पापुनि की गड़बडिय़ों की जांच तो हाउसिंग बोर्ड के घोटालों की क्यों नहीं?पढ़िये पूरी खबर

रायपुर। भाजपा शासन काल में सरकारी विभागों के साथ विभिन्न निगम-मंडलों में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आई थी जिसे लेकर तब के विपक्ष में रहे कांग्रेसी नेता आवाज उठाते रहे और जांच की मांग करते रहे। लेकिन सत्ता में आने के बाद उनकी आवाज बंद हो गई है। यहां तक कि आवाज उठाने वाले नेता ही कई निगम-मंडलों में अध्यक्ष उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं लेकिन पुराने घोटालों और गड़बडिय़ों की जांच कराने को लेकर वे कोई कदम नहीं उठा रहे हैं और न हीं इस पर बात कर रहे हैं। इस मामले पाठ्य पुस्तक निगम के चेयरमेन शैलेषनितिन त्रिवेदी ही अपवाद हैं जिन्होंने भाजपा शासन काल में निगम में हुई गड़बडिय़ों को परत-दर-परत उघाड़ते हुए न सिर्फ स्थानीय निधि संपरीक्षा से आडिट कराया बल्कि जांच के भी आदेश देकर दोषियों पर कार्रवाई करने की बात कही है। वहीं दूसरी ओर अपने घोटालों और अधिकारियों की मनमानियों के लिए चर्चित छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड में हुए घोटालों और घपलों की जांच को लेकर किसी तरह की गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। जबकि हाउसिंग बोर्ड में घोटालों की फेहरिस्त लंबी और काफी बड़ी है। बोर्ड के घोटालों को लेकर लोक आयोग से लेकर ईओडब्ल्यू में भी शिकायत दर्ज हुई है जिस पर कार्रवाई तो दूर संज्ञान भी नहीं लिया जाता।

घोटालों की लंबी फेहरिस्त, जिसकी जांच जरूरी हाउसिंग बोर्ड में घोटालों की लंबी फेहरिस्त है जिसकी जांच कराई जा सकती है। तालपुरी से लेकर परसदा, डुमरतराई, पुरैना, अभिलाषा और चिल्हाटी जैसे कई प्रोजेक्ट है जिसमें गड़बडिय़ां पाई गई हैं, जिसपर कैग ने भी आपत्ति जताई है, जिसके आधार पर ही बोर्ड का अध्यक्ष जांच की अनुशंसा कर सकता है। लेकिन जांच करा कर दोषियों पर कार्रवाई कराने और जनता की के पैसों की रिकवरी करने से स्वहित नहीं हो सकता, संभवत: यही कारण है कि हाउंिसग बोर्ड का अध्यक्ष और आयुक्त इन घोटालों पर चुप रहना ही मुनासिब समझते हैं।

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