कस्टम मिलिंग व्यवस्था चरमराई: 80 मिलर्स ने अब तक चावल नहीं किया जमा, नई धान खरीदी पर पड़ सकता है असर



रायगढ़। प्रदेश में कस्टम मिलिंग व्यवस्था एक बार फिर पटरी से उतर गई है। हर साल की तरह इस बार भी खरीफ सीजन का चावल उसी सत्र में जमा नहीं हो सका है। करीब 80 राइस मिलर्स ने अब तक वर्ष 2024-25 में उठाए गए धान का चावल जमा नहीं किया है, जिससे आगामी धान खरीदी प्रक्रिया प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है।

जिला प्रबंधक, छग स्टेट सिविल सप्लाईज कॉरपोरेशन रायगढ़ ने इस गंभीर लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष को पत्र लिखकर चावल शीघ्र जमा कराने के निर्देश दिए हैं। पत्र के साथ उन मिलर्स की सूची भी भेजी गई है, जिन्होंने अभी तक चावल जमा नहीं किया है।

जानकारी के अनुसार, एफसीआई और नागरिक आपूर्ति निगम में कुल 98,270 क्विंटल चावल जमा होना बाकी है। सरकार मिलर्स को मिलिंग के लिए पर्याप्त आवंटन दे रही है, लेकिन इसके बावजूद चावल समय पर जमा नहीं होने से धान की रिसायक्लिंग और फ्री सेल का खेल बढ़ता जा रहा है।

पिछले कई वर्षों से यही स्थिति बनी हुई है—धान उठाव के बाद भी मिलर्स एक वर्ष के भीतर चावल जमा नहीं कर पा रहे हैं। नतीजा यह है कि एक साल की मिलिंग का टारगेट अगले साल की खरीदी से टकरा रहा है।

इस साल 15 नवंबर से नए खरीफ वर्ष की धान खरीदी शुरू होने जा रही है, जबकि पुराना चावल अब तक जमा नहीं हुआ है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक, कई मिलर्स द्वारा पिछले साल उठाया गया धान मिल में शेष नहीं है, क्योंकि उसका चावल कूटकर बाजार में फ्री सेल के रूप में बेचा जा चुका है।

प्रशासन अब मिलर्स पर सख्त रुख अपनाने की तैयारी में है, ताकि भविष्य में कस्टम मिलिंग व्यवस्था समय पर संचालित हो सके और सरकारी धान खरीदी प्रभावित न हो।

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