Digital Eye Strain Alert: विशेषज्ञों ने दिए स्क्रीन यूज़ के नए दिशानिर्देश, बच्चों और टीनएजर्स के लिए खास नियम अनिवार्य

Digital Eye Strain तेजी से बढ़ते मामलों को देखते हुए विशेषज्ञों ने बच्चों, टीनएजर्स और आम लोगों के लिए स्क्रीन उपयोग संबंधी विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए हैं। लंबे समय तक मोबाइल, लैपटॉप और टैबलेट देखने से आंखों पर गंभीर तनाव पड़ रहा है, जिससे दृष्टि समस्याएं बढ़ रही हैं।


डिजिटल स्क्रीन और आई स्ट्रेन: क्या है खतरा?

विशेषज्ञों के अनुसार डिजिटल स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी आंखों की मांसपेशियों पर अत्यधिक दबाव डालती है। इसे डिजिटल आई स्ट्रेन कहा जाता है। इससे सिरदर्द, आंखों में जलन, सूखापन और धुंधलापन जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।

20-20-20 नियम जरूरी

हर 20 मिनट बाद, कम से कम 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर किसी वस्तु को देखने की सलाह दी गई है।
यह आंखों की फोकसिंग मांसपेशियों को आराम देता है।

पलकें झपकाने की आदत सुधारें

स्क्रीन देखते समय लोग सामान्य से 60% कम पलकें झपकाते हैं। जानबूझकर हर मिनट में 10 बार पलकें झपकाने से आंखों में नमी बनी रहती है।


स्क्रीन पोज़िशन और ब्राइटनेस सेटिंग्स

– स्क्रीन को आंखों के स्तर से 20 डिग्री नीचे रखें।
– मोबाइल/लैपटॉप कम से कम 25 इंच की दूरी पर रखें।
– ऑटो ब्राइटनेस का उपयोग करें ताकि रोशनी कमरे के अनुसार संतुलित रहे।


प्राकृतिक धूप क्यों जरूरी?

विशेषज्ञों का कहना है कि रोजाना प्राकृतिक धूप में समय बिताना मायोपिया (निकट दृष्टिदोष) के खतरे को कम करने का सबसे प्रभावी तरीका है।


UV सुरक्षा और आउटडोर के निर्देश

– धूप में निकलते समय 100% UV सुरक्षा वाले सनग्लास पहनें।
– टोपी या कैप दोपहर के समय UV एक्सपोज़र को 50% तक कम कर देती है।


आंखों के लिए ज़रूरी पोषण

ल्यूटिन और जियाजेंथिन

रेटिना को नीली रोशनी से बचाते हैं। इसके लिए पालक, केल, अंडे खाने की सलाह।

ओमेगा-3 फैटी एसिड

सूखी आंख और रेटिना स्वास्थ्य के लिए उपयोगी। अखरोट, चिया सीड्स, अलसी और फैटी फिश का सेवन बढ़ाएं।

विटामिन C और E

ऑक्सीडेटिव तनाव से बचाते हैं। संतरा, नींबू, स्ट्रॉबेरी, गाजर और बादाम फायदेमंद।

हाइड्रेशन

पर्याप्त पानी से आंसू उत्पादन संतुलित रहता है, जिससे जलन और सूखापन कम होता है।


स्वच्छता और संपर्क लेंस सुरक्षा

– आंखें रगड़ने से बचें, इससे कॉर्निया को नुकसान हो सकता है।
– लेंस पहनने वाले टीनएजर्स सख्त सफाई नियम अपनाएं।
– गंदे हाथों से लेंस न छुएं और लेंस पहनकर न सोएं।
– लापरवाही से कॉर्नियल अल्सर व स्थायी दृष्टि हानि का खतरा बढ़ जाता है।


नियमित नेत्र जांच क्यों जरूरी?

विशेषज्ञों ने कहा कि साल में एक बार आंखों की जांच अनिवार्य है।
कई रोग, जैसे ग्लूकोमा, शुरुआती चरण में बिना लक्षण के बढ़ते हैं।

किसी भी तरह की चेतावनी—आंख लाल होना, ज्यादा पानी आना, सिरदर्द, अचानक धुंधलापन—को हल्के में न लें और तुरंत डॉक्टर से मिलें।


स्पोर्ट्स में आंखों की सुरक्षा

क्रिकेट, फुटबॉल, बास्केटबॉल जैसे तेज़ गति वाले खेलों में आंखों की चोट का खतरा बढ़ता है।
ऐसे में सुरक्षात्मक चश्मे पहनना अनिवार्य है।


पालकों के लिए कड़े नियम

– 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को मोबाइल/लैपटॉप न दें।
– 16 वर्ष के बच्चों को केवल 2–3 घंटे स्क्रीन टाइम।
– टीवी 4 वर्ष से 1 घंटा प्रतिदिन, हर वर्ष केवल 30 मिनट बढ़ाएं।
– 16 वर्ष से पहले सोशल मीडिया की अनुमति न दें।


शिक्षकों के लिए दिशानिर्देश

– किसी भी छात्र को मोबाइल पर होमवर्क न दें।
– क्लास में बच्चों की बैठने की जगह को समय-समय पर बदलें।
– इससे मायोपिया के शुरुआती संकेतों की पहचान में मदद मिलेगी।
– आवश्यकता पड़ने पर अभिभावक की मौजूदगी में नेत्र परीक्षण कर चश्मा उपलब्ध करवाया जाए।

इन दिशानिर्देशों को अपनाकर बच्चे, टीनएजर्स और वयस्क सभी अपनी आंखों को लंबे समय तक स्वस्थ, सुरक्षित और स्ट्रेस-फ्री रख सकते हैं।

 

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