राजधानी रायपुर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने की तैयारी, अध्यादेश से हो सकता है कानून में संशोधन

रायपुर। राजधानी रायपुर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने की दिशा में राज्य सरकार ने तेजी से कदम बढ़ा दिए हैं। इसके लिए संबंधित अधिनियम में संशोधन किया जा रहा है, जिसे अध्यादेश के माध्यम से लागू किए जाने की संभावना है।

राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लग सकती है मुहर
पुलिस मुख्यालय के सूत्रों के अनुसार 31 दिसंबर को होने वाली राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस अध्यादेश पर मुहर लग सकती है। यदि सब कुछ तय योजना के अनुसार रहा, तो जनवरी 2026 में राजधानी में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू कर दिया जाएगा।

शुरुआत में एक जनवरी से ही पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने की चर्चा थी, लेकिन प्रशासनिक प्रक्रियाओं के कारण इसमें कुछ विलंब हो सकता है। हालांकि यह लगभग तय माना जा रहा है कि जनवरी महीने के भीतर ही रायपुर में नया सिस्टम प्रभावी हो जाएगा।

आइजी स्तर के अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी
पुलिस कमिश्नर के पद पर आइजी स्तर के वरिष्ठ अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी। कमिश्नर का कार्यालय पुराने पीएचक्यू भवन में (राजभवन के पास) स्थापित किया जाएगा, जिसके लिए आवश्यक सेटअप भी लगभग तैयार हो चुका है। पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू होने के बाद पुलिस कमिश्नर को मजिस्ट्रियल अधिकार प्राप्त होंगे। इसके तहत उन्हें शस्त्र लाइसेंस जारी करने, धारा 144 लागू करने और आवश्यकता पड़ने पर कर्फ्यू लगाने जैसी शक्तियां मिलेंगी।

सीएम ने की थी इसकी घोषणा
सरकार का मानना है कि इससे अपराध नियंत्रण में तेजी आएगी और कानून-व्यवस्था से जुड़े निर्णय तुरंत लिए जा सकेंगे। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने 15 अगस्त के स्वतंत्रता दिवस समारोह में अपने भाषण के दौरान रायपुर में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू करने की घोषणा की थी। इसके बाद से ही इस दिशा में काम तेज हो गया।

सरकार ने एडीजी प्रदीप गुप्ता की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति गठित की थी, जिसने अन्य राज्यों-जैसे महाराष्ट्र, ओडिशा, दिल्ली, कर्नाटक और तेलंगाना के माडल का अध्ययन कर प्रस्ताव तैयार किया। समिति ने अपनी रिपोर्ट डीजीपी और गृह विभाग को सौंप दी थी, जिसके आधार पर कानून का ड्राफ्ट तैयार किया गया।

विशेष कानून का प्रावधान किया गया है
सूत्रों के मुताबिक कमिश्नरी सिस्टम को कानूनी मजबूती देने के लिए विशेष कानून का प्रावधान किया गया है, ताकि भविष्य में इसे पूरे प्रदेश में भी विस्तार दिया जा सके। उल्लेखनीय है कि यह मॉडल पहले से मध्य प्रदेश के चार प्रमुख शहरों में सफलतापूर्वक लागू है।

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