छत्तीसगढ़राजनीती उठापटकरायगढ़लेख

निगम चुनाव दरवाजा खटखटा रहा, कइयों की प्रतिष्ठा दांव पर,तों किइयो के राजनीति भविष्य अस्त होने के कगार पर

,
रायगढ़ :अब नगर निगम चुनाव की सहकर्मी देखने को मिलने लगी है महापौर का निर्यण इस बार जनता को ही करना है चुनाव भी इस बार भाजपा समेत कांग्रेस में महापौर को लेकर दर्जनों उम्मीदवार लाइन लगाए बैठे हुए हैं तो दोनों ही प्रमुख पार्टियों के विरोधी खेमा भी उतना ही सक्रिय है महापौर के भावी प्रत्याशियों को लेकर आपसी चिता कसी भी प्रारंभ हो गई है वही इस बार ऐसे ऐसे कई दिग्गज पार्षदों का भाग्य का फैसला होना है जिन्होंने आपने आपकों विधायक के लिए भी अपनी दावेदारी कर रहे थे और ऐसे भी कई पुराने मठाधीश के राजनीती भविष्य अस्त होने के कगार पर है जो वार्ड के जनता को बिकास के नाम पर बेवकूफ बनाने का काम की है कईयों के आरक्षण होने पर उनका समीकरण भी बदल जाएगा क्योंकि दूसरे वार्ड में उनकी दाल नहीं गलेगी l

विदित हो की आगामी बमुस्किल 100 दिनों में रायगढ़ निगम चुनाव होने को है,18.9.2024 को वार्डों का आरक्षण भी हो जाएगा कई नए तों नए पुराने चेहरे वार्डों में अपनी संभावनाओं को टटोलने का भी कार्य शुरू हो चुका है।
वर्तमान में नगर निगम में कांग्रेस की सरकार है लिहाजा बचे दिनों का उपयोग करके अपनी छबि निखार कर चुनाव में अपनी स्थिति सुधार सकती है,ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्यों की शहर में विकास कार्य, साफ सफाई और डेंगू ने हवा निकाल दिया है औऱ हवा कांग्रेस के विपरीत चल रही है,भाजपा ने विधान सभा और लोक सभा चुनाव में कांग्रेस को शहर ने जबर दस्त झटका देकर चारों खाने चित्त कर दिया था।
बात करे तों भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश में सरकार है और रायगढ़ में विधायक भी भाजपा से है और प्रदेश सरकार में मंत्री भी है। ऐसी स्थिति में पार्टी के साथ साथ मंत्री की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगेगी। और उनमें नगर निगम में अपनी सरकार औऱ महापौर बैठाने की दिलचस्पी काफी ज्यादा है इसका जीता जगता उदाहरण इस बात पर लगाया जा सकता है की नगर निगम क्षेत्र के लिए एक से बढ़कर एक विकास कार्य करोड़ों रुपए का स्वीकृत की है हालांकि की कई विकास कार्य फिलहाल रुकी हुईं है या फिर किसी न किसी कारण शुरुआत नहीं हो हो पाई है बरसात या चक्रधर समारोह के बाद शहर बिकास कार्य में तेजी कार्य आए

विधानसभा चुनाव में रायगढ़ नगर के 118 मतदान केंद्रों में से 117 मतदान केंद्रों में भाजपा को एकतरफा लीड प्राप्त हुई थी, इसको बरकरार रखना भाजपा के लिए चुनौती होगी, खास करके मंत्री के लिए चुनौती है।जबकि विधानसभा एवं लोक सभा चुनाव के बाद राजनीती समीकरण काफी तेजी से बदल रहे है
शहर में मुख्य रूप से भाजपा और कांग्रेस में ही सीधी टक्कर वार्डों से लेकर सभापति, महापौर के चुनाव में होगी, जो दल अपनी एकता को प्रदाशित करके और उचित उम्मीदवार को चुनाव में उतारेगा उसी को सफलता प्राप्त होगी वरना बड़े बड़े नाम धरे के धरे रह जावेंगे।
अब बात करलें नगर निगम चुनाव के इतिहास की तो निगम बनने के बाद अब तक कोई भी पार्टी रिपिट चुनाव नहीं जीत सका है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button