
जनपद सीईओ पर गंभीर आरोप : लाखों रुपये की रिपोर्ट दबाकर भ्रष्टाचार को संरक्षण देने का खेल…
रायगढ़/घरघोड़ा= जनपद पंचायत घरघोड़ा में वित्तीय अनियमितताओं का बड़ा मामला सामने आया है। ग्राम पंचायत छोटेगुमड़ा की 2021 से 2025 तक की ऑडिट रिपोर्ट आज तक पोर्टल पर अपलोड नहीं हुई, जबकि पंचायत अधिनियम की धारा 115 और संबंधित नियमों के तहत 90 दिन के भीतर रिपोर्ट अपलोड करना अनिवार्य है। यह गंभीर लापरवाही सीधे-सीधे सीईओ घरघोड़ा की कार्यशैली और नीयत पर सवाल खड़े कर रही है।
लाखों की गड़बड़ी का शक :
सूत्रों के अनुसार, 2021 से 2025 तक पंचायत फंड, योजनाओं और जीएसटी भुगतान के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए।
लेकिन इन पैसों का कोई भी स्पष्ट हिसाब जनता के सामने नहीं रखा गया।
न तो ग्रामसभा को जानकारी दी गई और न ही पोर्टल पर ऑडिट रिपोर्ट अपलोड की गई।
यह स्पष्ट संकेत है कि जनपद स्तर पर रिपोर्ट को दबाकर घोटाले को छुपाने की कोशिश की गई।
सीईओ की संदिग्ध भूमिका :
- पंचायत सचिव तो महज अधीनस्थ है, लेकिन पूरे जनपद की वित्तीय पारदर्शिता और ऑडिट की अंतिम जिम्मेदारी सीईओ पर ही होती है।
- चार साल तक ऑडिट रिपोर्ट पोर्टल से गायब रही और सीईओ मौन साधे बैठे रहे।
- यह चुप्पी दर्शाती है कि कहीं न कहीं सीईओ की भूमिका संदिग्ध है और भ्रष्टाचार को संरक्षण देने का आरोप उन पर सीधे लग रहा है।
ग्रामीणों का सवाल है कि अगर सब कुछ पारदर्शी था तो रिपोर्ट जनता से क्यों छिपाई गई?
आदेश ने खोला राज़ : 11 सितंबर 2025 को जारी आदेश में यह स्वीकार किया गया कि –
- ऑडिट रिपोर्ट समय पर अपलोड नहीं की गई।
- आगे से हर ग्राम पंचायत को 90 दिन के भीतर ऑडिट ऑनलाइन पोर्टल पर रिपोर्ट डालनी होगी।
- इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारी को भविष्य में जवाबदेह ठहराया जाएगा।
लेकिन बड़ा सवाल अब भी जस का तस है – क्या सिर्फ आदेश जारी कर देने से चार साल तक दबाई गई रिपोर्ट का हिसाब मिल जाएगा?
जनता का फूटा गुस्सा :- गांव और क्षेत्र के लोगों में भारी नाराज़गी है।
- “यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि चोरी छुपाने की साजिश है।”
- “घरघोड़ा जनपद की पंचायतें भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुकी हैं और सीईओ इस पर आंख मूंदे बैठे हैं।”
- “अगर ईमानदारी से काम हुआ है तो रिपोर्ट जनता से छिपाई क्यों गई?”
ग्रामीण संगठनों का आरोप है कि नेताओं, ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत से योजनाओं के नाम पर भारी लूट की गई है और सीईओ ने पूरे मामले को ढाल देकर बचाने का काम किया।
जांच की मांग तेज : अब ग्रामीण और सामाजिक कार्यकर्ता इस मामले की स्वतंत्र जांच की मांग कर रहे हैं।
सीईओ घरघोड़ा की विभागीय और आपराधिक जांच कराई जाए।
2021 से 2025 तक घरघोड़ा जनपद की सभी पंचायतों की ऑडिट रिपोर्ट को सार्वजनिक कराया जाए।
दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई हो और भ्रष्टाचार में शामिल नेताओं–ठेकेदारों का नाम उजागर किया जाए।
बड़ा सवाल :
क्या सीईओ घरघोड़ा की कुर्सी सिर्फ भ्रष्टाचार को ढाल देने का केंद्र बन चुकी है?क्या छोटेगुमड़ा पंचायत की ऑडिट रिपोर्ट दबाकर पूरे जनपद की अन्य पंचायतों में भी गड़बड़ियों को छुपाया जा रहा है?
क्या छोटेगुमड़ा पंचायत की ऑडिट रिपोर्ट दबाकर पूरे जनपद की अन्य पंचायतों में भी गड़बड़ियों को छुपाया जा रहा है?
- और सबसे अहम — जनता के पैसों का हिसाब आखिर कौन देगा?
घरघोड़ा जनपद पंचायत का यह मामला अब केवल एक पंचायत तक सीमित नहीं है। यह पूरे जनपद में वित्तीय पारदर्शिता और शासन–प्रशासन की विश्वसनीयता पर गहरा प्रश्नचिह्न है।