इस समय मौसम में उतार चढ़ाव के कारण कभी पारा बहुत ज़्यादा तो कभी कम हो रहा है। ऐसे समय में बच्चों को मौसमी बीमारी से बचाना जरूरी हो जाता है। बदलते मौसम के साथ बच्चों की बीमारी से घबराएं नहीं बल्कि विशेषज्ञ से परामर्श लें।
इस समय मौसम में उतार चढ़ाव के कारण कभी पारा बहुत ज़्यादा तो कभी कम हो रहा है। ऐसे समय में बच्चों को मौसमी बीमारी से बचाना जरूरी हो जाता है। सर्दी शुरू होते ही अस्पतालों में बच्चों को मौसमी बुखार, सर्दी, खांसी, जुकाम से इन्फेक्शन वाले रोगियों की संख्या बढ़ने की संभावना रहती है। बदलते मौसम के साथ बच्चों की बीमारी से घबराएं नहीं बल्कि विशेषज्ञ डाक्टर से परामर्श लें ताकि सही समय पर उचित इलाज मिल सके।
इस बारे में शिशु रोग विशेषज्ञ डा. रश्मि अग्रवाल जैन ने बताया, ‘’मौसम में इन दिनों बदलाव आ रहा है। जिसके कारण ठंड बढ़ रही है। बदलता मौसम शरीर पर भी असर डालता है। विशेष रूप से ऐसे समय में बच्चों की सेहत का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। हल्की ठंडी हवा भी उन्हें नुकसान कर सकती है। अब कुछ दिनों से हल्की ठंड महसूस होने लगी है जिससे बच्चों में सर्दी-जुकाम, खांसी सहित अन्य मौसमी बीमारियां हो सकती हैं। बच्चों की त्वचा के साथ ही पूरा शरीर नाजुक होता है। हल्की हवा भी नुकसान कर देती है। इसलिए छोटे बच्चों को ऐसे मौसम में हवा के संपर्क में सीधा नहीं आने दें। इम्यून सिस्टम पर विशेष ध्यान रखें। उम्र और शरीर के हिसाब से खानपान भी होना चाहिए एवं घर का ही बना खाना खाएं तो बेहतर है।“
उन्होंने बताया कि बच्चों की डाइट पर ध्यान दिया जाए तो बच्चों को मौसमी फैरिंजाइटिस व लैरिंजाइटिस वायरल से बचाया जा सकता है। इसके लिए बच्चों को प्रोटीन डाइट जरूर दें। इसमें सोयाबीन, पनीर, चने, सूप, हरी सब्जियां भी दे सकते हैं। बच्चों को कोई समस्या होने पर घबराने की जरूरत नहीं है बल्कि चिकित्सक से सही समय पर सलाह लेना चाहिए। सर्दी, खांसी, बुखार और बच्चों में इंफेक्शन होने पर घबराएं नहीं, तत्काल चिकित्सक के पास लेकर जाए, बच्चों को दूसरे बच्चों से भी दूर रखें, स्कूल नहीं भेजें। चिकित्सक की सलाह से ही दवा दें। बच्चों को तरल पदार्थ जैसे दलिया, दाल, जूस आदि दे सकते हैं, पूरी तरह ठीक होने तक चिकित्सक से सलाह लेते रहें, बच्चों को ठंडा पानी न पिलाएं। बच्चों को बाहर की चीजें जैसे प्लास्टिक बंद नमकीन, आर्टिफ़िशियल रंग वाले फ्रूट्स जूस, उन्हें न दिए जाएं, इनकी वजह से दमा के लक्षण उभरते है।
डाक्टर ने बताया मौसम के अनुरूप ही खाद्य एवं पेय पदार्थ का प्रयोग करना चाहिए। इस मौसम में ठंडी चीजों को खाने से बचना चाहिए और बच्चे को सीधा हवा के संपर्क में आने से बचाना चाहिए, ताकि बच्चे को ठंड लगने से बचाया जा सके। बिना कपड़ों के एक दम से बाहर न निकालें एवं रात में पंखा न चलाने की सलाह दी गई।
इन बातों का भी रखें ध्यान
रोग प्रतिरोधक क्षमता सही रहेगी तो बच्चा किसी बीमारी के चपेट में नहीं आएगा, बच्चा अगर 6 महीने से कम का है तो मां का दूध ही पिलाएं, छोटे बच्चों को उचित आहार दें, समस्या होने पर चिकित्सकों की सलाह लें, 6 महीने से एक साल तक के बच्चे को पतला खाना खिलाएं जिसमें सादी खिचड़ी या आलू को मैश कर के खिलाएं। मौसम अनुरूप वस्त्र पहनाए। हाथ साफ रखें। मास्क लगाने के लिए बच्चों को प्रेरित करें। आसपास साफ सफाई रखें।