रायगढ़ की 59 वर्षों की गौरवशाली रामलीला परंपरा समाजसेवी रामचंद्र शर्मा ने की भगवान विष्णु जी की आरती

रायगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर और आस्था का केंद्र, पिछले 59 वर्षों से अनवरत संचालित हो रही प्रसिद्ध रामलीला का शुभारंभ अत्यंत श्रद्धा और उल्लास के साथ किया जा रहा है। शनिवार को रामलीला मंचन और पूजन समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर रायगढ़ प्रसिद्ध शिक्षाविद और समाजसेवी रामचंद्र शर्मा ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत किया हैं। कार्यक्रम में भगवान विष्णु की आरती और मंगलाचरण समारोह का शुभारंभ पारंपरिक मंगलाचरण के साथ हुआ। मुख्य अतिथि राम चन्द्र शर्मा का ने मंच पर विराजमान कलाकारों की ओर से, भगवान राम के स्वरूप, यानी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान विष्णु की भव्य आरती उतारी। दीप प्रज्ज्वलन और आरती के दौरान पूरा पंडाल ‘जय श्री राम’ और ‘जय श्री हरि’ के जयकारों से गूँज उठा। इस दौरान समिति के सभी पदाधिकारी और दर्शक गण भाव-विभोर हो गए। आरती के पश्चात, राम चन्द्र ने अपने उद्बोधन में रामलीला के 59 वर्षों के सफर को नमन किया। रायगढ़ के रामलीला मैदान में स्थानीय कलाकारों द्वारा रामलीला का भावपूर्ण मंचन किया जा रहा है, जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में दर्शक उपस्थित हो रहे है। रामलीला समिति के अध्यक्ष दीपक पांडेय ने मुख्य अतिथि और सभी गणमान्य नागरिकों का आभार व्यक्त किया। यह रामलीला अगले चार दिनों तक चलेगी और समाज को भगवान राम के आदर्शों से जोड़े रखेगी।

इतने वर्षों तक परंपरा को जीवित रखना अपने आप में एक तपस्या : राम चन्द्र शर्मा

कार्यक्रम में दर्शक और आम नागरिकों को संबोधित करते हुए रायगढ़ के प्रसिद्ध शिक्षाविद समाजसेवी रामचंद्र शर्मा ने कहा कि यह रामलीला मात्र एक नाट्य मंचन नहीं है, बल्कि हमारी अविस्मरणीय संस्कृति और अटूट आस्था का प्रतीक है। लगातार 59 वर्षों तक इस पवित्र परंपरा को जीवित रखना अपने आप में एक तपस्या है, जिसके लिए आयोजक मंडल और स्थानीय जनता साधुवाद के पात्र हैं।”उन्होंने अपने संबोधन में भगवान राम के आदर्शों और मूल्यों पर विशेष ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि राम का जीवन चुनौती स्वीकारने का संदेश देता है: उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे भगवान राम के जीवन से प्रेरणा लें, जिन्होंने हर संघर्ष और चुनौती को स्वीकार कर धर्म और सत्य के मार्ग को प्रशस्त किया। उन्होंने वर्तमान पीढ़ी से मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के पारिवारिक मूल्यों, कर्तव्यपरायणता और बड़ों के प्रति आदर के भाव को अपने जीवन में उतारने की अपील की, जो आज के समाज के लिए अत्यंत आवश्यक है।

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