एलॅन्स स्कूल में विवेकानन्द जयंती समारोह का आयोजन

दिनेश दुबे 9425523689
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*एलॅन्स स्कूल में विवेकानन्द जयंती समारोह का आयोजन*
बेमेतरा  – एलॅन्स पब्लिक स्कूल बेमेतरा में आध्यात्मिक गुरू, धर्मसम्राट, देशभक्त, कर्मठ योगी स्वामी विवेकानन्द की जयंती ’युवा दिवस’ के रूप में हर्षोल्लास के साथ मनायी गई। कार्यक्रम की शुरुआत स्वामी विवेकानंद के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर की गई *प्राचार्य डॉ. सत्यजीत होता व समस्त शिक्षकों ने उनकी पूजा अर्चना की। इस अवसर पर छात्रों ने शिकागो में दिए गए स्वामी विवेकानंद के मूल भाषण को सुना। छात्र वक्ता समरेश मोहंती कक्षा दूसरी, अन्विता किरण दुबे, हिमानी नरवाल, खुशी साहू कक्षा दसवीं तथा रिया टंडन कक्षा नौवीं ने और स्वामी विवेकानंद की जीवन पर आधारित महातपूर्ण घटनाओ और प्रेरणादायक बातों का उल्लेख किया। वही डॉ जगेंद्र कुमार कुलमित्रा ने स्वामी विवेकानंद की आध्यात्मिक एवं वेदान्त शिक्षा पर विचार प्रकट किया।  डॉ. सत्यजीत होता, शिक्षकगण और छात्रों ने स्वामी जी की अमर आत्मा के समक्ष विकसित भारत के लिए सही मार्ग प्राप्त करने के लिए प्रार्थना की। खेल विभाग के राहुल सोलंकी के मार्गदर्शन में बारहवीं कक्षा के विद्यार्थियों ने खेलों में भाग लिया। दर्शकों ने छात्रों के खेल प्रदर्शन की सराहना की।
**समारोह को संबोधित करते हुए प्राचार्य डॉ सत्यजीत होता ने कहा कि ’’स्वामी जी सच्चे वेदान्ती के विख्यात महापुरूष तथा आध्यात्मिक गुरु  थे। वे उपासना एवं तपस्या की पराकाष्ठा को छू गए थे। उन्हे ईश्वर पर अटल विश्वास था कि वे जो भी बोलते थे वह सब वेद वाक्य होता था। उनकी स्मरण शक्ति इतनी तेज थी कि एक बार जो भी पढ़ते उन्हें पूरा कंठस्थ हो जाता था साथ ही जीवन के कम समय में ज्यादा कार्य किए जो कि युगों -युगों तक पूरा विश्व याद करेगा। विवेकानन्द हर एक युग व देश के लिए सदैव प्रासंगिक बने रहेंगे क्योंकि वे अद्भूत प्रतिभा सम्पन्न योगी थे। विवेकानंद बहुत कम समय में बहुत ज्यादा ज्ञान- विज्ञान का अर्जन कर विश्व के सम्मुख एक चमत्कारिक प्रबुद्ध विद्वान के रूप  में अवतरित हुए। उनकी हर क्रिया कलाप प्रत्येक मनुष्य के लिए अनुकरणीय है। बाल, वृद्ध और जवान प्रत्येक उम्र के लिए उनकी शिक्षा ग्राह्य है। ऋषि अरबिंदो घोष और सर्वपल्ली राधाकृष्णन, स्वामी विवेकानंद जी के अनुयायी थे
रवींद्रनाथ टैगोर ने नोबल पुरस्कार विजेता रोमन रोनाल्ड से बात करते हुए कहा, “यदि आप भारत को सच्चे अर्थ मे जानना चाहते हैं, तो विवेकानंद के चरित्र का अध्ययन करें।” वे भारतीय राष्ट्रीय कार्यकर्ता नेताजी स्वामीजी को अपना आध्यात्मिक गुरु मानते थे। उन्होंने स्वामी जी को “पूरी तरह मर्दाना व्यक्तित्व और अस्तित्व के मूल के लिए एक योद्धा” कहा। राष्ट्रीय युवा दिवस भारत के उन नव जवानो को समर्पित एक खास दिन है जो देश के भविष्य को बेहतर और स्वस्थ बनाने की क्षमता रखते है। वे भारत को विकसित देश के रूप मे देखना चाहते थे। जब उन्हे अमेरिका के शिकागो के आयोजित विश्व धर्म सभा मे बुलाया गया जहां उन्होने बहनो और भाइयों का सम्बोधन कर ऐतिहासिक भाषण दिया, भाषण सुनकर सारा वातावरण तालियों की गडगाहट से गूंज उठा। हम सभी शिक्षकों और छात्रों का विवेक भी स्वामी विवेकानंद द्वारा दिए  गए  निर्देशो एवं उनके पथ चिन्हों पर चलकर शिक्षा का मार्ग दर्शन करते हुए हम आनंद का अनुभव प्राप्त करेंगे उसी अवस्था में हम आनंद को परिवार से समाज की ओर, समाज से राष्ट्र की ओर एवं राष्ट्र से विश्व की ओर आनंद का संचार शिक्षा के माध्यम से कर पाएंगे। उन्होने विद्यार्थी एवं शिक्षको को स्वामी जी के बाताये मार्गो पर चलने के लिए सत्य एवं निष्ठा के अनुपालन हेतु शपथ दिलवाई। ‘उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक मंजिल मिल न जाए’ का उद्घोष किया। उन्होने कहा स्वामी विवेकानंद के विचारो को आत्मसात करके हम अपना जीवन सुखी और सफल बना सकते है। पूरा विश्व उनका चिर ऋणी रहेगा। उन्होंने आह्वान किया कि स्वामी जी राष्ट्र निर्माण शिक्षा के लिए पुरुषों पर बल देते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा – “मनुष्य की सेवा ही ईश्वर की सेवा है तथा स्वतंत्रता और समानता महिला शिक्षा की चैंपियन है।
**हिन्दी विभाग के शिक्षक श्रीमती पुष्पलता पटले, श्रीमती रेणुका काले, श्री अनुराग त्रिपाठी एवं श्री बलबीर सिंह  ने भी इस कार्यक्रम के आयोजन में सहयोग किया।
इस अवसर पर कमलजीत अरोरा,  अध्यक्ष,  पुष्कल अरोरा, निदेशक, प्रशासक, सुनील शर्मा, , शिक्षकगण एवं छात्र-छात्राएँ उपस्थित थे।

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