Culture of Chhattisgarh: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के प्राचीन लोक परंपरा सुआ गीत नृत्य बिलासपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के गली-मोहल्लों में गूंज रही है। इन दिनों महिलाएं आठ से दस की संख्या में टोली बनाकर लोक संस्कृति को जन-जन तक पहुंचा रही हैं। इसके बदले जनता महिलाओं को उपहार स्वरूप धान या नगदी पैसे भेंट कर रहे हैं।
विकासखंड सीपत क्षेत्र के ग्राम बिटकुला की महिलाएं टोली बनाकर गांव-गांव घुमकर सुआ नृत्य कर रही हैं। महिलाओं ने बताया कि सुआ गीत के साथ सुआ नृत्य का प्रचलन प्राचीनकाल से चली आ रही है। यह एक नारी प्राचीन गीत नृत्य है। बांस की एक टोकरी में धान के ऊपर मिट्टी का सुआ बनाकर रखते हैं। आठ से दस महिलाएं बांस की टोकरी को गोल घेरकर सुआ नाचती हैं। इस नृत्य में महिलाएं आधी झुकी हुई होती है। सभी महिलाएं स्वर सामूहिक गीत गाती है। गीत गाते हुए तालियां भी आपस में एक लय से बजाती हैं। साथ ही गोल घूमती रहती हैं। इसी तरह एक घर से दूसरे घर में जाकर नृत्य करती है। महिलाएं सुआ नृत्य के नाम से गांव और मोहल्लों में अलख जगा रही है।
पारंपरिक रूप से सुवा नृत्य करने वाली महिलाएं व युवतियां हरी साड़ी पहनती हैं जो पिंडलियों तक आती है। आभूषणों में छत्तीसगढ़ के पारंपरिक आभूषण करधन, कड़ा, पुतरी होते हैं। इन परंपराओं में कुछ बदलाव परिवर्तन भी हुआ है। आज सुआ नृत्य और गीत का स्वरूप बदल गया है। सुआ नृत्य में लड़कियां अब आधुनिक परिधान पहन रही हैं।