होली में दामाद को गधे पर मीठा कर घुमाने की अनोखी परंपरा

गरियाबंद भूपेंद्र गोस्वामी आपकी आवाज

खुशियों का एक ऐसा पर्व है जिसमें सभी सराबोर होने को आतुर रहते है। यह त्यौहार पूरे भारत में उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। अलग-अलग राज्यों में होली मनाने का तरीका थोड़ा भिन्न हो सकता है मगर मकसद आपसी मतभेद, द्वेष, ऊंच-नीच का भेद भुलाकर आपसी भाईचारे के साथ खुशियां मनाना है।
वैसे होली पर रंग, गुलाल लगाने की परंपरा से तो आप भलीभांति वाकिफ है। मगर क्या होली पर गधे पर बिठाने की परंपरा को आप जानते है। यदि नही तो हम बताएंगे आखिर भारत के किस गांव में होली पर दामाद को गधे पर बिठाकर घुमाने की परंपरा है। साथ ही ये भी बताएंगे कि आखिर उस गांव में ये क्यों शुरू हुई और कब से लोग इस परंपरा को मनाते आ रहे है।
महाराष्ट्र के बीड जिले की केज तहसील का विडा येवता गांव। यही वो गांव है जहां होली के दिन दामाद को गधे पर बिठाकर पूरे गांव में घुमाया जाता है। खासकर जिन बेटियों की नई शादी होती है उनके पतियों को गधे पर बिठाकर गांव में घुमाने का रिवाज है। कई दामादों ने इससे बचने की कोशिश की, छुपे भी, मगर कामयाब नही हो पाए और गधे पर बैठकर गांव का चक्कर लगाना पड़ा।

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कहा जाता है कि गांव के लोग तकरीबन 80 साल से यह परंपरा निभा रहे है। सबसे पहले गांव के एक देशमुख परिवार के दामाद को गधे पर बिठाकर घुमाया गया था। हुंआ यूं कि दामाद ने रंग खेलने से मना कर दिया और कहीं जाकर छिप गया। सुसर ने दामाद को ढूंढ निकाला और फिर गधे पर बिठाकर उसे पूरे गांव में घुमाते हुए होली खेली गई। तब से विडा येवता में इस तरह होली खेलने की परंपरा की शुरुवात हुई। हालांकि कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गांव के आनंदराव देशमुख ने इस परंपरा की शुरुवात की थी।

बतादे कि विडा येवता में इस तरह धूमधाम से होली मनाने की परंपरा है। गधों को बकायदा फूलमालाओं से सजाया जाता है और फिर नए दामादों को उनपर बिठाकर रंग गुलाल लगाते हुए गांव में घुमाया जाता है। इस दौरान दामादों को उपहार भी भेंट किए जाते है। यहां की होली का देशभर के लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है। यहां नए दामादों को ना केवल गधों पर बैठकर होली खेली जाती है बल्कि कई दामादों को तो गधा भी उपहार स्वरूप भेंट कर दिया जाता है। हालाकिं कोरोना काल में यहां इस तरह होली नही खेली गई। इस साल फिर से अच्छी तरह होली मनाने की उम्मीद की जा रही है

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