कोटरीमाल में शाकाहार सदाचार,आध्यात्मिक जनजागरण यात्रा
घरघोड़ा /दुलेंद्र पटेल : सुविख्यात संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के उत्तराधिकारी एवं जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था, मथुरा उ.प्र. के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूज्य पंकज जी महाराज की अगुवाई में निकली 82 दिवसीय-6 प्रान्तीय शाकाहार-सदाचार, मद्यनिषेध, आध्यात्मिक जनजागरण यात्रा 26 दिसम्बर को मथुरा से चलकर अपना चौदहवाँ पड़ाव ब्लाक घरघोड़ा के ग्राम कोटरीमाल में किया। स्थानीय भाई-बहनों ने परम्परागत शैली में काफिले का भव्य स्वागत किया।
9 जनवरी को आयोजित सत्संग समारोह में जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था, मथुरा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूज्य पंकज जी महाराज ने प्रवचन करते हुये कहा-नर-नरियो यह मानव तन अनमोल है। न जाने किस महात्मा की दया हो गई, न जाने कौन से जन्म-जन्मान्तरों के शुभ पुण्य कर्म उदय हो गये, जो आपको यह मनुष्य शरीर मिल गया। अरे! यह वक्त का इतना बड़ा वरदान आपको मिला, समय रहते हुये अपनी जीवात्मा के कल्याण के लिये थोड़ा-बहुत विचार करियेगा वरना ये तुम्हारा समय निकलता जा रहा, ‘‘मिली नर देह यह तुमको, बनाओ काज कुछ अपना। पचो मत आय यहि जग में, जानियो रैन का सपना।’’ को उद्धृत करते हुये कहा कि यह दुनियाँ भी दस-बीस, सौ साल का स्वप्न है। जिस दिन मौत का वक्त आयेगा-आप रोओगे, हाय-हाय करके चिल्लाओगे कि हाय! हमने सारी जिन्दगी स्वप्न में गुजार दी। जागने का समय अभी आया था। जो कुछ करना था अभी करना था, लेकिन भाई-बहनो! अब पछताये होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत। ये घर-बार अपना नहीं, अरे! ये पराया देश है, ये सरायखाना है, मुसाफिरखाना है। शरीर भी तुम्हारा नहीं, ये काल का पिंजड़ा है, किराये का मकान है। अरे! जितनी श्वांसें उस मालिक ने बख्शी हैं, उसे भुगतने के बाद हमें शरीर को यहीं छोड़कर जाना है और इस शरीर को लोग कंधे पर लाद कर श्मसान भूमि पर छोड़कर आ जायेंगे। जीवात्मा को यमदूत ले जाकर धर्मराज के दरबार में पेश कर देंगे। वहां आपके अच्छे बुरे कर्मों का हिसाब हो जायेगा और नर्कों, चौरासी की योनियों की सजा सुना दी जायेगी। वहां तुम्हारा कौन रक्षक होगा? जीवात्मा की कौन गवाही देगा? क्योंकि आपने जीवन में ऐसा कोई साथी नहीं बनाया, जो धर्मराज के दरबार में आपकी रक्षा, सम्भाल कर सके। वे कोई और नहीं-संत, महात्मा, फकीर होते हैं, जो जीवन में सुरत शब्द की साधना करा कर अपने घर आने-जाने का मार्ग पहले से ही बता देते हैं। नानक जी ने कहा ‘‘नानक नाम जहाज है, चढ़ै सो उतरै पार।’’ ऐसे ही हमारे गुरु महाराज बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ‘जयगुरुदेव’ नाम का जहाज लगाकर गये और कहा कि दुनियाँ के जीव एक साथ यदि इस जहाज पर चढ़ जायें तो भी यह जयगुरुदेव नाम सबको पार कर देगा। पूज्य महाराज जी ने सुमिरन, ध्यान, भजन का मार्ग देकर उसे विधिवत समझाया तथा कहा रास्ता सच्चा है, देने वाला सच्चा है, करोगे तो निश्चय ही एक दिन गुरु की दया का अनुभव आपको होगा।
देश में बढ़ती हिंसा व अपराध पर गहरी चिन्ता व्यक्त करते हुये उन्होंने कहा चरित्र मानव धर्म की सबसे बड़ी पूँजी है। लोगों का चरित्र उत्थान, शाकाहारी-सदाचारी व नशा मुक्त बनाना समय की मांग है। जिस शराब के पीने से आंखो से मां, बहन, बेटी की पहचान खत्म हो जाती है। उसे पीने से यह निर्णय कैसे ले सकते हैं कि क्या अच्छा है और क्या बुरा है। पूज्य महाराज जी ने सभी से अच्छे समाज के निर्माण में सहयोग की अपील की।
उन्होंने आगामी 24 से 26 मार्च तक जयगुरुदेव आश्रम, मथुरा में आयोजित होने वाले होली सत्संग में आने का निमन्त्रण दिया तथा बताया कि मथुरा में वरदानी जयगुरुदेव मन्दिर बना है जहाँ बुराइयाँ चढ़ाने पर मनोकामना की पूर्ति होती है। जिला-इटावा में तहसील- भरथना के गाँव खितौरा धाम में बाबा जी की पावन जन्मभूमि है यहाँ पर भी भव्य वरदानी मन्दिर बना है। यहाँ सभी सम्प्रदायों के लोग आते हैं।
इस अवसर पर जयगुरुदेव संगत छत्तीसगढ़ के पर्यवेक्षक जसवन्त प्रसाद चौरसिया, प्रान्तीय अध्यक्ष डॉ. कमल सिंह पटेल, जिलाध्यक्ष हेमशंकर पटेल ‘मुन्ना’, जयदयाल राठिया, देवचरण नायक, बीरबल सिदार, बैरागी राठिया, नरेन्द्र सिंह राठिया, डा. जयराज चौहान, जयराम राठिया आदि मौजूद रहे।
सत्संग समापन के बाद धर्मयात्रा अपने अगले पड़ाव ग्राम महलोई, थाना व तह. तमनार के लिये प्रस्थान कर गई।