Ccda के प्रतिनिधि मंडल ने अपनी समस्या बताई स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल से

रायपुर = छत्तीसगढ़ केमिस्ट एंड डिस्ट्रीब्यूटर संगठन  (CCDA) का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल, संगठन के सचिव अविनाश अग्रवाल के नेतृत्व में, छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री  श्याम बिहारी जायसवाल  से उनके निवास कार्यालय में सौजन्य मुलाकात की ।
*प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य प्रदेशभर में ड्रग विभाग और पुलिस विभाग की संयुक्त कार्रवाई के रूप में चलाए जा रहे छापामार अभियानों के विरुद्ध व्यापारियों की चिंता और आपत्ति को सरकार के समक्ष दर्ज कराना।
*प्रतिनिधिमंडल ने मंत्री महोदय को अवगत कराया कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में दवा दुकानों पर औषधि निरीक्षकों के साथ-साथ पुलिस बल द्वारा अचानक छापे मारे जा रहे हैं, जिससे चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े व्यापारियों में गंभीर असंतोष और असुरक्षा की भावना उत्पन्न हो रही है। दवा दुकानें एक संवेदनशील और आवश्यक सेवा प्रदायक क्षेत्र हैं, जहाँ इस प्रकार की कार्रवाइयाँ केवल असुविधा ही नहीं, बल्कि एक अविश्वास का माहौल भी उत्पन्न करती हैं।
*अविनाश अग्रवाल ने मंत्री महोदय के समक्ष स्पष्ट रूप से कहा:* की
“हम ड्रग विभाग की नियमानुसार जांच प्रक्रिया का सम्मान करते हैं और सदैव सहयोग के लिए तत्पर रहते हैं। लेकिन जब पुलिस बल हमारी दवा दुकानों में खड़ा होकर भय और दबाव का वातावरण बनाता है, तो यह न केवल हमारे व्यवसायिक स्वाभिमान के खिलाफ है, बल्कि ग्राहकों और कर्मचारियों पर भी मानसिक प्रभाव डालता है। यह किसी भी दृष्टि से न्यायसंगत नहीं है। यदि यह स्थिति यूं ही बनी रहती है, तो हम विवश होकर विरोध और असहयोग की राह पर चलने को बाध्य होंगे।”
* मंत्री  जायसवाल जी ने प्रतिनिधिमंडल की बातों को गंभीरता से सुना और इस विषय में त्वरित संज्ञान लेते हुए संबंधित अधिकारियों को ऐसी सम्मिलित कार्यवाहियों को तत्काल प्रभाव से रोकने के निर्देश देने का आश्वासन दिया*
* अग्रवाल ने आगे कहा: की हम छत्तीसगढ़ के हर नागरिक तक जीवनरक्षक दवाएँ समय पर पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। लेकिन यदि शासन हमारी गरिमा और आत्मसम्मान की रक्षा नहीं करता, तो हमें विवश होकर दवा दुकानें बंद करने जैसे कठोर कदम उठाने पड़ सकते हैं। ऐसी स्थिति में आम जनता को होने वाली असुविधा की पूरी ज़िम्मेदारी शासन और प्रशासन की होगी।”

इस महत्वपूर्ण मुलाकात में CCDA के अनेक वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख रूप से:
देवव्रत गौतम, सुधीर अग्रवाल, तोशन चंद्राकर, अशोक मालू, पी.डी. रमानी, भारत रमानी सहित अन्य सदस्य शामिल थे।
सभी ने एकमत होकर यह मांग की कि केवल ड्रग विभाग ही नियमानुसार निरीक्षण करे, और पुलिस की भागीदारी केवल अपराधिक मामलों तक सीमित रहे ।

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