
कौन है जिम्मेदार,जनता vs स्वास्थ्य कर्मचारी
रिपोर्टर – रईस अहमद
प्लेस – मनेन्द्रगढ़
कल हुई घटना के लिए कौन जिम्मेदार ? जी हां यह सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है क्योंकि जिस व्यक्ति की मृत्यु मनेंद्रगढ़ शासकीय अस्पताल में हुई है उस मृतक नारायण पतवार का एक्सीडेंट राज नगर क्षेत्र में हुआ था। परिजनों ने घायल व्यक्ति का इलाज राजनगर ना करा कर मनेंद्रगढ़ शासकीय अस्पताल में कराना उचित समझा। अब सवाल यह उठता है कि ऐसी क्या बात हो गई जो जिला स्वास्थ्य अधिकारी पर लोगो का गुस्सा फूट पड़ा ?
परिजनों के मुताबिक जब उन्होंने घायल व्यक्ति को मनेन्द्रगढ़ शासकीय अस्पताल में भर्ती कराया तो उनको डॉक्टर अर्चना कुम्हारे द्वारा एक्सरे के लिए कहा गया चुकी शाम के वक्त एक्सरे की सुविधा मनेंद्रगढ़ सीएससी में उपलब्ध नहीं होने के कारण परिजनों को संगम एक्सरे से एक्सरे करना पड़ा। मृतक नारायण पतवार के पुत्र अमन पतवार ने तो यह भी आरोप लगाया कि उनसे टांके के लिए धागा और ग्लूकोस की बोतल अस्पताल में उपलब्ध ना होने की बात कह कर नर्स द्वारा मंगाई गई। और आज 23 जुलाई को यह जानकारी मिली की मनेंद्रगढ़ सीएससी में मरीजों को इमरजेंसी में उपलब्ध होने वाली ऑक्सीजन तक उपलब्ध नहीं है।
मृतक के परिजनों से हम ने बात की और उन्होंने बताया कि डॉक्टर के द्वारा एक बार इलाज करने के बाद दोबारा कोई भी डॉक्टर मरीज को देखने नहीं आया और ना ही डॉक्टर ने मरीज की स्थिति नाजुक होने की जानकारी परिजनों को दी। मरीज की हालत बिगड़ती जा रही थी हम बार-बार नर्सों से अनुरोध करते रहे रोते बिलखते रहे हम कह रहे थे कि डॉक्टर को बुलवा दो, लेकिन कोई डॉक्टर वहां पर नहीं आया। हमने डॉक्टर तिवारी को भी फोन लगाया लेकिन वह भी समय पर अस्पताल नहीं पहुंचे। जब तक डॉ सुरेश तिवारी अस्पताल पहुंचे तब तक मरीज की मृत्यु हो चुकी थी।
अक्सर ऐसे मामलों में अस्पतालों में भीड़ होती ही है। वही पुलिस मामले की स्थिति को भाप चुकी थी।तत्काल थाना प्रभारी और एसडीओपी मनेंद्रगढ़ द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मनेंद्रगढ़ में बल उपलब्ध करा दिया था और तब तक स्थिति काबू में थी। लेकिन मृतक का पुत्र बार-बार डॉक्टर तिवारी से अपने पिता के मृत्यु पर सवाल कर रहा था। इसी बीच मृतक के परिजनों और डॉक्टर सुरेश तिवारी मे झूमा झपटी हुआ, पुलिस ने बीच-बचाव किया और डॉक्टर सुरेश तिवारी को थाना सिटी कोतवाली मनेंद्रगढ़ सुरक्षित ले गए। मामला यहां शांत नहीं हुआ बल्कि परिजनों के साथ अन्य भीड़ भी उग्र हो गई और सभी ने थाना घेराव कर थाने में ही आंदोलन छेड़ दिया।और जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ सुरेश तिवारी कि निलंबन की मांग पर अड़ गए। थाने में डॉक्टर सुरेश तिवारी को एक बंद कमरे में लगभग 11 घंटे तक रखा गया क्योंकि उग्र भीड़ थाने में डटी हुई थी। वही पूरी घटना को लेकर स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी और अधिकारी भी जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ सुरेश तिवारी के समर्थन में विरोध पर उतर आए हैं।
सवाल –
1.क्या डॉक्टर सुरेश तिवारी की इस पूरी घटना में गलती थी ?
2 . क्या पूरी घटना में नर्सों और ड्यूटी डॉक्टर की गलती नही थी ?
- क्या न प्रशासन को अस्पताल में टांके का धागा और ग्लूकोस की बोतल उपलब्ध ना होने पर जवाब देना चाहिए ?
- स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों का जनता के विरोध में विरोध पर उतर जाना कहां तक सही है ?
- क्यों न पूरे मामले पर सरकार से भी जवाब तलब किया जाए ?

