
रसोइया हड़ताल पर अभिभावक तैयार कर रहे है बच्चो का मध्याह्न भोजन–


पखांजुर से बिप्लब कुण्डू–4.10.22
रसोइया हड़ताल पर अभिभावक तैयार कर रहे है बच्चो का मध्याह्न भोजन–
पखांजूर–
रसोईयों की हड़ताल के चलते एक माह से स्कूलों में मध्यान भोजन की व्यवस्था डगमगाई हुई है। पर विकासखंड कोयलीबेड़ा के ग्राम मराकचुआ में सभी ग्रामीणों ने अपनी स्वंम की व्यवस्था बना स्कूल में मध्यान भोजन बनाने की काम संभाल लिया है। ग्राम मरकाचुआ के ग्रामीणों की यह व्यवस्था अन्य ग्रामों के लिए भी एक बेहतर उदाहरण है जहां आज भी स्कूलों में रसोइयों के हड़ताल के चलते मध्यान भोजन बंद चल रहा है।
प्रदेश भर के स्कूलों में मध्यान भोजन बनाने वाले रसोइयों ने दिनांक 4 सितंबर से प्रदेश व्यापी हड़ताल शुरू कर दी है। और सात सिंबतर से सभी रसोइयों ने विकासख्ंाड मुख्यालयों में धरना शुरू कर दिया है इसके बाद से ही स्कूलों में लगभग सभी स्कूलों में मध्यान भोजन बंद पड़ा हुआ है। इनकी इस हड़ताल का सबसे बुरा असर आदिवासी अंचल की स्कूलों में पड़ा है। इन स्कूलों के छात्र बेहद गरीब परिवार से आते है जहां पालक उन्हें टिफिन भी नहीं दे पाते एसे में स्कूलों में छात्रों की उपस्थिती में गिरावट आई है। पर विकासखंड कोयलीबेड़ा के ग्राम मरकाचुआ के ग्रामीणों ने इस मामले में वेहतर उदाहरण प्रस्तुत करते हुए स्कूलों के मध्यान भोजन की व्यवस्था पूरे ग्राम के लोगों ने संभाल ली है। यहां भी दिनांक 4 सितंबर से प्राथमिक शाला तथा माध्यमिक शाला में मध्यान भोजन बनना बंद हो गया। जिसके बाद शिक्षकों ने छात्रों को रोज टिफिन ले कर आने को कहा पर शाला का एक भी छात्र टिफिन नहीं लाता था और दोपहर 2 बजे के बाद अधिकांश छात्र घर चले जाया करते थे। माध्यमिक शाला में कुछ दूर के दो गांव भुरभुसी तथा मुरडोडा के भी छात्रा आया करते थे वे भी मध्यान भोजन बंद होने के बाद स्कूल आना बंद कर दिया। इसके बाद स्कूल में मध्यान भोजन की व्यवस्था स्वंम शिक्षकों ने सभांली पर शाला में पहले ही शिक्षकों की कमी होने के कारण इसका असर स्कूल की पढ़ाई पर पड़ा। इसकी जानकारी जब ग्राम पंचायत के उप सरपंच मरकाचुआ निवासी संतोष कोसरा तथा शाला प्रबंधन समिती के अध्यक्ष सुरेश जैन तथा जगदेव नेताम को मिली तो उन्होनें ग्राम में बैठक बुलाई और शिक्षकों को खाना बनाने से मना किया और पूरी व्यवस्था ग्रामीणों ने संभाल ली। रोज गांव के तीन घर के एक एक सदस्य की डियूटी स्कूल में खाना बनाने में लगाई जाती है। रोस्टर प्रणाली के तहत प्रत्तेक तीन घरों से रोज एक एक सदस्य माध्यमिक तथा प्राथमिक शाला के सभी छात्रों के लिए एक साथ खाना बनाते है। इस व्यवस्था के बाद से स्कूल में समान्य दिनों की तहर ही मध्यान भोजन का संचालन हो रहा है। प्राथमिक शाला के प्रधान पाठक मंगलू नाग ने बताया की मध्यान भोजन बनने से दोनों स्कूलों के छात्र अब स्कूल भी आने लगे है।