स्थानीय कांग्रेस से हो रहा कार्यकर्ताओं का मोह भंग, थाम रहें हैं भाजपा का हांथ…


सक्ती। प्रदेश की सत्ताधारी दल कांग्रेस से अब धीरे धीरे क्षेत्र के लोगों सहित जनप्रतिनिधियों का मोह भंग होता दिख रहा है। बड़ी संख्या 25 नवंबर को कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने भाजपा का दामन थामा है।
वही अब नगर से भी अधादर्जन कांग्रेस के पार्षदों सहित कुछ जनपद सदस्यों का भी भाजपा प्रवेश की अटकलें लगाई जा रहीं है। यहां बताना लाज़मी है कि प्रदेश में सत्ताशीन होने के बाद भी कांग्रेस के कद्दावर कहे जाने वाले कुछ स्थानीय नेता अब धीरे धीरे कांग्रेस के कुछ तथाकथित मौसमी नेताओं के कारण दूरी बनाते जा रहें है। भाजपा के 25 नवंबर के प्रवेश कार्यक्रम के बाद से ही अब नगर के वर्तमान पार्षद, पूर्व पार्षद सहित कुछ पार्षद पद के प्रत्याशी रहे लोग भी अब भाजपा की ओर झुकते नजर आ रहें हैं। यहां यह भी बताना लाजमी है कि स्थानीय विधायक के कुछ करीबी अपने नेता को अंधेरे में रख अपने कुछ नजदीकी लोगों को फायदा पहुंचा रहे है। चूंकि स्थानीय विधायक प्रदेश के उच्च संवैधानिक पद छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष पर आसीन हैं और प्रदेश की जिम्मेदारी है यही कारण है कि उनके द्वारा क्षेत्र की कुछ बागडोर अपने नजदीकियों को दी गई है। लेकिन वह नजदीकी लोग लगातार अपने नेता को दिग्भ्रमित कर कुछ नया ही खेल खेल रहें है और लगातार पुराने और कर्मठ कांग्रेसियों की उपेक्षा कर रहें हैं। यही वजह है कि अब धीरे धीरे कर्मठ कांग्रेसियों का मोह अपने दल से भंग होता दिख रहा है। नगर कांग्रेस द्वारा भी लगातार नगर के पुराने कांग्रेसियों की उपेक्षा तो गत 3 साल से बदस्तूर जारी है। प्रदेश कांग्रेस की ओर से पार्टी कार्यक्रमों में भी लगातार स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा की जा रही है। किसी भी कार्यक्रम में मात्र कुछ चिन्हाकित लोग ही नजर आते हैं, जबकि विपक्षी पार्टी भाजपा में आज भी सैकड़ों कार्यकर्ता दिखाई पड़ते हैं। बावजूद इसके स्थानीय कांग्रेस पदाधिकारियों को इससे कोई खास महत्व नहीं है। लोगों का कहना है कि कांग्रेस के सत्ता करीबी संगठन के पदाधिकारियों को सिर्फ व्यापार से मतलब है, कुछ लोग कांग्रेस संगठन में सिर्फ व्यापार करने और सत्ता का सुख भोगने ही के लिए हैं। यही वजह है कि लगातार कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का मोह भंग हो रहा है और वे भाजपा, गोंगपा या अन्य पार्टियों का दामन थाम रहें हैं। विगत दिनों भी कांग्रेस के कद्दावर आदिवासी युवा चेहरा लाखन सिदार भी कांग्रेस छोड़ गोंगपा में चले गए, उन्होंने भी यही आरोप लगाया कि उन्हें कांग्रेस के स्थानीय संगठन द्वारा लगातार उपेक्षित किया जा रहा था, और 25 नवंबर को भी जिला पंचायत सदस्य अपने 100 समर्थकों के साथ भाजपा प्रवेश कर लिए, अब नगर के निर्वाचित कांग्रेस पार्षदों सहित कुछ जनपद सदस्यों के भी कांग्रेस छोड़ भाजपा प्रवेश की अटकलें लगाई जा रहीं हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता के क्षेत्र में उनके कुछ चहेतों के घमंड के सामने कांग्रेस लगातार टूटती जा रही है, इसके लिए जिम्मेदार भी कहीं ना कहीं कांग्रेस संगठन ही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button