
जिले में बेटी-बचाओ, बेटी पढ़ाओ का दिख रहा सकारात्मक असर
बेटा-बेटी के बीच समभाव उत्पन्न करने को सभी को करने होंगे प्रयास : डॉ. एसएन केशरी
रायगढ़ 22 जनवरी 2021. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 2008 में भारत की पहली प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल संभालने के दिनांक 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाये जाने का फैसला लिया गया। तब से 24 जनवरी को प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जा रहा है।
हाल ही में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 की रिपोर्ट जारी हुई है जिसमें रायगढ़ जिले के लिए अच्छी बात यह है कि महिलाओं की तादात बीते 5 वर्षों में बढ़ी है। 2015-16 के प्रति 1000 में 985 महिलाओं के मुकाबले लिंगानुपात 2020-2021 में 1023 तक पहुंच गया है। यानी जिले में बेटी-बचाओ,बेटी पढ़ाओ मुहिम का अच्छा प्रभाव पड़ा है।
इस सम्बन्ध में महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी टिकवेंद्र जाटवर ने बताया: “इस बार बालिका दिवस पर विभाग सभी ब्लॉकों के प्रमुख, यूनिसेफ के प्रतिनिधि के साथ वर्चुअल बैठक की जाएगी।जिस पर आगामी दिनों में बालिकाओं के बेहतर स्वास्थ्य और जनजागरूकता के कार्यों पर चर्चा की जाएगी।“
जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एस टोप्पो ने बताया: “कोविड के लगातार बढ़ते मामलों के मद्देनजर इस वर्ष बालिका दिवस के सारे ग्राउंड कार्यक्रमों को स्थगित कर ऑनलाइन कार्यक्रम किये जा रहे हैं। जिसमें बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, किशोरी स्वास्थ्य की देखभाल जैसे मुद्दों पर विभाग की टीम द्वारा प्रचार प्रसार किया जा रहा है। सोशल मीडिया के माध्यम से जहां जागरूकता फैलाई जा रही है वहीं रेडियो और प्रचार के सभी माध्यमों को उपयोग में लाकर बालिका दिवस को मनाया जा रहा है।“
किशोरियों को किया जाएगा जागरूक
माहवारी स्वचछता प्रबंधन की जिला नोडल अधिकारी मोनिका ईजारदार ने बताया: “बालिका दिवस पर हमारी टीम वृहद पैमाने पर जनजागरूकता का कार्यक्रम करती है लेकिन इस बार कोविड के कारण सभी कार्यक्रमों को छोटे रूप में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मनाया जा रहा है। जिले के सभी ब्लॉकों में लक्षित महिलाओं और किशोरियों को स्व सहायता समूह की दीदियों के माध्यम से माहवारी के बारे में जागरूक करेंगे और सैनेटरी पैड के उपयोग के महत्व को बताएंगे। साथ ही उनमें सैनेटरी पैड का निशुल्क वितरण भी किया जाएगा।“
सभी को मिलकर काम करना होगा :सीएमएचओ डॉ. केशरी
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एसएन केशरी कहते हैं: “देश की बेटियों की आज लगभग हर क्षेत्र में हिस्सेदारी है लेकिन एक दौर ऐसा था, जब लोग बेटियों को पैदा करना ही नहीं चाहते थे और लिंग परिक्षण कराकर गर्भपात भी कराते थे |बेटों और बेटियों में भेदभाव, उनके साथ होने वाले अत्याचार के खिलाफ देश की आजादी के बाद से ही भारत सरकार प्रयासरत हो गई थी। बेटियों को देश में प्रथम पायदान पर लाने के लिए कई कानून (जैसे पी.सी.पी.एन.डी.टी. एक्ट) एवं योजनाएं (जैसे बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ) लागू किए गए। यह दिवस मनाने का उद्देश्य देष की बालिकाओं में उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता लाना है। समाज में उचित सम्मान एवं प्रत्येक क्षेत्र में समान अवसर मिले। 24 जनवरी को हर साल प्रदेश में जागरूकता लाने हेतु महिला सशक्तिकरण संबंधी विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। ताकि समाज में बेटा एवं बेटी में समानता की भावना उत्पन्न हो। इसके लिए हम सब मिलकर जन-जन को जागरूकता हेतु प्रेरित करें।“