
तेजी से तरक्की पाना है तो इस मंत्र का रोजाना करे जाप
करियर में आगे बढ़ना है तो एक मेंटर भी जरूरी है। लेकिन मेंटर कौन हो, आपकी क्या भूमिका हो, यह भी आपको पता होना चाहिए। अगर आप रोशनी फैलाना चाहें, तो उसके दो विकल्प हैं- या तो दीया बन जाइए या फिर वो दर्पण, जो लाइट को वापस वातावरण में फैलाता है। एक ऐसी शख्सीयत, जो आपको खुद में उम्मीदें देखने की क्षमता देती है। यह कहना है मशहूर टॉक शो होस्ट ओप्रा विनफ्रे का। एक मेंटर आपके करियर के लिए यही चमत्कार कर सकता है। मेंटर करियर की राह में आपके लिए जरूरी चीजों को देखता है और उसे सिखाता है। जैसे कि बिल गेट्स के लिए वॉरेन बफेट ने किया। वॉरेन ने बिल को उन दो चीजों को करने में मदद दी, जो एक जिंदगी में करना नामुमकिन है-ज्यादा सीखना, ज्यादा खुश रहना। ओप्रा विनफ्रे कहती हैं कि उनकी मेंटर माया एंजेलु ने उन्हें जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण सबक सिखाया कि ‘जब तुम सीखो, सिखाओ; जब कुछ मिले, तो दूसरों को भी बांटो।’
अगर आप अपने करियर में आगे बढ़ना चाहते हैं, टेक्निकल स्किल्स, नेटवर्क, लीडरशिप और कम्युनिकेशन स्किल्स को ज्यादा बेहतर बनाना चाहते हैं, तो एक मेंटर ढूंढ़ना जरूरी है। जैसे मार्क जुकरबर्ग ने अपने लिए स्टीव जॉब्स को चुना। एक प्रतिष्ठित अमेरिकी अखबार को दिए इंटरव्यू में मार्क बताते हैं कि वे दोनों अकसर लंबी वॉक पर निकलते और बातें करते। स्टीव की बहुत सी सलाहों में एक यह भी थी कि जो भी बनाएं, उससे दुनिया में बदलाव आए। उनकी उस सलाह ने मार्क की जिंदगी बदल दी।
मेंटर की भूमिका को एक उदाहरण से समझिए। अगर आपको रोज के कार्यदायित्वों से अलग कोई दूसरा काम करने को मिलता है तो आपका समय उससे जूझते हुए गुजरता है। ऐसे में मन में सवाल आता है कि ‘इस काम के लिए मुझे ही क्यों चुना गया?’ किंतु आगे बढ़ने के लिए सही नजरिया यह है कि ‘इस काम के लिए आपको क्यों नहीं चुना जाना चाहिए?’ और यह अंतदृर्ष्टि आपको मेंटर दे सकता है।
मेंटर को कोच न समझें। कोच बस एक पथ प्रदर्शक होता है, जबकि मेंटर आपकी ही इंडस्ट्री का अनुभवी और सफल व्यक्ति होता है। वह आपके लिए विश्वासपात्र सलाहकार, दोस्त, काउंसलर और अनुभवी व्यक्ति की तरह होता है, जो अपने अनुभवों के आधार पर आपको करियर की राह में आने वाली बाधाओं को हटाने के तरीके बताता है और आपके भीतर की संभावनाओं को तराशता है।
कुछ बातें जरूर ध्यान रखें
– ऑफिस के किसी सीनियर या अपने बॉस को अपना मेंटर न बनाएं। समान ऑफिस में काम करते हुए ये प्रक्रिया पूरी ईमानदारी से निभा पाना आप दोनों के लिए ही मुश्किल होगा।
– मेंटर चुनने में अपने संपर्कों का इस्तेमाल करें। मेंटर और मेंटी के बीच कई बार अनौपचारिक तरीके से यह रिश्ता आगे बढ़ता है।
– मेंटर पर अपनी समस्याओं को सुलझाने की जिम्मेदारी डालकर खुद निश्चिंत हो जाने से कुछ हासिल नहीं होगा। आपको उनके संपर्क में रहना होगा और अपनी बातें स्पष्ट कहनी होंगी। मेंटरिंग की सफलता में 80 फीसदी आपकी इच्छा का होना जरूरी है। यानी उसकी बातों पर अमल करना ही आपको आगे ले जाने में मदद करेगा।