
सक्ती। 27 मई की सुबह 11 बजे उप जेल अधीक्षक सतीश भार्गव द्वारा 4 बंदी/कैदी को बिना उच्चाधिकारियों को अवगत कराए नियम विरुद्ध जेल परिसर से 5 किमी दूर लकड़ी लेने एक हवलदार और एक सिपाही के भरोसे भेज दिया गया था, जो पत्रकारों के कैमरे में भी कैद हुई थी।
तात्कालिक स्थिति को देखते हुए केंद्रीय जेल अधीक्षक श्री तिग्गा ने जांच कराई, वहीं जांजगीर कलेक्टर ने भी जांच के आदेश दिए, साथ ही एसडीएम सक्ती ने भी उपजेल अधीक्षक को कारण बताओ नोटिस जारी किया। वहीं दूसरे दिन ही एसडीएम रेना जमील और तहसीलदार सक्ती मनमोहन प्रताप सिंह उपजेल सक्ती पहुंच स्थिति का जायजा लिए। सूत्रों की मानें तो केंद्रीय जेल अधीक्षक और जिला कलेक्टर द्वारा बनाई गई जांच कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार उपजेल अधीक्षक सतीश भार्गव पूरी तरह से दोषी हैं। सूत्र बताते हैं कि जिन चार कैदी/बंदियों को उपजेल अधीक्षक नियम विरुद्ध बाहर भेजे थे उनमें से एक सजायाफ्ता कैदी है जो हत्या के मामले में सजा काट रहा है, साथ ही उक्त कैदी पर एक और हत्या का आरोप है, वहीं जेल नियम कहता है कि जिस भी कैदी की सज़ा 2 वर्ष से कम बची है उसे पर्याप्त सुरक्षा के साथ जेल के बाहर कार्य हेतु भेजा जा सकता है, यहां समझने वाली बात यह है कि उक्त कैदी की सजा अभी 6 साल और बची हुई है जो जेल नियम के विरुद्ध है, वही अन्य तीन बंदी जिनकी पेशी अभी माननीय न्यायालय में चल रही है और वे विचाराधीन बंदी हैं उन्हें किसी भी नियम के अनुसार कार्य हेतु बाहर निकाला ही नहीं जा सकता है। यहां बताना लाज़मी है कि दंतेवाड़ा में साल 2008 में विश्व का सबसे बड़ा जेलब्रेक हुआ था जिसमें 300 से अधिक बंदी भाग गए थे और आज भी बहुत से बंदी कानून की पकड़ से बाहर हैं जिनमें कुछ नक्सल मामलों में भी विचाराधीन थे, वहीं जेल ब्रेक के कुछ दिनों पहले ही तत्कालीन जेलर श्री मानकर द्वारा ऐसे ही कुछ बंदियों को लकड़ी काटने नियम को ताक में रखते हुए निकाला गया था और जेलब्रेक क बाद नियम विरुद्ध बंदियों को बाहर निकालने के मामले में शासन प्रशासन द्वारा सख्ती दिखाते हुए श्री मानकर को पद से पृथक किया गया था। वहीं प्रदेश में और भी कई मामले बंदियों के जेल से भागने के सामने आ चुके हैं। बावजूद इसके सतीश भार्गव उप जेल अधीक्षक सक्ती पर जेल प्रशासन के साथ साथ शासन इतना मेहरबान क्यों है ये बात समझ से परे है। वहीं मामले को 26 दिन बीत जाने के बाद भी सतीश भार्गव सहित हवलदार, सिपाही और वेन चालक पर किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं होना भी कई सवालों को जन्म देता है।

श्री तिग्गा, केंद्रीय जेल अधीक्षक बिलासपुर
मामले की जांच हो गई है और जेल महानिदेशक को जांच रिपोर्ट भेजी जा चुकी है, शासन स्तर पर अब जो भी वैध कार्रवाई है की जाएगी। दोषी कोई भी हो किसी भी सूरत में बक्शा नहीं जाएगा।
संजय पिल्लई आईपीएस, पुलिस महानिदेशक जेल, छत्तीसगढ़ शासन
मामले की जानकारी के बाद केंद्रीय जेल अधीक्षक एवं टीम द्वारा जांच की गई है, वहीं जांच रिपोर्ट भी तैयार है। जल्द ही उपजेल सक्ती मामले में नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। चूंकि मामला संवेदनशील है इसलिए बारीकी को ध्यान में रखते हुए एवं जेल के नियमों के अनुसार अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।