
रायपुर। छत्तीसगढ़ के शिक्षक अब टीईटी (Teacher Eligibility Test) की अनिवार्यता के खिलाफ बड़ा आंदोलन करने की तैयारी में हैं। इस मुद्दे को लेकर राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा (NPBSM) ने 4 जनवरी 2026 को दिल्ली के जंतर-मंतर में देशभर के शिक्षकों के साथ धरना-प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है।
यह फैसला मोर्चा की वर्चुअल बैठक में लिया गया। बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.पी. सिंह रावत की अध्यक्षता में छत्तीसगढ़ से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संजय शर्मा, राष्ट्रीय महासचिव वीरेंद्र दुबे, प्रदेश संयोजक लैलून भारद्वाज, विकास राजपूत और राष्ट्रीय आईटी सेल प्रभारी बसंत चतुर्वेदी सहित कई पदाधिकारी शामिल हुए।
टीईटी लागू होने से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को छूट की मांग
मोर्चा ने कहा कि जिन शिक्षकों की नियुक्ति टीईटी व्यवस्था लागू होने से पहले हुई थी, उनके लिए टीईटी परीक्षा अनिवार्य नहीं की जानी चाहिए। संगठन केंद्र सरकार और एनसीटीई को ज्ञापन सौंपकर इस नियम में संशोधन की मांग करेगा।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बढ़ा विवाद
1 सितंबर 2025 को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया है कि पांच वर्ष से अधिक सेवा वाले शिक्षकों को भी टीईटी पास करना अनिवार्य होगा। इसी के बाद से शिक्षक वर्ग में असंतोष बढ़ा है।
मोर्चा ने बताया कि छत्तीसगढ़ शासन ने वर्ष 2012 में जो नियम लागू किया, उसका प्रभाव उन शिक्षकों पर नहीं डालना चाहिए जिनकी नियुक्ति इससे पहले हो चुकी थी।
पुरानी पेंशन बहाली की मांग फिर जोर पकड़ने लगी
बैठक में पुरानी पेंशन प्रणाली (OPS) को फिर से लागू करने और NPS में जमा अंशदान को वापस करने की मांग पर भी सहमति बनी। संगठन ने कहा कि यह कर्मचारियों का हक है और इसे जल्द बहाल किया जाना चाहिए।
मोर्चा का बयान
राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.पी. सिंह रावत ने कहा—
“टीईटी की अनिवार्यता पूर्व नियुक्त शिक्षकों के साथ न्याय नहीं है। यदि सरकार अध्यादेश लाकर इस नियम से छूट नहीं देती, तो देशभर के शिक्षक बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।”













