राजीव गांधी मर्डर- 7 बार मिला था फांसी का आदेश, लगा अब जैसे हो जाएगी……

देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में रिहा हुए 6 दोषियों में से एक नलिनी श्रीहरन ने कहा कि इस साजिश में उनकी कोई भूमिका नहीं थी.

वह इस मामले में इसलिए फंसी क्योंकि पति के दोस्तों के साथ उनकी जान-पहचान थी. यही वजह रही कि उन्हें जेल में डाल दिया गया था. नलिनी ने खुद को बेगुनाह बताते हुए कहा कि राजीव गांधी की हत्या में उनका कोई रोल नहीं था और ना ही वह इस साजिश में कभी शामिल रहीं. श्रीहरन ने एक न्यूज चैनल से इंटरव्यू में यह बात कही और खुद पर लगे सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, नलिनी ने कहा, ‘इसमें मेरी कोई भूमिका नहीं है. हालांकि मुझे पता है कि मैं एक दोषी हूं. लेकिन मेरा दिल जानता है कि क्या हुआ था. मैं प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश में शामिल थी ही नहीं. लेकिन फिर भी मुझपर आरोप लगाया गया क्योंकि मैं उस ग्रुप का हिस्सा थी, जिसने इस हत्या की पूरी साजिश रची थी.’ श्रीहरन ने कहा, ‘साजिश रचने वाले मेरे पति के दोस्त थे. इसलिए मेरी भी उनसे जान-पहचान हो गई थी. हालांकि मैं बहुत रिजर्व रहने वाली व्यक्ति हूं. मैं उनसे बात नहीं करती थी. मैंने बस उनकी मदद किया करती थी जब उन्हें इसकी जरूरत होती थी. बस यही बात है. इसके अलावा मेरा उनसे कोई नाता-रिश्ता नहीं था. मैं उनके परिवार को भी नहीं जानती थी कि वे कौन है और कहां के हैं.’

सात बार मिला ब्लैक वारंट

श्रीहरन ने बताया कि उनकी मौत की सजा को कम करने से पहले यानी साल 2001 में एक वक्त ऐसा आया, जब लगा कि उन्हें किसी भी समय फांसी दी जा सकती है. वह सात फांसी के लिए तैयार हुई थी. सात बार उन्हें ब्लैक वारंट (फांसी का आदेश) दिया गया.’ वहीं प्रियंका गांधी से अपनी मुलाकात को लेकर नलिनी श्रीहरन ने कहा, ‘प्रियंका गांधी ने वर्ष 2008 में जेल में उनसे मुलाकात के दौरान अपने पिता की हत्या के बारे में पूछा था. मैं जो कुछ भी जानती थी, मैंने उस बारे में प्रियंका को बता दिया.’

भावुक होकर रो पड़ी थीं प्रियंका गांधी

यह पूछे जाने पर कि 2008 में तमिलनाडु के वेल्लोर सेंट्रल जेल में मुलाकात के दौरान प्रियंका मजबूत दिखी थीं या भावुक होकर रो पड़ी थीं? इसपर नलिनी ने कहा, ‘हां वह बहुत भावुक हो गई थीं. काफी समय बीत जाने के बावजूद वह अपने पिता की हत्या के कारण मिले घावों को उस मुलाकात में भी ठीक नहीं कर पाई थीं.’ राजीव गांधी की 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक आत्मघाती विस्फोट में हत्या कर दी गई थी. नलिनी को 12 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रिहा कर दिया गया था. यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें गांधी परिवार के सदस्यों से मिलने में कोई झिझक रही है? नलिनी ने कहा कि हत्याकांड की वजह से इस तरह की झिझक रही है. लेकिन अगर गांधी परिवार के लोग उनसे मिलना चाहेंगे तो वह जरूर मिलेंगी.

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