
रायपुर। छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़ में मिले 28 करोड़ साल पुराने समुद्री जीवाश्म को राज्य सरकार एक वैज्ञानिक और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने जा रही है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में सरकार ने इस ऐतिहासिक खोज को प्राथमिकता देते हुए मैरीन फॉसिल्स पार्क बनाने की दिशा में काम शुरू कर दिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह खोज छत्तीसगढ़ के लिए गर्व की बात है। इससे वैज्ञानिक शोध को बढ़ावा मिलेगा और पर्यटन क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। राज्य सरकार प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण और विकास के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
एशिया का सबसे बड़ा जीवाश्म स्थल बनने की ओर मनेंद्रगढ़
पुरातत्व विभाग के नोडल अधिकारी डॉ. विनय कुमार पांडेय ने बताया कि यह एशिया का सबसे बड़ा जीवाश्म स्थल है, जहां देश-विदेश से वैज्ञानिक और पुरातत्ववेत्ता अध्ययन के लिए आएंगे। कार्बन डेटिंग से यह पुष्टि हुई है कि यह जीवाश्म 28 करोड़ वर्ष पुराना है। इसकी सबसे पहली खोज 1954 में डॉ. एस.के. घोष ने की थी। इसके बाद जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) कोलकाता और बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट लखनऊ की टीमों ने इस पर शोध किया।
वैज्ञानिकों के अनुसार, समुद्री था यह क्षेत्र
शोधकर्ताओं के अनुसार, 28 करोड़ साल पहले वर्तमान हसदेव नदी के स्थान पर एक विशाल ग्लेशियर था, जो समय के साथ समुद्र में परिवर्तित हो गया। समुद्री जीव-जंतु इस क्षेत्र में आए और बाद में विलुप्त हो गए, लेकिन उनके अवशेष जीवाश्म के रूप में संरक्षित रह गए।
वर्ष 2015 में बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियो साइंसेज लखनऊ के वैज्ञानिकों ने भी इस खोज की पुष्टि की थी। यह प्रमाणित करता है कि इस क्षेत्र में कभी समुद्र था, जो प्राकृतिक परिवर्तन के कारण हट गया।
नेशनल जियोलॉजिकल मोनुमेंट घोषित क्षेत्र
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने 1982 में इस क्षेत्र को “नेशनल जियोलॉजिकल मोनुमेंट” घोषित किया था। राज्य सरकार इस स्थल को बायोडायवर्सिटी हेरिटेज साइट के रूप में विकसित करने जा रही है, जिससे यह वैज्ञानिकों और पर्यटकों के लिए शोध और अध्ययन का केंद्र बनेगा।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि यह परियोजना छत्तीसगढ़ की वैज्ञानिक और ऐतिहासिक धरोहर को सहेजने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आने वाले समय में यह क्षेत्र वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिकों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा।