जानिए सूर्य का धार्मिक महत्व और ये किस तरह हमारे जीवन को प्रभावित करता है !

आज से दो दिन बाद सप्तमी तिथि को रथ सप्तमी (Ratha Saptami) आती है. माना जाता है कि आज के दिन ही कश्यप ऋषि और अदिति के संयोग से भगवान सूर्य का आविर्भाव हुआ था. इस दिन ही उनके सात घोड़ों ने उनके रथ को वहन करना शुरू किया था और पूरी सृष्टि में प्रकाश ही प्रकाश फैल गया था. इसीलिए ये दिन रथ सप्तमी के नाम से प्रचलित हो गया. इस दिन को सूर्यदेव (Surya Dev) के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है. इसे अचला सप्तमी (Achala Saptami), पुत्र सप्तमी (Putra Saptami) और आरोग्य सप्तमी (Arogya Saptami) के नाम से भी जाना जाता है. इस बार रथ सप्तमी 7 फरवरी को मनाई जाएगी. इस मौके पर जानिए कि सूर्य देव की महिमा औ वे किस तरह से हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं.

स्वयं श्रीकृष्ण ने बताई है सूर्यदेव की महिमा

भविष्य पुराण में भगवान श्री कृष्ण ने सूर्यदेव की महिमा को बताते हुए कहा है कि सूर्य से बढ़कर संसार में दूसरा कोई देव नहीं है. वो धरती के प्रत्यक्ष देवता हैं, जिन्होंने पूरे संसार को प्रकाशमय बनाया है. प्रकाश ही सकारात्मकता और ऊर्जा का प्रतीक है. मनुष्यों के शरीर में प्रकाशरूपी जो आत्मा है, वो वास्तव में सूर्य का ही प्रतिबिम्ब है. भविष्य पुराण के मुताबिक सारा जगत प्रकाश से ही उत्पन्न हुआ है और प्रकाश में ही विलीन हो जाएगा.

श्रीराम ने रावण वध से पहले की थी उपासना

वाल्मीकि रामायण में बताया गया है कि रावण से युद्ध करते समय प्रभु श्रीराम काफी थक गए थे क्योंकि रावण भी बहुत शक्तिशाली था. तब महर्षि अगस्त्य ने उन्हें आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करके सूर्य की पूजा करने की सलाह दी. श्रीराम ने ऐसा ही किया और इसके बाद उनके शरीर में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ और उन्होंने रावण का वध किया और युद्ध में विजयी हुए.

श्रीकृष्ण का पुत्र हुआ था रोग मुक्त

भगवान श्रीकृष्ण का पुत्र सांब काफी उद्दंडी था. उसने एक बार दुर्वासा ऋषि का अपमान कर दिया. जिसके बाद दुर्वासा ऋषि ने उसे कुष्ठ रोगी होने का श्राप दे दिया. तब भगवान श्रीकृष्ण ने उसे सूर्य उपासना करने के लिए कहा था. सूर्य उपासना से रथ सप्तमी के दिन सांब कुष्ठ रोग से मुक्त हुआ था. इस कारण सूर्य को आरोग्यदाता कहा जाने लगा. रथ सप्तमी को भी आरोग्य सप्तमी के नाम से जाना जाता है.

मान-सम्मान दिलाने वाला ग्रह

ज्योतिष के लिहाज से भी सूर्य को बहुत महत्वपूर्ण ग्रह माना गया है. सूर्य को ग्रहों का राजा माना गया है और मान सम्मान दिलाने वाला ग्रह कहा गया है. कहा जाता है कि अगर कुंडली में सूर्य मजबूत हो तो व्यक्ति खूब तरक्की करता है, निरोगी रहता है और यश प्राप्त करता है. ज्योतिष की शाखा वास्तु के नियम भी सूर्य की किरणों पर ही आधारित हैं. सूर्य का प्रकाश तमाम हानिकारक कीटाणुओं को नष्ट करता है.

आयुर्वेद में सूर्य के प्रकाश को बताया गया है फायदेमंद

आयुर्वेद में भी सूर्य की महिमा के बारे में बताया गया है. सूर्य का प्रकाश शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है. सूर्य से हमारे शरीर को विटामिन डी मिलता है जो शरीर में कैल्शियम को अवशोषित करने में मददगार माना जाता है. विटामिन डी से शारीरिक कमजोरी, हड्डियों की कमजोरी और जोड़ों में दर्द जैसी परेशानियां दूर होती हैं. सूर्योदय के दौरान अगर सूर्य की लालिमा को देखा जाए तो आंखों की रोशनी बढ़ती है और त्वचा के तमाम रोगों से मुक्ति मिलती है.

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