मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान, पूरक पोषण आहार योजना, मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना से कुपोषण को किया जा रहा दूर, जिले में 2018-19 में कुपोषण का प्रतिशत 26.08 से घटकर वर्ष 2020-21 में हुआ 16.47 प्रतिशत

पोषण वाटिका कुपोषण को दूर करने में निभा रही अपना महत्वपूर्ण योगदान, सुपोषण अभियान से कुमारी प्रिसिंता का वजन 9.5 किलोग्राम से बढ़कर 12 किलोग्राम हुआ

जशपुरनगर 26 जुलाई 2021/जशपुर जिले में बच्चों के विकास एवं उनके स्वास्थ्य को बेहतर रखने के उद्देश्य को लेकर महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा लगातार आगंनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिकाओं के माध्यम से बच्चों के पोषण को बनाए रखने का प्रयास जारी है। जिले में इस विशेष प्रयास से न सिर्फ बच्चों के पोषण स्तर में बढ़ोतर हुई है वरन बच्चों की माताओं को भी अपने बच्चों को आवश्यकता अनुसार आहार देने की जानकारी हुई है। अब माताएं स्वयं ही अपने बच्चे का आंकलन कर पौष्टिक आहार आवश्यक मात्रा में देने लगी है। जिससे जिले में कुपोषण की मात्रा काफी कम हो गई है। जशपुर जिले में कुपोषण को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री फ्लैगशिप योजना के तहत् मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान, पूरक पोषण आहार योजना, मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना का बेहतर क्रियान्वयन किया गया। उक्त योजना के बेहतर संचालन एवं क्रियान्वयन से वर्ष 2018-19 में कुपोषण का प्रतिशत् 26.08 था जो कि अब वर्ष 2020-21 में घटकर 16.47 प्रतिशत् हो गया है।
सुपोषण अभियान से कुमारी प्रिसिंता का वजन 9.5 किलोग्राम से बढ़कर 12 किलोग्राम हुआ
जिले में उक्त अभियान से कुपोषित बच्चों को सामान्य श्रेणी लाने के लिए विभिन्न प्रयास किए जा रहे है। और यह प्रयास सफल भी हो रहा है। इसी कड़ी में मनोरा परियोजना के ग्राम पंचायत मनोरा की हितग्राही सरिता बाई की पुत्री कुमारी प्रिसिंता भी इस अभियान के तहत् लाभांवित हुई। उनका जब वजन त्यौहार के दौरान चिन्हांकन किया गया। उक्त अवधि में उनका वजन  9.5 किलोग्राम था। सही पोषण एवं आहार  न मिल पाने के कारण इनके वजन में वृद्धि नहीं हो पा रही थी। जिस कारण प्रिसिंता को गंभीर कुपोषित बच्चों की श्रेणी में आ गई थी। इन्हें बाल संदर्भ  हेतु सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मनोरा में लाने का सलाह दिया गया और उनका खाने-पीने, साफ-सफाई का समुचित ध्यान रखा गया। साथ ही मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत् लगातार गर्म भोजन, अंडा, चिक्की,  रोटी, रेडी-टू-ईट, सब्जी,  अंकुरित चना  आदि केंद्र पर दिया गया। जिससे उनके स्वास्थ्य में काफी सुधार आया ओर प्रिसिंता का वजन  बढ़कर 12.00 किलोग्राम हो गया। विभाग के द्वारा अब भी प्रिसिंता की तरह अन्य बच्चों का निगरानी रख उनके पोषण स्तर को सामान्य करने निरंतर प्रयास किया जा रहा है।
               महिला एवं बाल विकास  के जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि जशुपर जिले में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत् कुपोषित बच्चों को विशेष रूप से चिन्हांकन कर उन्हें अतिरिक्त आहार गर्म भोजन, चिक्की, अण्डा, दूध, फल, हरी सब्जी सहित पौष्टिक भोजन दिया गया। इसके अतिरिक्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के द्वारा बच्चों की माताओं को भी घर-घर जाकर पोषण के संबंध में जानकारी दी गई एवं बच्चों के उम्र के साथ वजन, लंबाई की जानकारी प्रदान किया गया। माताओं को बताया गया कि बच्चों को किस तरह के भोजन दे, जिससे बच्चें का विकास बेहतर तरीके से हो और वह स्वस्थ एवं निरोग रहे। इसके लिए माताओं एवं किशोरी बालिकाओं के साथ बच्चों के अभिभावकों को पोषण के प्रति जागरूक करने के लिए नारे एवं दीवार लेखन भी किए गए। जिससे उन्हें पोषण के प्रति जानकारी हो सके। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत् चलाए गए कार्यक्रम से जशपुर ब्लाॅक के परियेाजना जशपुर  में 1093 कुपोषित बच्चे थे। जिन्हें अभियान से जोड़ा गया। उक्त अभियान का परिणाम यह रहा है कि अब परियोजना जशपुर के 955 बच्चों को कुपोषण की श्रेणी से बाहर लाया गया। इसी प्रकार फरसाबहार ब्लॉक के तपकरा परियोजना के 840 कुपोषण बच्चों में से 655 बच्चे एवं मनोरा परियोजना में 2137 बच्चों में 1001 बच्चों को कुपोषण के श्रेणी से बाहर किया गया। इसी प्रकार मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना के तहत् बच्चों को कुपोषण को दूर करने के लिए गंभीर कुपोषित बच्चों का शासकीय चिकित्सालयों  तथा स्वास्थ्य शिविर का आयोजन कर उनका निःशुल्क उपचार करने के साथ ही निःशुल्क दवाई का भी वितरण किया गया है। अति कुपोषण की श्रेणी वाले बच्चों को पुनर्वास केंद्र में भर्ती कर उन्हें सामान्य श्रेणी में लाने के लिए निरंतर प्रयास किया गया है। जिसके फलस्वरूप बच्चों के कुपोषण दर में कमी हुई।
पोषण वाटिका से कुपोषण दूर करने का किया जा रहा प्रयास
जिले के समस्त आंगनबाड़ी केन्द्रों में पोषण वाटिका के तहत् आंगनबाड़ी भवन के भीतर ही बाड़ी एवं भवन परिसर में मुनगा, लाल भाजी, पालक भाजी, सहित अन्य पोष्टिक साग-सब्जी व फल उत्पादित किया किए जा रहे है। जिसके अंतर्गत जिले के 3056 अंागबाड़ी केन्द्र में पोषण वाटिका विकसित किया गया है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के द्वारा इन पौष्टिक साग-सब्जी को हितग्राही बच्चों को आहार के रूप प्रदान किया जा रहा है। जिससे उनके पोषण स्तर में बढ़ोतरी हो। इसके साथ ही महिला एवं बाल विकास के कार्यकर्ताओं के द्वारा गृह भेंटकर भी लोगों कुपोषण  के प्रति जागरूक किया गया एवं उन्हें अपने बाड़ियों में पौष्टिक साग-सब्जी लगाए जाने हेतु प्रेरित किया गया है। जिससे बच्चों को बेहतर आहार उपलब्ध हो ओर वे कुपोषण के शिकार न हो। हाल ही में कुपोषण की दर को कम करने एवं बच्चों में पोषण की कमी को बढ़ाने के लिए 07 जुलाई से 16 जुलाई 2021 तक जिले के समस्त आंगनबाड़ी केन्द्रों में वजन त्यौहार मनाया गया है। समस्त 4305 आंगनबाड़ी केन्द्रों मेें 64660 बच्चों का वजन लेते हुए बच्चों  के  उम्र एवं वजन  के आधार पर आहार देने के लिए बच्चों की माताओं को उचित परार्मश दिया गया।

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