395 दिन में 478 हादसे और गई 380 लोगों की जान

जिले में उद्योगों के आने के बाद भारी वाहनों की संख्या में व्यापक स्तर में इजाफा हुआ है ये भारी वाहन मौत रूपी वारंट लेकर सड़को में दौड़ रही है, जिसका दंश छोटे व बाइक चालक को झेलना पड़ रहा है।

रायगढ़। जिले में उद्योगों के आने के बाद भारी वाहनों की संख्या में व्यापक स्तर में इजाफा हुआ है ये भारी वाहन मौत रूपी वारंट लेकर सड़को में दौड़ रही है, जिसका दंश छोटे व बाइक चालक को दुर्घटना में असमय काल के आगोश में समाकर चुकानी पड़ रही है। ऐसे में जिले में नए वर्ष 2022 में अब तक 18 लोगो की मौत हो चुकी है। जबकि 1 जनवरी 2021 से कुल 395 दिन में 478 हादसे घटित हुई है। इन दुर्घटना में 380 लोग चपेट में मृत्यु लोक में गए है ।वहीं कई लोग अपंगता का दंश आजीवन झेलने को मजबूर है। इन हादसो पर लगाम लगाने जरूरी कार्रवाई में जिम्मेदार विभाग व प्रशासनिक अधिकारी उदासीनता बरतते है। जिसकी वजह से सड़क हादसे में मरने वाले लोगो का ग्राफ भी बढ़ गया है।

जिले की सड़क दुघर्टनाओं के नाम से जाना पहचाना जाने लगा है । हादसों की वजह से लोगो को समय काल के आगोश में जाना पड़ रहा है। हादसे को रोकने के लिए यातायात विभाग प्रयास कर रहा है लेकिन जमीनी स्तर में यह विफल हो रहा है। जिसका उदाहरण हादसे के रिपोर्ट आंकड़े पर से प्रतीत हो रहा है। आलम यह है कि गत वर्ष लाकडाउन के डेढ़ माह वाहनों के पहिए थमे हुए थे परंतु हर माह औसतन 21 लोगो की खून से जिले की विभिन्ना सड़क लाल हुई है। सड़क हादसे में वर्ष 2019 में 281 लोग जान गवाए थे यह आंकड़ा वर्ष 2021 इससे पार होकर अब तक 362 में पहुंच गया है । इस लिहाज से हादसे को रोकने के लिए जिला प्रशासन को संवेदनशील बरतना होगा और सड़को में फ़र्राटे भर रही भारी वाहनों की रफ्तार व नियमों के विपरीत चलने पर नकेल कसने की दरकार है ।

रफ्तार और नशा बना कहर, नकेल कसना जरूरी
सड़क दुर्घटनाओं में अधिकांश मौत भारी वाहनों के चपेट में आने से होती है। दिन में हो या फिर रात के समय भारी वाहन के चालक बेकाबू रफ्तार से गाड़ियों का चालन करते हुए दुर्घटनाओं को अंजाम देते हैं। जिसमें नशा भी एक बड़ा कारक रहता है। इसकी पुष्टि गाहे-बगाहे होने वाली सड़क दुर्घटनाओं से होती है। चालक दुर्घटना को अंजाम देने के बाद मौके से फरार हो जाते हैं जिसे पुलिस भी पकड़ने में विफल रहती है और फाइल को कुछ माह बाद बंद हो जाता है जिससे मृतकों के परिजनों को यह भी ज्ञात नही हो पाता है कि उनके घर का चिराग बुझाने वाला आरोपित कौन है। ऐसे में यातायात व पुलिस को ऐसे चालकों पर कार्रवाई करने की जरूरत है।ताकि दुर्घटनाओं में कुछ कमी आ सके।

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