
विश्व स्तनपान सप्ताह: मां का दूध मां और बच्चे के लिए है वरदान
स्तनपान को लेकर जिलेभर में हो रहे जागरूकता कार्यक्रम
शुरुआत के 6 महीने स्तनपान बच्चों को कई रोगों से करता है प्रतिरक्षित : डॉ ताराचंद पटेल
रायगढ़ 3 अगस्त 2021,मां का दूध बच्चे के लिए अमृत से कम नहीं है। इसके बाद भी महिलाएं भ्रांतियों के चलते अपने बच्चे को स्तनपान कराने से कतराती हैं। मां की बदलती सोच बच्चे के स्वास्थ्य पर असर डालती है। चिकित्सक जन्म के बाद बच्चों को मां का दूध पिलवाते हैं। इसके बाद कम से कम छह माह तक बच्चे को केवल मां का दूध पिलाने की सलाह देते हैं, लेकिन वर्तमान समय में महिलाएं इस सलाह पर अमल नहीं कर पाती हैं। मां और समाज को बच्चे के दूध की महत्ता बताने के लिए वैश्विक स्तर पर 1-7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है।
कोरोना से सम्बंधित दिशानिर्देशों के कारण इस वर्ष विश्व स्तनपान सप्ताह के अवसर पर बड़े कार्यक्रमों का आयोजन नहीं किया जा रहा है किन्तु आंगनबाड़ी, प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रो में जिला स्तर पर स्तनपान को लेकर जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गांवों में जाकर कोरोना के साथ-साथ स्तनपान के प्रति जागरूक कर रही हैं। दीवार पर इसके फायदे और सावधानियों के बारे में लिख रही हैं। इसी तरह निजी एवं सरकारी अस्पताल में शिशुवती महिलाओं को जागरूक किया जा रहा है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के प्रजनन एवं मातृ स्वास्थ्य के साथ-साथ नवजात बच्चे और किशोर स्वास्थ्य एवं पोषण (आरएमएनसीएचए) कार्यक्रम के तहत जिलेभर में यह जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।
आरएमएनसीएचए के जिला प्रभारी डॉ. राजेश मिश्रा बताते हैं “अधिकांश माताएं कुछ दिन बाद ही बच्चे को अपना दूध पिलाना बंद कर देती हैं। वह बच्चे को या तो बाजार का डिब्बा बंद दूध देना शुरू कर देती हैं या फिर गाय या भैंस के दूध से काम चलाती हैं, जबकि बच्चे को पैदा होने के छह माह तक केवल स्तनपान कराना चाहिए। स्तनपान के महत्व को देखते हुए प्रति वर्ष 1 अगस्त को विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है। इसके तहत सात दिनों तक मां के दूध की विशेषता बताने के लिए विभिन्न् प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। इस बार कोरोना संक्रमण के मद्देनजर संक्षिप्त में जागरूकता कार्यक्रम किये जा रहे हैं।“
नवजात मृत्यु दर को कम करता है स्तनपान
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एसएन केसरी बताते हैं, “बच्चे को जन्म से कम से कम छह माह तक मां का दूध पिलाना चाहिए, जिससे बच्चे को पर्याप्त पोषक तत्व मिलते हैं। इसी महत्व को बताने और महिलाओं को जागरूक करने के लिए एक अगस्त से सात अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है। कोरोना के चलते वृहद पैमाने पर कार्यक्रम आयोजित नहीं किये जा रहे हैं। अस्पताल में आने वाली मां को स्तनपान के प्रति जागरूक किया जा रहा है। इसके अलावा आशा-आंगनबाड़ी गांवों में जाकर महिलाओं को जागरूक कर रही हैं।”
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ ताराचंद्र पटेल बताते हैं, ” जिन शिशुओं को 1 घंटे के अंदर स्तनपान नहीं कराया जाता उनमें नवजात मृत्यु दर की संभावना 33% अधिक होती है। छह माह की आयु तक शिशु को केवल स्तनपान कराने पर आम रोग जैसे दस्त-निमोनिया के खतरे क्रमशः 11 से 15 प्रतिशत तक कमी लाई जा सकती है। स्तनपान स्तन कैंसर से होने वाली मृत्यु को भी कम करता है। विभिन्न शोधों से यह स्पष्ट हो चुका है कि स्तनपान से न केवल शिशु और माताओं को बल्कि समाज और देश को भी कई प्रकार के लाभ होते हैं। शुरू के 6 माह पूरे होने पर ही संपूरक आहार देना प्रारंभ करना चाहिए एवं शिशु के 2 वर्ष तक स्तनपान कराते रहना चाहिए।”
स्तनपान के यह हैं लाभ
- बच्चे को डायरिया जैसे रोग की संभावना कम हो जाती है।
- मां के दूध में मौजूद तत्व बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।
- स्तनपान कराने से मां व बच्चे के मध्य भावनात्मक लगाव बढ़ता है।
- मां का दूध न मिलने पर बच्चे में कुपोषण व सूखा रोग की संभावना बढ़ जाती है।
- स्तनपान से मां को स्तन कैंसर की संभावना भी कम हो जाती है।
- मां का दूध पीने वाले बच्चे का तेजी से विकास होता है।