छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग ने प्राइवेट स्कूलों के 300 करोड़ रोक दिए हैं। जिसे लेकर एसोसिएशन ने आंदोलन की चेतावनी दी है।
दरअसल निजी स्कूलों को RTE की प्रतिपूर्ती के 300 करोड़ पिछले 2 सालों से नहीं मिले। भुगतान के लिए अब इन स्कूलों ने शिक्षा विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि 300 करोड़ का भुगतान करने के साथ निजी स्कूलों से जुड़ी 11 सूत्रीय मांगों को सप्ताह भर के भीतर पूरा किया जाए। ऐसा नहीं होने पर निजी स्कूल चरणबद्ध आंदोलन करेंगे। इनकी मांगे शिक्षा और परिवहन विभाग से जुड़ी हुई है।
एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने कहा कि कई बार कई स्तरों पर इन मांगों के निराकरण की मांग एसोसिएशन करता रहा है लेकिन मांगों पर स्कूल शिक्षा और परिवहन विभाग ध्यान नहीं दे रहा है। ऐसे में 1 सप्ताह के भीतर अगर मांगों पर विचार नहीं किया जाता तब वे आंदोलन के लिए मजबूर हैं।
5वीं और 8वीं की केन्द्रीयकृत परीक्षा से इस सत्र में निजी स्कूलों को अलग रखने की मांग की गई है।
इन मांगों को लेकर होगा आंदोलन
- सभी जिलों की लंबित RTE की प्रतिपूर्ति के 300 करोड़ स्कूलों के खातों में जल्द ट्रांसफर किए जाएंं।
- पिछले 12 वर्षों से RTE की राशि में कोई वृद्धि नहीं की गई है. RTE की राशि प्राथमिक कक्षाओं में 7000 से बढ़कर 15000, माध्यमिक की 11,500 से बढ़ाकर 18,000 एवम हाई और हायर सेकंडरी की अधिकतम सीमा को 15,000 से बढ़ाकर 25,000 तक किया जाये ।
- शैक्षणिक उपयोग की बसों को 12 साल बाद फिटनेस नहीं दी जा रही और वह बेकार हो जा रही हैं जबकि आम परिवहन की बसों को 15 साल की अवधि तक संचालित करने की नियम है। यह नियम स्कूलों की बसों को 12 साल बाद बेचने पर मजबूर कर रहा है जबकि शैक्षणिक उपयोग की बसें कमर्शियल बसों से कम चलती हैं और सुरक्षा के ज्यादा उपाय हैं। शैक्षणिक उपयोग की बसों को भी 15 साल की अवधि तक संचालित करने की अनुमति प्रदान की जाये।
- GPS और पैनिक बटन जो बाजार में आसानी से 3500 से 4000 रूपये के बीच उपलब्ध है वह 13500 से 14000 रुपए का कंपनियां हमें दे रही हैं ।यह सरासर लूट है. कृपया इनकी राशि ठीक करवा करउपलब्ध कराई जाए ताकि हम अपनी बसों में इसे लगा सकें।
- RTE के तहत एडमिशन लेने वाले छात्रोंको पाठ्य पुस्तक,गणवेश और लेखन सामग्री उपलब्ध कराने के संबंध में छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में दाखिल की थी। जिस पर स्कूल शिक्षा विभाग के आदेशों के क्रियान्वयन पर संगठन को स्टे दिया है। कोर्ट के अंतिम आदेश तक किसी भी स्कूल पर कार्यवाही पर रोक लगाई जाये।
- छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल स्कूलों द्वारा ऑनलाइन एंट्री देरी से किये जाने के कारण ज्यादा विलंब शुल्क लिया गया है। स्कूलों ने पेनल्टी के रूप में पटाया गया शुल्क या तो वापस करवाया जाये या समयोजीत करवाया जाये.
- निजी स्कूलों में पढ़ने वाली बालिकाओं को भी सरस्वती साइकिल योजना का लाभ दिया जाए.(कम से कम RTE के तहत प्रवेशित बालिकाओं को दिया जा सकता है। इनकी संख्या भी कम है)
- शैक्षणिक सत्र के बीच 5 वीं और 8 वीं की केंद्रीयकृत परीक्षाओं की घोषणा की गई है। इस साल इन परीक्षाओं से निजी स्कूलों को इससे अलग रखा जाये केंद्रीयकृत परीक्षाओं को निजी स्कूलों पर अगले सत्र से लागू किया जाए।
- स्कूल शिक्षा विभाग की नियमावली में प्रति वर्ष 220 दिन स्कूल के संचालन का नियम है लेकिन गत वर्षों से प्रदेश में स्कूल 180 से 185 से ज्यादा संचालित नहीं हो रहें है .शिक्षा के लगातार नुकसान से बचने के लिए कुछ छुट्टियों का अधिकार स्कूलों को दिया जाये .
- बजट में RTE की प्रतिपूर्ति राशि हेतु 65 करोड़ का प्रावधान है। जबकि इतने सालों में छात्र संख्या बढ़ने के कारण यह राशि अब पर्याप्त नहीं है।इसे बढ़ाकर 150 करोड़ किया जाना चाहिये।
- अशासकीय स्कूलों की मान्यता के लिए नियमों को सरलीकृत और प्रदेश में एक समान किया जाए । मान्यता 5 वर्षों के लिए दी जाए।