ब्रेकिंग JAHSPUR : जशपुर से अलग स्वतंत्र खुड़िया जिले की मांग हुई तेज, शुरु हुआ आंदोलन, खुड़िया जिला बनाओ संघर्ष समिति ने बाईक रैली निकालकर मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम को सौंपा ज्ञापन, बगीचा को खुड़िया जिला बनाने की कार्यवाही शुरु करने दिया 1 माह का अल्टीमेटम, सुनवाई नहीं हुई तो होगा उग्र आंदोलन……

कई दशकों से पिछड़ेपन का दंश झेल रहे खुडियावासी अब अपने अधिकारों के लिए मुखर होते नजर आ रहे हैं ।जशपुर से अलग स्वतंत्र खुड़िया जिले की मांग को लेकर बगीचा मुख्यालय में सैकड़ों की संख्या में बाईक रैली निकालकर मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा गया ।खुड़िया जिला बनाओ संघर्ष समिति द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में सरकार को एक माह का अल्टीमेटम दिया गया है ।यदि सरकार की और से कोई पहल नहीं की जाती है तो संघर्ष समिति द्वारा सड़क पर उतारकर उग्र आंदोलन,धरना प्रदर्शन की चेतवानी दी गई है ।

ज्ञापन में उल्लेख है कि देश के विशेष पिछड़ी जनजाति व राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पहाड़ी कोरवा जनजाति समेत खुड़िया क्षेत्र वासियों के उत्थान के लिए खुड़िया क्षेत्र को जशपुर से अलग कर (बगीचा,महादेवडांड़,कांसाबेल,सन्ना, पन्डरापाठ समेत अन्य को मिलाकर) बगीचा को देश का पहला खुड़िया जिला (कोरवा जिला) बनाए जाने के संबंध में मांग की गई है ।अनुविभागीय अधिकारी राजस्व बगीचा के नाम तहसीलदार अविनाश चौहान को संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है।

बगीचा को खुड़िया जिला बनाने सम्बन्धी ज्ञापन में बताया गया है कि

अविभाजित मध्यप्रप्रदेश में बगीचा समेत पाठ का पहाड़ी खुड़िया क्षेत्र यहां से 200 किलोमीटर दूर रायगढ़ जिला में शामिल था। रायगढ़ जिला विभक्त होकर 25 मई 1998 में जशपुर जिला बना जिसमें बगीचा समेत पाठ का खुड़िया क्षेत्र शामिल हो गया। जिसमें जिला मुख्यालय की दूरी 200 किमी से सिमटकर 100 किलोमीटर हो गई।अविभाजित मध्यप्रप्रदेश में जशपुर जिला बनने के 23 वर्षों बाद भी यहां बहुतायत निवास करने वाले विशेष संरक्षित जनजाति पहाड़ी कोरवा, बिरहोर,नगेशिया,उंराव,भुईहर समेत अन्य जाति जनजाति समाज व क्षेत्रवासियों के रहन सहन जीवन स्तर में सामाजिक,आर्थिक,सांस्कृतिक सुधार नहीं हुआ और न ही कोई आमूलचूल परिवर्तन नहीं आया।

आजादी के बाद रियासत काल में यह क्षेत्र खुड़िया इस्टेट हुआ करता था।जिसके बाद 1954 के आसपास बगीचा को विकासखण्ड का दर्जा मिला जो आज 93 ग्राम पंचायतों को अपने आप में समेटे हुए जिले का सबसे बड़ा विकासखण्ड है।

बगीचा तहसील का अनुविभागीय क्षेत्र सरगुजा के सीमांत पाठ क्षेत्र के बुरजुडीह, सुलेसा, दनगरी, सन्ना, सोनक्यारी,बेलवार, मुढ़ी, सोनगेरसा, सारुढाब, पन्डरापाठ, छिरोडीह, कामारिमा,डोभ,फूलझर,बेडेकोना समेत बगीचा के निचले व बगीचा,रेंगले, सूतरी, बेन्द, कलिया, बछरांव, नारायणपुर,मरोल,कांसाबेल के बगिया से पहले तक है।

लगभग 2000 वर्ग किमी में फैला यह बगीचा अनुभाग वर्तमान जशपुर जिला मुख्यालय से 100 से 150 किलोमीटर की दूरी पर है।वहीं हर काम के लिए जिला मुख्यालय आने जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।बगीचा अनुभाग के सन्ना तहसील,कांसाबेल व बगीचा तहसील को मिलाकर बगीचा क्षेत्रवासियों के लिए खु़िड़या जिला की आधारशिला रखी जा सकती है।जिससे यहां के हर वर्ग के लोगों का चहुंमुखी विकास होगा।

भौगोलिक क्षेत्रफल समेत जनसंख्या की दृष्टि से बगीचा अनुविभाग जिले का सबसे बड़ा भाग है।जहां बगीचा,सन्ना व कांसाबेल तहसील शामिल हैं।यहां पिछले 23 वर्षों में विकास के नाम पर कुछ भी खास नहीं हुआ।नैसर्गिक सुंदरता और खनिज से भरे भण्डार होने के बाद भी बेहतर शिक्षा, उन्नत स्वास्थ्य, रोजगार समेत मूलभूत सुविधाओं से अब तक यहां के लोग वंचित हैं।

पूर्व में बगीचा विधानसभा क्षेत्र हुआ करता था जो 2008 के परिसीमन में विलोपित कर दिया गया जिसके बाद यहां विकास को ग्रहण लग गया। काफी लंबे समय से बगीचा का खुड़िया क्षेत्र पिछड़ेपन का दंश झेलता आ रहा है। वहीं पहाड़ी कोरवा समाज की दुर्दशा जस की तस बनी हुई है।कई दशकों से खुड़ियावासी वोट बैंक बनकर राजनैतिक पार्टियों को सत्तासुख देते आ रहे है।इसके बावजूद क्षेत्र के विकास के नाम पर यहां लोगों को छलावा मिल रहा है।

आज अपने ही अस्तित्व के लिए खुड़ियावासी तरसते नजर आ रहे हैं। इस क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए बगीचा समेत पठारी क्षेत्र को खुड़िया जिला का दर्जा दिया जाना यहां के पहाड़ी कोरवा समेत क्षेत्रवासियों के हित में होगा।

महोदय से निवेदन है कि छत्तीसढ़ की संवेदनशील सरकार पहाड़ी कोरवा जनजाति व खुड़िया क्षेत्रवासियों के विकास के लिए देश का पहला कोरवा जिला खुड़िया जिला बनाए जाने की ओर अग्रसर होगी।हमें विश्वास है कि प्रदेश के मुखिया श्री भूपेश बघेल जी इस दिशा में सार्थक पहल कर बगीचा क्षेत्रवासियों के विकास के लिए अभिनव पहल कर बगीचा को नए जिला की सौगात प्रदान करेंगे।

जब आप विपक्ष के नेता थे तब आपने खुड़िया क्षेत्र के सुदुर वनांचल में पैदल यात्रा की है और पहाड़ी कोरवा जाति जनजाति समाज की दुर्दशा अपने आंखो से देखी है। इसी संवेदनशीलता के बाद खुड़ियाक्षेत्र की जनता की आस जगी कि उनके खुड़िया क्षेत्र का स्वतंत्र अस्तित्व स्थापित होगा और विश्व पटल पर राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पहाड़ी कोरवा बाहुल क्षेत्र में उनके सम्पूर्ण विकास के लिए स्वतंत्र जिले की परिकल्पना साकार होगी।

जिससे खुड़िया क्षेत्र में नई सामाजिक,राजनैतिक,आर्थिक व सांस्कृतिक संभावनाओं का विस्तार होगा और क्षेत्र समृद्धि की दिशा में अग्रसर होगा।प्रदेश की सरकार यदि कोरवा जनजाति के उत्थान के लिए बगीचा को खु़िड़या जिला घोषित करती है तो यह पूरे देश में पहला ऐसा प्रयास होगा जिससे सरकार को एक नया आयाम मिलेगा वहीं अति विशिष्ट जनजाति के संरक्षण के लिए सरकार का प्रयास स्वर्णाक्षरों में अंकित किया जा सकेगा।

आगामी 1 माह के अन्दर बगीचा को खुड़िया जिला बनाने की दिशा में सरकार यदि कोई पहल नहीं करती है तो यहां की जनता सड़क पर उतरकर उग्र आन्दोलन,धरना प्रदर्शन के लिए बाध्य होगी।अब देखना होगा कि सरकार इस दिशा में क्या पहल करती है ।पहले ही जिले में पत्थलगांव को जिला बनाने की मांग लंबित है वहीँ अब बगीचा को खुड़िया जिला बनाए जाने की मांग से जशपुर का अस्तित्व खतरे में आ गया है ।

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