अगले सत्र में लागू होगा नया पाठयक्रम और स्थानीय बोली
राष्ट्रीय शिक्षा नीति और (एनईपी) 2020 लागू करने के तथा छत्तीसगढ़ में स्कूली और उच्च शिक्षा में कई बदलाव किए जा रहे हैं। स्कूली पाठ्यक्रम में छत्तीसगढ़ी और स्थानीय बोलियों पर जोर दिया जा रहा है। इसके तहत आदिवासी क्षेत्र के बच्चे स्थानीय बोली जैसे हल्बी, गोड़ी आदि में पढ़ाई करेंगे।
जानकारी के अनुसार इसके लिए विषय विशेषज्ञों की टीम बनाई गई है। जिनके द्वारा अगले कुछ दिनों में पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार कर ली जाएगी पाठ्यक्रम तैयार होने के बाद उसे पढ़ाई का हिस्सा बनाया जाएगा। कक्षा पहली, दूसरी, तीसरी और छठवीं में नए विषय जुड़ रहे हैं तीसरी में अब बच्चे 4 की जगह 6 विषय पढ़ेंगे। वहीं छठवीं के छात्रों को 6 की जगह 9 विषय पढ़ाये जाएंगे। जबकि छठवीं में आठ फिजिकल एजुकेशन और रेगुलेशन कोर्स शामिल किया जा रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार एनसीईआरटी ने स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव किए हैं। उसी के तहत यहां भी नए विषय में शामिल किया गया है। इस संबंध में रायगढ़ के शिक्षाविद रामचंद्र शर्मा ने बताया कि अधिकारियों के मुताबिक अगले शिक्षा सत्र में स्कूली और उच्च शिक्षा में नए पाठ्यक्रम लागू हो जाएंगे। नए पाठ्यक्रम लागू होने से स्कूल के बच्चे और शिक्षकों को शिक्षा क्षेत्र में और अधिक मेहनत करनी होगी। पाठ्यक्रम में बदलाव होने से शिक्षक और छात्रों के चेतना पर असर पड़ेगा।
शिक्षाविद रामचन्द्र शर्मा ने कहा पाठ्यक्रम में बदलाव से स्कूली बच्चों के बौद्धिक विकास की संभावनाएं अधिक बढ़ जाएंगे। जानकारी के मुताबिक कक्षा 1,2,3 और 6 की एनसीईआरटी के किताबों को छत्तीसगढ़ की बौद्धिक संस्कृति का और विरासत संदर्भों और स्थानीय अस्मिताओं को ध्यान में रखकर अपडेट किया जा रहा है।