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सफलता की कहानी: नीम बीज संग्रहण में जुटी चार हजार से अधिक ग्रीन आर्मी की महिलाएं,….. 630 लीटर नीम तेल और 1200 किलो खली किया गया तैयार….. औषधीय गुणों के जानकार खरीद रहे हाथों-हाथ

धमतरी 26 दिसम्बर 2020/ वैसे तो राह चलते, सड़क किनारे हमने अनेक बार नीम के पेड़ देखे हैं। उसकी औषधीय गुणों के बारे में भी अक्सर दादी-नानी से सुनते आ रहे हैं। मगर व्यवसायिक तौर पर इसका फायदा कैसे हो ? यह शायद अमूमन लोग नहीं जानते। बात चाहे नीम के पत्ते, छाल या फिर बीज की हो, यह पूरा पेड़ औषधीय गुणों से लबरेज है। गर्मी के दिनों में तपिश के बीच चलती हवा के साथ नीम के बीज पेड़ों से पककर गिरते देखे जा सकते हैं। यह निंबोली अक्सर पत्ते और धूल के बीच पड़े रहकर कचरे में तब्दील हो जाती है।

ऐसे में धमतरी जिले में एक अनूठी पहल जिला प्रशासन ने कलेक्टर श्री जय प्रकाश मौर्य के मार्गदर्शन और मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्रीमती नम्रता गांधी के निरीक्षण में की। यह था जिले की ग्रीन आर्मी की महिलाओं को नीम बीज संग्रहण का जिम्मा सौंपने का। जिले में लगभग 16 हजार नीम के पेड़ हैं। स्वच्छ भारत मिशन के तहत 623 गांव में ग्रीन आर्मी गठित है।
इसमें 08-10 महिलाएं बतौर ग्रीन आर्मी साफ-सफाई के काम से जुड़ी हैं। जून महीने में जब नीम के बीज पककर गिरने लगे तो इन महिलाओं को साफ-सफाई के साथ बीज एकत्र करने का काम दिया गया। ग्रीन आर्मी की महिलाओं ने सात टन नीम बीज जिले में एकत्र किए। इसे सुखाकर छाती स्थित मल्टी युटिलिटी सेंटर प्रोसेसिंग के लिए भेजा गया। यहां कार्यरत महिला समूह ने छिलके से बीज (चिरोंजी) निकाली, जो लगभग दो टन एक सौ किलो था। इसी बीज से 630 लीटर तेल और एक टन दो सौ किलो खली निकला। नीम बीज का तेल और खली दोनों ही काफी उपयोगी होते हैं। कुदरती गुणों से भरे नीम बीज के तेल को जानकार लोग हाथों-हाथ खरीदने छाती पहुंचने लगे। यहां प्रति लीटर नीम तेल चिल्हर में ढाई सौ रूपए और 50 लीटर से अधिक क्रय करने पर 230 रूपए प्रति लीटर में बिक्री के लिए रखा गया।

धमतरी के हाउसिंग बोर्ड काॅलोनी के आयुर्वेद चिकित्सक डाॅ.दिनेश नाग, जो कि निजी क्लीनिक संचालित करते हैं, उन्होंने जब इसके बारे में सुना तो वे खुद को रोक ना पाए और छाती से नीम तेल खरीद लिए। उनका कहना है कि आज कल चर्म रोग जैसे दाद-खाज, सोरासिस काफी लोगों को होता रहता है। ऐसे में नीम तेल को आयुर्वेदिक और औषधीय गुणों की वजह से उपचार हेतु उपयोग में लाया जाता है। उनका कहना है कि चूंकि उन्होंने ’ओज’ के द्वारा तैयार किए गए इस नीम तेल की गुणवत्ता को परखा, तो उन्हें यह काफी शुद्ध लगा। इस वजह से ढाई सौ रूपए लीटर की दर से उन्होंने दस लीटर तेल खरीद लिया। मार्केट में इसकी कीमत काफी ज्यादा है। आगे भी जरूरत के हिसाब से वे नीम तेल यहां से खरीदेंगे, जिससे कि स्थानीय स्तर पर महिला समूह द्वारा संग्रहित, प्रोसेस्ड और पैक्ड नीम का शुद्ध तेल उपचार के लिए उपयोग कर सकें। पंचकर्म थेरेपी के दौरान उनके मरीजों को भी यह तेल काफी प्रभावित कर रही, ऐसा डाॅ.नाग का कहना है।

नगरी के ग्राम पंचायत बांधा की ग्रीन आर्मी स्वच्छाग्राही श्रीमती नर्मदा मण्डावी का कहना है कि गांव की साफ-सफाई करते हुए नीम बीज संग्रहण के दौरान यह एहसास हुआ कि नीम के पत्ते, शाख के अलावा इसके निंबोली भी बड़े काम के हैं।इसी तरह छाती मल्टीयुटिलिटी सेन्टर से जुड़ी महिला समूह की सदस्य श्रीमती मधु चन्द्राकर का कहना है कि नीम बीज प्रोसेसिंग के समय समूह की महिलाओं को बीज की उपयोगिता की जानकारी मिली। पहले हमें नीम बीज के इतने सारे औषधीय गुणों के बारे में जानकारी नहीं थी, यह हम सबके लिए एक नया अनुभव रहा।
ध्यान देने वाली बात है कि नीम तेल के औषधीय गुणों के जानकार तो इसे छाती पहुंच कर खरीद ही रहे हैं, वहीं मण्डला के वन विभाग ने भी छाती मल्टी युटिलिटी सेंटर से 20 लीटर नीम तेल खरीदा है। इसके अलावा नीम बीज की खली जो लगभग एक टन दो सौ किलो निकली है, उसे कृषि, उद्यानिकी विभाग और किसानों द्वारा जैविक खाद के रूप में उपयोग करने 20 रूपए प्रति किलो में खरीदा जा रहा है। नीम बीज के औषधीय गुणों को ध्यान में रख आयुर्वेदिक और एलोपेथिक दवाइयां बनाने वाली फर्मों से टाई-अप करने की जिले में योजना है। ताकि भविष्य में नीम बीज का तेल निकालने का कार्य और बड़े पैमाने पर कर, इसके संग्रहण, प्रोसेसिंग और पैकेजिंग में लगी समूह की महिलाओं को ज्यादा लाभ पहुंचाया जा सके।

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