
सरकार केवल राजनीतिक अंक बटोरने में व्यस्त, जबकि जनता आज भी इलाज और बुनियादी सुविधाओं के लिए भटक रही है — स्वास्थ्य बजट WHO मानकों के आधे से भी कम
कलाधानी, रायगढ़। रायगढ़ में इन दिनों राजनीतिक पारा लगातार चढ़ता दिखाई दे रहा है। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) के रायगढ़ जिला उपाध्यक्ष, आरटीआई कार्यकर्ता एवं सामाजिक संगठन ‘दृष्टिकोण’ के प्रमुख प्रिंकल दास ने एक बार फिर रायगढ़ विधायक, प्रदेश के वित्त मंत्री एवं पूर्व आईएएस ओम प्रकाश चौधरी के एक्स (X) और फेसबुक पोस्ट पर तीखा पलटवार किया है।
प्रिंकल दास ने कहा कि सरकार के #2047 तक के स्वास्थ्य क्षेत्रीय लक्ष्य महत्वाकांक्षी जरूर हैं, लेकिन उनकी व्यवहार्यता और कार्यान्वयन पर गंभीर सवाल उठते हैं। उन्होंने प्रमुख बिंदुओं पर अपनी प्रतिक्रिया दी —
1. जीवन प्रत्याशा (68 से 84 वर्ष)
जीवन प्रत्याशा को 16 वर्ष बढ़ाने का लक्ष्य विश्व स्वास्थ्य संगठन (#WHO) के मानकों के अनुरूप है, लेकिन भारत जैसे विविध और जटिल सामाजिक-आर्थिक ढांचे वाले देश में इसे हासिल करना अत्यंत चुनौतीपूर्ण है। वर्तमान में भारत का स्वास्थ्य बजट GDP का मात्र 2.1% (2023, विश्व बैंक) है, जबकि विकसित देशों में यह 5-10% है। इस लक्ष्य के लिए स्वास्थ्य ढांचे में भारी निवेश, विशेष रूप से ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में, आवश्यक है।
2. मातृ मृत्यु दर (107 से 10)
मातृ मृत्यु दर (#MMR) को 107 प्रति लाख जीवित जन्म (#SRS 2020-22) से घटाकर 10 करना, विश्व के सबसे उन्नत स्वास्थ्य मानकों से भी बेहतर है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में प्रसव पूर्व देखभाल, प्रशिक्षित दाइयों और आपातकालीन चिकित्सा सुविधाओं की भारी कमी इस लक्ष्य को कठिन बनाती है।
3. कुपोषण (30% से 10%)
#NFHS-5 (2019-21) के अनुसार, 5 वर्ष से कम आयु के 30% बच्चे कुपोषित हैं। इसे 10% तक लाने के लिए केवल भोजन वितरण योजनाएं (जैसे मिड-डे मील, पोषण अभियान) पर्याप्त नहीं होंगी। गरीबी, स्वच्छता की कमी और शिक्षा का अभाव — ये कुपोषण के मूल कारण हैं, जिन पर व्यापक सुधार जरूरी है।
4. मृत्यु दर (5% तक)
समग्र मृत्यु दर को 5% तक कम करने का लक्ष्य अस्पष्ट है, क्योंकि यह विभिन्न आयु समूहों और कारणों पर निर्भर करता है। गैर-संचारी रोग (NCDs) जैसे मधुमेह और हृदय रोग, भारत में मृत्यु के प्रमुख कारण हैं, जिन्हें नियंत्रित करने के लिए दीर्घकालिक जीवनशैली सुधार और स्वास्थ्य जागरूकता जरूरी है। फिलहाल, सरकारी नीतियां इस दिशा में पर्याप्त रूप से केंद्रित नहीं हैं।
5. नवा रायपुर को मेडिकल टूरिज्म हब बनाना
नवा रायपुर को मेडिकल टूरिज्म हब बनाने की योजना आर्थिक दृष्टि से आकर्षक हो सकती है, लेकिन इससे स्थानीय आबादी की स्वास्थ्य आवश्यकताओं की अनदेखी का खतरा है। निजी निवेश और अत्याधुनिक अस्पताल मुख्य रूप से उच्च-आय वर्ग और विदेशी मरीजों पर केंद्रित रह सकते हैं, जिससे आम जनता के लिए सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता प्रभावित हो सकती है।
सरकार और विपक्ष दोनों पर निशाना
प्रिंकल दास ने कहा कि सरकार और विपक्ष दोनों ही राजनीतिक अंक बटोरने में व्यस्त हैं, जबकि आम जनता आज भी इलाज और बुनियादी सुविधाओं के लिए भटक रही है। उन्होंने चेतावनी दी —
“स्वास्थ्य बजट अभी भी WHO के मानकों के आधे से भी कम है। ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं लगभग ‘आईसीयू’ में हैं, और उन्हें बचाने की कोई गंभीर कोशिश नहीं हो रही — यह अत्यंत चिंता का विषय है।”














