ग्रामीणों के लाख विरोध के बाद भी हो गया जनसुनवाई कौन किया पूरे मामले का साठगांठ ? चर्चाओ का बाजार गर्म बाहरी लोगों के समर्थन पर हुआ फील कोल वाशरी की जनसुनवाई ?

रायगढ़। जिले में चर्चाओ का बाजार गर्म है कि अगर स्थानीय प्रशासन चाहे तो नामुकिन को मुकिन कर सकता है तभी तो ग्रमीणों के विरोध के बावजूद जनसुनवाई हो गया है यही नही अब तक के सबसे ज्यादा सफल माना जा रहा है वही घरघोड़ा क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों और समाज सेवी संस्थाओं की माने तो इस मामले को लेकर एनजीटी जाने की तैयारी कर रहे हैं

पूरा मामला कल दिनांक 21 अफ्रेल का है जहाँ अंसभव को सभव किया गया घरघोड़ा क्षेत्र के नवापारा टेण्डा में फील कोल वाशरी प्रबंधन से साठगांठ कर प्रशासन ने गुरुवार को जनसुनवाई संपन्न करा दी।इस दौरान ग्रामीण महिलाओं ने बाहरी लोगों से समर्थन न करने व वापस लौट जाने की मिन्नत की, लेकिन उनकी एक भी नही चल पाई और लोग कोल वाशरी विस्तार के लिए कंपनी का समर्थन समर्पण और कई भाषाओं का प्रयोग कर चलते बने। कंपनी प्रदूषण और वाहन दुर्घटना से मौत का दंश झेल रहे क्षेत्रवासियों और गोडवाड़ गणतंत्र पार्टी ने जनसुनवाई कराए जाने का विरोध करते हुए प्रशासन पर सांठगांठ का आरोप लगाया है। साथ ही समाजसेवी व जानकारों ने इस जनसुनवाई को गलत करार देते हुए कई खामियां गिनाते हुए कंपनी के पक्ष में प्रशासन को बताया।

दरअसल फील कोल वाशरी विस्तार के लिए गुरुवार को प्रशासन ने नवापारा टेण्डा में जनसुनवाई आयोजित किया था। कोल वाशरी में पहले से ही कई गड़बड़ियां सामने आ चुकी है। करीब साढ़े 4 एकड़ जमीन का डायवर्सन कराके 20 एकड़ जमीन में व्यवसायिक गतिविधियां संचालित है। जिसकी रिपोर्ट 3 माह पहले कलेक्टर को सौंपा जा चुका है। कंपनी पर आरोप है की कई गलत जानकारी देकर शासन प्रशासन को गुमराह किया है। पूर्व में फर्जी एनओसी पर जल संसाधन विभाग ने कंपनी मालिक पर FIR कराने के निर्देश भी दिए थे। जनसुनवाई में क्षेत्र की कई महत्वपूर्ण चीजों को छुपाया गया है। क्षेत्र हांथी प्रभावित है,बावजूद कंपनी को लाभ पहुंचाने उसे ईआईए रिपोर्ट में उल्लेख नही किया गया है। जनसुनवाई में प्रभावित लोगों से ज्यादा बाहरी व्यक्तियों ने जमकर समर्थन किया है। ना तो उनको प्रदूषण से कोई दरकार और ना ही दुर्घटना में जान जाने का डर है,लेकिन जिनको इन सब की परवाह है तो आज बहुमत के आगे बेबस नजर आए और लोगों के हाथ पैर जोड़ते हुए कंपनी के पक्ष में समर्थन नही देने विनती करते रहे। ग्रामीणों का कहना था कि एक समय उन्होंने भी क्षेत्र विकास,रोजगार तरक्की के सपने देखे थे और कम्पनियों को समर्थन दिया था,जिसका खामियाजा आज तक वो भुगत रहे। आज तक ना तो क्षेत्र का विकास हुआ और ना ही बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिली, प्रदूषण,जर्जर सड़क, दुर्घटना में मौत के अलावा कई प्रकार की बीमारी नसीब आई है। यही कारण है की चंद पैसों के लिए आने वाली पीढ़ी अब ये गलती न करे जिसके लिए समझाया जा रहा। वहीं जानकारों की माने तो
केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय की अधिसूचना 14 सितंबर 2006 के अनुसार किसी भी पर्यावरणीय जन सुनवाई हेतु आवेदन के 45 दिवस के अंदर राज्य सरकार जनसुनवाई का आयोजन करवाएगी। अगर किसी कारण वश आवेदन के 45 दिवस के अंदर राज्य सरकार जनसुनवाई का आयोजन नहीं कर पाती उन परिस्थितियों में केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय एक समिति का गठन करेगा एवं जनसुनवाई का आयोजन करवाएगा इन परिस्थितियों में 20/4/2022 को होने वाली जनसुनवाई के आवेदन से 45 दिवस दिवस के ऊपर हो गए हैं। इसलिए राज्य सरकार को जनसुनवाई करवाने का कोई अधिकार नहीं है इसलिए हम जनसुनवाई का विरोध करते है। केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय के 14 सितंबर 2006 के आदेश अनुसार जन सुनवाई हेतु परियोजना के 10 किलोमीटर क्षेत्र के अंदर आने वाले प्रभावित क्षेत्र के गावों को हर ग्राम पंचायत में ईआईए नोटिफिकेशन दिया जावेगा एवं प्रचार प्रसार हेतु ग्राम स्तर पर दीवाल लेखन मुनादी पोस्टर पंपलेट एवं समाचार पत्रों के माध्यम से प्रचार किया जाना चाहिए जो जिला पर्यावरण संरक्षक मंडल द्वारा प्रभावित क्षेत्र के गांवों में नहीं किया गया है,जिसके कारण 20/4 /2022 को होने वाली जनसुनवाई की जानकारी उपलब्ध नहीं है, इसलिए उपरोक्त जनसुनवाई को तत्काल निरस्त किया जाना था।कंपनी द्वारा पूर्व में स्थापित कंपनी में पर्यावरणीय नियमों का पालन नहीं किया गया है जो कि केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय के दिए गए शर्तों के अनुसार पर्यावरण नियमों का पालन किया जाना था।

बरहाल पूरे जनसुनवाई के दौरान क्षेत्र की ग्रामीण महिलाओं का दर्द सामने दिखाई दे रहा था,की किस तरह से क्षेत्र के लोग प्रदूषण का दंश झेल रहे। बेरोजगारी ,जर्जर सड़क और उड़ते धूल के गुबारों ने घर की महिलाओं की आंखे खोल दी है,जिसके बाद महिलाएं कंपनी द्वारा दिए गए खोखले वादों से युवा और पुरूषों को जागरूक कर रही हैं।

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