
छत्तीसगढ़ में पिछड़ा वर्ग की संख्या 52 प्रतिशत है, आबादी के हिसाब से आरक्षण की उठी मांग
छत्तीसगढ़ प्रदेश में पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या 52 प्रतिशत है। आबादी के मुताबिक राज्य सरकार को आरक्षण प्रदान करना ही होगा। यदि आरक्षण नहीं मिलेगा तो सरकार को अपनी गलती का खामियाजा भुगतना पडेगा। समान परिस्थितियों के बावजूद भी ओबीसी के युवाओं के साथ कुठारघात किया जा रहा है।
बिलासपुर । छत्तीसगढ़ प्रदेश में पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या 52 प्रतिशत है। आबादी के मुताबिक राज्य सरकार को आरक्षण प्रदान करना ही होगा। यदि आरक्षण नहीं मिलेगा तो सरकार को अपनी गलती का खामियाजा भुगतनी होगी। ये बातें जिलाध्यक्ष बृजेश साहू ने कही। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग के लगभग 52 प्रतिशत आबादी है। साथ ही वर्तमान में प्रदेश के मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष नेता प्रतिपक्ष, गृहमंत्री, उच्च शिक्षा मंत्री एवं बहुत से विधायक गण ओबीसी समुदाय से आते हैं। समान परिस्थितियों के बावजूद भी ओबीसी युवाओं एवं छात्र छात्राओं के हितों पर लगातार कुठारघात किया जा रहा है।
ओबीसी समुदाय के उत्तरोत्तर उत्थान एवं प्रगति के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ओबीसी के आरक्षण के मुद्दे पर त्वरित कार्यवाही करें। आजादी के इतिहास में आज तक ओबीसी आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल न किया जाना तथा केंद्र एवं राज्य सरकार के पास ओबीसी वर्ग का जातिगत आंकड़ा उपलब्ध न होना भोले भाले ओबीसी वर्ग को ठगने की कोशिश है। निम्न प्रशासकीय क्षमताएं लोकतंत्र में संवैधानिक व्यवस्था को लागू न करना, के देवांगन गैर मानवता पूर्ण कुकृत्य, तानाशाही पूर्ण रवैया संविधान में अविश्वास की धारणा को इंगित करता है। जो कि विश्व पटल पर एक महान लोकतांत्रिक देश का अपमान है।
ओबीसी महासभा के प्रदेश महासचिव जनक राम साहू ने कहा कि शैक्षणिक संस्थाओं और सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण देश के शासन और प्रगति में प्रतिनिधित्व और भागीदारी का विषय रहा है। संविधान में आरक्षण की अवधारणा का उद्देश्य ऐतिहासिक रूप से उनकी जाति के आधार पर आर्थिका, सामाजिक शैक्षणिक एवं राजनीतिक हिस्सेदारी सुनिश्चित करना है। लेकिन आजादी के बाद मानव अधिकारों के मूल सिद्धांत से वंचित कर सामाजिक और शैक्षिक सशक्तिकरण प्रणाली में घोषित आरक्षण के आधार पर समुचित हिस्सेदारी एवं प्रतिनिधित्व सुनिश्चित न कर ओबीसी समाज के साथ अन्याय कर संवैधानिक नियमों का अवहेलना कर ओबीसी वर्ग के आवेदकों को राष्ट्रीय एवं प्रदेश स्तर के शैक्षणिक संस्थाओं में आरक्षणा, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम में रोजगार से वंचित किया जा रहा है। ओबीसी के आबादी के अनुरूप शिक्षाए पदोन्नतिा, रोजगारा, विधायिका, न्यायपालिका एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में हिस्सेदारी; आरक्षण प्रदान करें। जिससे की समतामूलक समाज इस प्रदेश में स्थापित हो सके।