पर रेल मंत्री ने संसद में दिया लिखित उत्तर, बोले- चार साल में दौड़ने लगेगी रायपुर-बस्तर रेल

रायपुर-बस्तर रेल चार वर्ष में दौड़ने लगेगी। बस्तर सांसद के प्रश्न के लिखित उत्तर में रेल मंत्री ने संसद में यह जानकारी दी है।

जगदलपुर। Raipur Bastar Rail: रायपुर-बस्तर रेल चार वर्ष में दौड़ने लगेगी। बस्तर सांसद दीपक बैज के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में रेल मंत्री अश्विनी वैष्‍णव ने संसद में यह जानकारी दी है। उनके उत्तर से बस्तर तक सीधी रेल सुविधा की आशाएं बढ़ गई हैं। बस्तर में रेल के लिए लगातार आंदोलन चल रहा है। इस बीच सांसद दीपक बैज ने इस मुद्दे को संसद में उठाया। उन्हें दिए जवाब में रेल मंत्री ने कहा है कि भूमि अधिग्रहण तथा वनभूमि के प्रकरणों की स्वीकृति के पश्चात चार वर्ष में बस्तर रेलमार्ग का काम पूरा कर दिया जाएगा।

रायपुर को बस्तर से सीधे जोड़ने वाले दल्ली राजहरा- जगदलपुर रेलमार्ग परियोजना के दो चरण हैं। यह रेलमार्ग 235 किमी लंबा है। रेल मंत्री वैष्‍णव ने बताया कि प्रथम चरण में दल्ली राजहरा से रावघाट तक 95 किमी रेलमार्ग में 60 किमी पटरी बिछाई जा चुकी है व आगे काम चल रहा है। दूसरे चरण में रावघाट से जगदलपुर तक 140 किमी रेलमार्ग के निर्माण के लिए 28 सितंबर 2018 को भूमिपूजन किया जा चुका है।

दूसरे चरण के लिए 776 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाना है। इसमें से 249 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहीत की जा चुकी है। शेष 527 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण प्रक्रियाधीन है। इसमें 95 हेक्टेयर निजी भूमि भी शामिल है। इसके अतिरिक्त 432 हेक्टेयर वनभूमि की आवश्यकता है। भूमि के प्रकरणों का वित्तीय समाधान होने के बाद काम शुरू होगा। दूसरे चरण के लिए बस्तर रेलवे प्राइवेट लिमिटेड (बीआरपीएल) के नाम से विशेष उद्देश्य की कंपनी गठित की गई है। रेल मंत्री के उत्तर में बीआरपीएल के उस पत्र का कोई उल्लेख नहीं है जिसमें कंपनी ने परियोजना से हाथ खींचते हुए रेलवे से अनुरोध किया था कि वह काम अपने हाथ में ले ले।

सांसदों की बैठक में उठेगा मामला
सांसद दीपक बैज ने कहा कि बस्तर रेल का काम काम दशकों से लंबित है। वह बस्तर रेल के मुद्दे को 12 जनवरी 2023 को रायपुर रेलमंडल कार्यालय में प्रस्तावित सांसदों की बैठक में भी उठाएंगे। छत्तीसगढ़ के सभी सांसद मिलकर दिल्ली पर दबाव बनाएंगे कि बस्तर रेल का काम शीर्घ पूर्ण करें।
बीआरपीएल ने अटकाया मुआवजा
बस्तर रेल नारायणपुर, कोंडागांव होते हुए जगदलपुर आएगी। बस्तर व कोंडागांव जिले में भूमि अधिग्रहण का काम पूरा हो चुका है। नारायणपुर जिले में भूमि का अवार्ड तीन वर्ष पहले ही पारित हो गया था किंतु बीआरपीएल ने अब तक मुआवजा का 25 करोड़ नहीं दिया है। कोंडागांव जिला प्रशासन को भी बीआरपीएल से करीब सवा करोड़ बकाया लेना है।

वन विभाग की लापरवाही
इस परियोजना के लिए वनभूमि की स्वीकृति का प्रस्ताव तीन वर्ष से कोंडागांव वनमंडल में धूल खा रहा है। वनभूमि के लिए अधिकृत नोडल कार्यालय कोंडागांव वनमंडल ने एक बार राज्य सरकार को वनभूमि के अधिग्रहण्ा का प्रस्ताव भेजा जिसे लौटा दिया गया। दोबारा प्रस्ताव भेजा ही नहीं गया है। ऐसे में चार वर्ष में रेल मार्ग को पूरा करने के लिए रेल मंत्री को स्वयं दखल देना होगा।

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