
हलताड़ में शिक्षक पर स्कूल में बच्चे खेल-खेल में बिता रहे है समय, बच्चे ही बच्चों को पढ़ाने मजबूर
बलौदाबाजार,
फागुलाल रात्रे, लवन।
बलौदाबाजार जिले के 735 शिक्षक हड़ताल पर है। शिक्षकों के हड़ताल पर चले जाने से स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित हो रही है। सहायक शिक्षक संघ वेतन विसंगति दूर नहीं होने से नाराज है, इसलिए शिक्षक फेडरेशन के पदाधिकारी व सदस्य 11 दिसम्बर से अनिश्चित कालीन हड़ताल पर बैठ गए है। शिक्षक संघ ने सबसे पहले ब्लाॅक स्तर में 11 व 12 दिसम्बर को अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। जिसके पश्चात 13 दिसम्बर को विधानसभा का घेरा किया गया। 15 दिसम्बर को जेल भरो आंदोलन, 19 दिसम्बर को चक्का जाम किया गया। इसी दिन हड़ताल का समर्थन करने किसान नेता राकेश टिकैत भी रायपुर पहुंचे हुए थे। उन्होंने शिक्षकों की मांगों को जायज बताते हुए जल्द ही पूरा करने की अपील छत्तीसगढ़ सरकार से किए है। इसके बाद 20 व 21 दिसम्बर को सुआ, पंथी नृत्य करके शिक्षक-शिक्षिकाओं के द्वारा वेतन विसंगति को दूर करने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर डटे हुए है। शिक्षक संघ अपनी मांगों को लेकर भूख हड़ताल से लेकर जेल भरो आंदोलन तक सफर तय कर चूके है, इसके बावजूद सरकार द्वारा शिक्षकों की मांग को पूरा नहीं किया गया।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष कोरोना काल होने की वजह से दो माह देर से पढ़ाई शुरू हुई है। पिछले 2020 से कोरोना काल होने की वजह से बच्चों की पढ़ाई ढप हो गई है। शिक्षकों के हड़ताल पर चले जाने से प्राथमिक स्कूल के बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह प्रभावित हो रही है। बच्चे खेल-खेल में समय व्यतीत कर रहे है। वही, कुछ स्कूलों में बच्चें ही बच्चों को पढ़ाते हुए देखे जा सकते है। हालांकि शिक्षा विभाग की ओर से मिडिल स्कूल के शिक्षक को प्राथमिक स्कूल की जिम्मेदारी सौंपी गई है। मिडिल स्कूल के शिक्षकों के प्रायमरी स्कूल स्कूल में चले जाने से मिडिल स्कूल की पढ़ाई प्रभावित होगी। अधिकांश स्कूलों में केवल सहायक शिक्षक होने की वजह से सभी हड़ताल पर चले गए है। ऐसे में स्कूल बंद होने के कगार पर पहुंच चूके है। हालांकि मिडिल स्कूल के एक, दो शिक्षक को भेजकर स्कूल संचालित किया जा रहा है। वही, शिक्षकों के हड़ताल पर चले जाने से बच्चों के भी मजे हो गए है। ऐसी ही दशा रही तो आगामी दिनों में बच्चों की उपस्थिति पर भी असर होगा। आॅनलाईन पढ़ाई की वजह से शिक्षा का स्तर पहले से ही कमजोर है। ऐसे में हड़ताल से छोटे बच्चों का शैक्षणिक भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है।