बिहान योजना अंतर्गत समुदाय आधारित संवहनीय कृषि परियोजना के तहत जैविक खेती को बढ़ावा देने की पहल

भूपेंद्र गोस्वामी आपकी आवाज

गरियाबंद : वर्तमान समय में कृषि में हो रहे अंधाधूंध रसायनों के प्रयोग ने सिर्फ पर्यावरण को ही नहीं क्षति पहुंचायी है बल्कि इससे भूमि की उर्वरता का भी ह्रास हुआ है तथा मानव स्वास्थ्य को भी इसने बुरी तरह से प्रभावित किया है।
जैविक खेती का अर्थ
कृषि की वह प्रक्रिया जिसमें कल-कारखानों में निर्मित रासायनिक उर्वरकों, वृद्धि नियंत्रकों एवं कीटनाशकों का प्रयोग न करके जीवांशयुक्त उर्वरकों (जैसे- राख, गोबर, नीम, आदि) का प्रयोग करते हैं, जैविक कृषि कहलाता है। इसमें भूमि की उर्वरा क्षमता का ह्रास नहीं होता तथा यह पर्यावरण को प्रदूषित भी नहीं करती हैं।
विकासखंड गरियाबंद में मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री के.के. डहरिया के मार्गदर्शन में बिहान योजना अंतर्गत समुदाय आधारित संवहनीय कृषि परियोजना का संचालन किया जा रहा है । इस योजना के तहत विकासखंड अंतर्गत 70 गांव में आंतरिक सीआरपी के द्वारा सीआरपी राउंड चलाया जा रहा है जिसका मुख्य उद्देश्य रसायन के उपयोग को कम करके अधिक से अधिक गौ मूत्र, गोबर एवं प्राकृतिक पत्तियों आदि से निर्मित जैविक दवाई जैसे निमास्त्र, ब्रह्मास्त्र, हांडी दवाई, बेशर्म पति की दवाई एवं जैविक खाद जैसे नाडेप खाद, वर्मी कंपोस्ट खाद घनजीवामृत, द्रव्यजीवामृत आदि का निर्माण करके एवं उनके उपयोग के बारे में महिला किसान दीदियों को सीआरपी टीम के द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
इस योजना के तहत परंपरागत तरीकों के स्थान पर वैज्ञानिक तरीके से धान की रोपाई (श्री विधि से धान की रोपाई), बीज शुद्धिकरण की देशी तकनीक, बीज उपचार, अंजोला उत्पादन, मचान खेती, पशुपालन गतिविधि आदि को बढ़ावा दिया जा रहा है ।
इस योजना का जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन जिला पंचायत डीपीएम श्री अमर सिंह के निर्देशन में विकासखंड अंतर्गत बीपीएम श्री राकेश साहू, यंग प्रोफेशनल श्री पंकज कुटारे, क्षेत्रीय समन्वयक श्री प्रफुल्ल देवांगन एवं श्री दुर्गेश प्रसाद साहू तथा समस्त पीआरपी के द्वारा किया जा रहा है

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