वास्तु टिप्स: घर या प्लाट का कौन सा निचला हिस्सा देगा सफलताएं, कौन सा हिस्सा ला सकता है तबाही, जानें यहां

Vastu Tips, Vastu Shastra: वास्तु शास्त्र की द्रष्टि से यह भी जानना बहुत ही घर की जमीन का हिस्सा ऊंचा या नीचा क्या शुभ परिणाम देगा या अशुभ? मकान या प्लाट का प्रवेश द्वार उत्तर या पूर्व से भी हो, लेकिन जमीन के अलग अलग हिस्सों का ऊंचा यानि उन्नत और नीचा यानि अवनत होना शुभ और अशुभ की द्रष्टि से महत्वपूर्ण है.

वास्तु शास्त्र ने भूमि के अलग अलग हिस्सों के ऊंचा ( उन्नत ) और नीचे ( अवनत ) के फायदे और नुकसान बताए हैं. आइए यहां वास्तु शास्त्र के इन जरूरी नियमों को बहुत ही आसानी से समझ सकते हैं. आपने इस कड़ी में पहले भूमि के ऊपर ( उन्नत ) होने के लाभ और नुकसान जाने थे. अब आप वास्तु शास्त की इस कड़ी में आप भूमि के नीचे ( अवनत ) के फायदे और नुकसान से परिचित करवाएंगे.

  •  पूर्व दिशा में अवनत यानि भूमि नीची हो तो वास्तु के नियमों के मुताबिक यह शुभ होती है. यह वृद्धि कारक होती है.
  •  पश्चिम दिशा में अवनत यानि नीची हो तो वास्तु के नियमों के मुताबिक यह भूमि अशुभ फल देती है. ऐसी भूमि और वंश वृद्धि में बाधक होती है. अपकीर्ति और संतान के असामयिक मरने का अशुभ योग निर्मित करती है.
  •  उत्तर दिशा में अवनत यानि नीची हो तो भूमि वास्तु के नियमों के अनुसार, विकास, प्रगति और सुख देने वाली लाभकारक होती है.
  •  दक्षिण दिशा में अवनत यानि नीची भूमि वास्तु के नियमों के मुताबिक, दुःख, संताप और मौत का शोक भाव लाती है.
  •  आग्नेय यानि पूर्व-दक्षिण के बीच का हिस्सा अवनत यानि नीचा हो तो अग्निकांड की घटनाओं की संभावना बढ़ती है.
  •  ईशान दिशा यानि उत्तर-पूर्व का कोण भाग की भूमि अवनत यानि नीची हो तो यह सुख देने वाली होती है. संपत्ति की वृद्धि कारक होता है.
  • वायव्य यानि उत्तर -पश्चिम के बीच का हिस्सा हिस्सा अगर अवनत यानि नीचा हो तो तनाव, दुख, विषाद और उदिग्नता पैदा करता है.
  • नैऋत्य कोण में दिशा में अवनत यानि नीची हो तो वास्तु के नियमों के मुताबिक, यह भूमि घर की बर्बादी और धन को नष्ट करने का कारक बनती है.

 

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