रेफर का बड़ा खेल: पहले सरकारी अस्पताल से प्राइवेट अस्पताल रेफर, फिर प्राइवेट अस्पताल से दूसरे जिले के सरकारी अस्पताल रेफर, डॉक्टरों के इस खेल से नवजात ने तोड़ा दम।

भूपेंद्र गोस्वामी आपकी आवाज

कमार जनजातियों के लिए ढेरों योजनाएं पर सब कागजों पर इस घटना ने विभाग की कोल्हापुर

छुरा:- लोग सोचते हैं कि सरकारी अस्पताल में सुविधाएं नहीं होती इसलिए निजी अस्पतालों में इलाज करना अच्छा होता है ,पर गरियाबंद जिले के छुरा विकासखंड में उल्टी गंगा बहती नजर आ रही है ।कमार जनजाति परिवार का प्राइवेट अस्पताल इलाज नही कर पाए तो महासमुंद जिले के सरकारी अस्पताल खरोरा में बच्चे को रिफर करना पड़ा। जहां बच्चे ने तो दम तोड़ दिया पर सवाल यह खड़ा होने लगी है कि बच्चे को समय रहते अगर जिला चिकित्सालय गरियाबंद या फिर राजिम नयापारा निजी या सरकारी अस्पतालों में कम समय मे कम दूरी पर ले जाया जाता तो शायद बच्चा बच जाता।लेकिन यह कमार जनजाति के लिए एक बड़ा घटना साबित हुआ।मामला विकासखंड छुरा के ग्राम पंचायत पिपरहट्टा के आश्रित ग्राम देवगांव का है जहां इंद्रासन पति देव आनंद कमार ने प्रसव पीड़ा होने के बाद 6 दिसंबर को अपनी पत्नी इंद्रासन को गांव पर ही एक निजी वाहन में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया जहां ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर देवेश सोनी व स्टाप नर्स मेडिकल की टीम ने प्रसव करा पाने में असमर्थता जाहिर की और मरीज को निजी वाहन से रेफर कर दिया ,पर अस्पताल के डॉक्टर और पुरुष स्टाफ नर्स की बात माने तो दो अलग-अलग बातें बताई जा रही है। जिसमें डॉक्टर के अनुसार हायर सेंटर रेफर करने की बात कह रही है। स्टाप नर्स बॉय सीएससी छुरा रेफर करने की बात कही लेकिन मरीजों ने प्रसव पीड़ा को देखते हुए उसे छुरा के एक निजी अस्पताल श्री संकल्प छत्तीसगढ़ मिशन अस्पताल में भर्ती कर दिया। वहीं परिजनों की बात माने तो परिजनों ने सरकारी अस्पताल में लेटलतीफी करने का आरोप लगाया जहां पर देवानंद व परिवार वालों ने सरकारी अस्पताल के देरी से डिलीवरी करने की कोशिश बात कही तथा छुट्टी मागने पर छुट्टी दिया गया।उन्होंने बताया कि अगर समय रहते हमें छुट्टी दे देता तो शायद हम अपने हिसाब से अस्पताल में इलाज कराते और बच्चा बच जाता, पर ऐसा नहीं हुआ ।निजी अस्पताल में बच्चे की डिलीवरी कराई और निजी अस्पताल द्वारा स्थिति खराब होते देख उसे महासमुंद जिले के खरोरा स्थित सरकारी अस्पताल में प्राइवेट अस्पताल के द्वारा रिफर कर दिया गया ।जहां बच्चे ने दम तोड़ दिया, ऐसे में उस निजी अस्पताल पर सवाल खड़ा हो रहा है कि छुरा से 45 किलोमीटर दूर सरकारी अस्पताल में क्यों रिफर किया गया जबकि छुरा से गरियाबंद जिला अस्पताल की दूरी 22 किलोमीटर एवं राजीम नयापारा स्थित ,प्राइवेट एवं सरकारी अस्पताल की लगभग 25 से 30 किलोमीटर के बीच में है।ऐसे में जिले में विभाग विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्य सुविधा होने का दावा करता है तो निजी अस्पताल मेंअच्छा इलाज नहीं होने के कारण फिर सरकारी अस्पताल में क्यों रेफर किया गया वो भी दूसरे जिला मे ,साथ ही बच्चे के प्रसव के बाद वहां हंगामा खड़ा हो गया था।जहां मौके पर संबंधित ,पुलिस वाले भी पहुंच गए इस प्रकार यह मामला सुर्खियों में बने रहे पर किसी समाज सेवक ,जनता के चुने हुय जनप्रतिंनिधियो या किसी अधिकारी ने इतनी बड़ी लापरवाही को जानते हुय अब तक कोई कार्यवाही नहीं किए जबकि परिजन की माने तो सरकारी अस्पताल के ऊपर लेटलतीफी का आरोप लगाया जा रहा है।साथ ही निजी अस्पताल से श्री संकल्प छत्तीसगढ़ मिशन हॉस्पिटल द्वारा दूसरे जिले के अस्पताल में रेफर करने का आरोप लगा रहे है और इस आपाधापी में बच्चे की मौत हो गई ।साथ ही जब मामले की पड़ताल के लिए मीडिया की टीम परिजनों से मिले तो प्राइवेट और सरकारी अस्पताल के खिलाफ बहुत सारी बातें बताई तथा मामले की जानकारी लेने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पाटसिवनी गया तो मेडिकल ऑफिसर स्वाति ठाकुर खुद मीडिया के ऊपर सवाल करने लगी कुर्सी की शोभा बढ़ा रहे हैं स्वाति ठाकुर ने मीडिया को बताया कि कमार जनजाति के लोग सोनोग्राफी नहीं कराते इसमें हमारी क्या गलती है पता मीडिया को यह भी कहा कि आप लोग के पास कोई काम नहीं हैआप लोग हमें परेशान करने आ जाते हो बता दे की महिला की गर्भधारण के समय से हि सोनोग्राफ़ी कराने और देखरेख जानकारी के लिए मितानिन व स्वस्थ संयोजक कर्मचारी रहते है।लेकिन मेडिकल ऑफिसर द्वारा उन्हें इन कार्यों के लिए प्रेरित ही नहीं किया जाता है इस वजह से कमार जनजातियों को योजनाओं का समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है एवं पाटसिवनी सरकारी अस्पताल के जिम्मेदार पद पर बैठे अधिकारी स्वास्थ्य सेवाओं को ग्रामीणों तक पहुंचाने में नाकाम साबित हो रहे हैं।जिसके चलते शासन की योजनाओं का लाभ ग्रामीण अंचलों में रहने वाले ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है। जिसके कारण ग्रामीण सरकारी अस्पतालों के अलावा निजी अस्पतालों में इलाज कराने को मजबूर है। ऐसे में विभाग के जिम्मेदारों को आम जनता से कोई सरोकार नहीं क्योंकि इनको तो इनकी मोटी वेतन समय पर मिल जा रहा है ।इस मामले को लेकर मीडिया की टीम 70 किलोमीटर दूर दूरस्थ वनांचल क्षेत्र में जानकारी लेने पीड़ित इंद्रासन कमार से मिलने पहुंचा। जन्हा डरे सहमे पति पत्नी ने मीडिया के सामने बहुत ही हिम्मत जुटाकर बहुत सारी बात बताई लेकिन कई ऐसे बात भय के वजह से नही बता पाए।

मेडिकल ऑफिसर ने मीडियाकर्मियों से किया दुर्व्यवहार :- पाटसिवनी प्राथमिक स्वास्थ केंद्र के मेडिकल ऑफिसर स्वाति ठाकुर अपने अड़ियल रवैया के लिए जाने जानी जाती है।इन्हे अपने पद का इतना गुरुर है की जिम्मेदार पद पर बैठकर भी मीडिया के सवालों का जवाब देने के बजाय उल्टा प्रेस को ही उलुल जलूल जवाब देने से भी बाज नहीं आए।जब मीडिया की टीम उक्त मामले की जानकारी लेने प्राथमिक स्वास्थ केंद्र पाटसिवनी पहुंच मेडिकल ऑफिसर को अपना परिचय दिया तो दुर्व्यवहार पूर्ण बात करते हुए ठसनबाज मेडिकल ऑफिसर ने कहा कि आ गए तुम लोग ,तुम्हारे पास काम धंधा तो रहता नही है और आ गए परेशान करने।जब मामले से संबंधित सवाल किया गया तो मैडम कहने लगी की हमारी गलती थोड़ी है वो कमार लोग एक्सरा नही कराए है उनको छापो,केवल हमारे पीछे पड़े रहते हो।अपने जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते हुए जिम्मेदार पद पर बैठे इस डॉक्टर के क्षेत्र में स्वास्थ सुविधावो का बुरा हाल है।अस्पताल में इससे पहले लाखो रूपए का सरकारी दवाइयों का एक्सपायरी होना और अस्पताल के द्वारा फर्जी बिल वाउचर लगाए जाना अस्पताल प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़ा करता है।पर इससे कारनामों से ठसनबाज अधिकारी को कोई फर्क नहीं पड़ता।अपने जिम्मेदारियों का तो इन्हे पता नही और मीडियाकर्मियों को ही नसीहत देने लगे थे। इस मामले को लेकर श्री संकल्प छत्तीसगढ़ हॉस्पिटल छुरा के संचालक को उनका पक्ष जानने फोन किया गया लेकिन उनका मोबाइल बंद आया।वही इस संबंध में सीएमएचओ ने फोन नहीं उठाया तो वही ग्रामीण चिकित्सा अधिकारी देवेश सोनी का नबर आउट ऑफ कवरेज आया।

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